ओ३म् ============ आर्यसमाज वेद वर्णित ईश्वर, जीव, प्रकृति व सृष्टि के नियमों में विश्वास रखता है। वह ऋषि प्रणीत विस्तृत वैदिक साहित्य जो वेदानुकूल है, उसे स्वीकार कर उसका भी प्रचार प्रसार करता है। वैदिक साहित्य में प्रमुख ग्रन्थों में 6 दर्शन, उपनिषद तथा विशुद्ध-मुनस्मृति ग्रन्थ आदि अनेक प्रसिद्ध हैं। इनके अतिरिक्त ऋषि दयानन्द के […]
श्रेणी: पर्यावरण
……………………………………………….. राकेश छोकर / नई दिल्ली …………………………………………… अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर, अखंड भारत गुर्जर महासभा के द्वारा आयोजित वेबीनार में विश्व के विद्वत जनों ने योग महिमा का बखान किया। योग को विश्व जनमानस के जीवन के लिए आवश्यक करार दिया गया । “अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और भारतीय संस्कृति” नामक विषय पर […]
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: विगत 3 दिन पहले 10 जून को अंतरराष्ट्रीय भूगर्भ जल दिवस मनाया गया | यह अंतरराष्ट्रीय जल दिवस 22 मार्च से अलग मनाया जाता है | भारत की संस्कृति ऐसी रही है जहां हर दिन किसी गांव मोहल्ले कस्बे में नव प्रसूता महिला 40 वें दिन नवजात को गोद में लेकर गांव मोहल्ले की […]
__________________जरा सी समस्या जीवन में आई नहीं मनुष्य फांसी के फंदे पर झूल जाता है… जीवन में प्रतिकूलता कष्ट रोग महामारी के सामने आत्मसमर्पण कर देता……….| जगत विश्वकर्मा भगवान ने हम मनुष्य को अकेले नहीं बनाया है हमारे साथ बहुत से जीव जंतुओं की सृष्टि भी उसने की है जिनमें कुछ जलचर हैं कुछ थलचर […]
डॉ0 राकेश राणा जीवन की दृष्टि से पर्यावरण मानव के लिए सर्वोच्च जरुरत है। जल, जंगल और जीमीन तीनों उसके प्रमुख आधार है। विकास के माजुदा मॉडल की विफलता यह कि जीवन के इन तीनों आधारों को प्रदूषण ने लील दिया है। यही वजह है आज देश की आबादी का बडा हिस्सा स्वच्छ व सुरक्षित […]
ललित गर्ग स्वार्थी और सुविधा भोगी मनुष्य प्रकृति से दूर होता जा रहा है। उसकी लोभ की वृत्ति ने प्रकृति एवं पृथ्वी को बेरहमी से लूटा है। इसीलिए पर्यावरण की समस्या दिनोंदिन विकराल होती जा रही है। न हवा स्वच्छ है, न पानी। तेज शोर आदमी को मानसिक दृष्टि से विकलांग बना रहा है। विश्व […]
पर्यावरण प्रकृति का हिस्सा है|प्रकृति व पर्यावरण एक दूसरे के पूरक हैं |प्रकृति के बिना पर्यावरण की परिकल्पना नहीं की जा सकती|प्रकृति दो शब्दों से मिलकर बनी है – प्र और कृति|प्र अर्थात प्रकृष्टि (श्रेष्ठ/उत्तम) और कृति का अर्थ है रचना |ईश्वर की श्रेष्ठ रचना अर्थात सृष्टि|प्रकृति से सृष्टि का बोध होता है |प्रकृति अर्थात […]
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””” अमर वैचारिक क्रांतिकारी ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश के तीसरे समुल्लास (chapter)में ऋषि दयानंद महाराज हवन (अग्निहोत्र )के विषय में लिखते हैं… शंकालु शंका उठाता है | होम/ हवन से क्या उपकार होता है ? ऋषि दयानंद कहते हैं….” सब लोग जानते हैं कि दुर्गंध युक्त वायु और जल से रोग, रोग से प्राणियों को दुख […]
★ 3000 पेड़ लगाकर मरुस्थल को किया हरा भरा , आज देश में आदर्श बने हैं दोनों भाई बहन ……………………………………………….. राकेश छोकर / नई दिल्ली …………………………………………….. दृढ़ इरादों औऱ बुलंद हौसलों से कठिन से कठिन मंजिल भी आसान हो जाती है, असंभव सी लगती मंजिल को भी सहज हासिल किया जा सकता हैं। यूं ही […]
सुखदु:खयोश्च ग्रहणाच्छिन्नस्य च विरोहणात्| जीवं पश्यामि वृक्छाणामचैतन्यं न विघते|| शांति पर्व||10 मई 1901 को पूरी दुनिया के वनस्पति शास्त्री जीव वैज्ञानिक दांतो तले उंगलियां दबा लेते हैं जब प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु अपने द्वारा अविष्कार किए गए यंत्र क्रिस्कोग्राफ से वृक्षों में जीवन सिद्ध कर देते हैं | जगदीश चंद्र बोस के अनुसार […]