प्रस्तुति – शिवा सैन भारतीय ऋषियों ने मानव-मस्तिष्क को उचित दिग्दर्शन कराने के लिए वेद-संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक उपनिषद्, पुराण, प्रभृति उत्कृष्ट ग्रंथों की उद्भावना की, जिससे मानव-समुदाय समष्टिगत चिंतन में निरत रहते हुए, सामाजिक सद्भाव बनाए रखे और प्रकृति में अंगीभूत ‘जीयो और जीने दो’ के विधान का पालन करते हुए, विकास के प्रत्येक सोपान […]
Category: पर्यावरण
भारत के नियंत्रक और लेखा महानिरीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी योजनाएं प्रतिदिन प्रति व्यक्ति चार बालटी स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के निर्धारित लक्ष्य का आधा भी आपूर्ति करने में सफल नहीं हो पायी हैं। आज़ादी के 70 वर्षों के पश्चात, देश की आबादी के एक बड़े भाग के घरों में पीने के लिए स्वच्छ […]
एक अनुमान के अनुसार, देश में वर्ष 2050 तक शहरों की आबादी 80 करोड़ का आंकड़ा पार कर जाएगी। यानी, उस समय की देश की कुल आबादी के 50 प्रतिशत से अधिक और आज की शहरी आबादी से लगभग दुगुनी यथा भारत एक शहरी देश के तौर पर उभर कर सामने आ जाएगा। आज, 2011 […]
‘उगता भारत’ डेस्क यह डर स्वाभाविक है कि अगर इन सिफारिशों को ज्यों का त्यों लागू कर दिया गया तो हर परियोजना की लागत इतनी बढ़ जाएगी कि न सिर्फ उन्हें बना रही कंपनियों बल्कि सरकारों के भी दिवालिया होने का खतरा पैदा हो जाएगा। फिर भी हमें इतना तो स्वीकार करना ही पड़ेगा कि […]
आइए जानें, क्या है ग्रीन एनर्जी ?
विनीत त्रिपाठी दो साल पहले की एक स्टडी में तब तक की खोजों के आधार पर अनुमान लगाया गया था कि दुनिया की तात्कालिक तेल जरूरतें पूरी करने भर की हाइड्रोजन पैदा करने के लिए सोलर फ्यूल रिग्स को 63,000 वर्ग मील (लगभग बिहार जितना) समुद्री क्षेत्र कवर करना होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने […]
व्योमेश चन्द्र जुगरान उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले के बारसू गांव में एक किसान ने तालाब बनाकर 50 किलो ट्राउट मछली का उत्पादन किया है। यह मछली वह गांव में ही बेच रहा है और खरीदार बड़े आराम से उसे 1200 से 1500 रुपए प्रति किलो दे रहे हैं। अगर थोड़ा सा सरकारी सपोर्ट मिल […]
ललित गर्ग दमघोंटू प्रदूषण की चादर में लिपटी हुई है दिल्ली, मगर सरकारों को कोई फर्क नहीं पड़ता इन दिनों दिल्ली में तेज हवा की वजह से पारे में तेज गिरावट तो आई और उससे ठंड की तस्वीर और बिगड़ी, मगर उससे हवा के साफ होने की भी गुंजाइश बनी थी। अब एक बार […]
ओ३म् ========== मनुष्य मननशील प्राणी को कहते हैं। मननशील होने से ही दो पाये प्राणी की मनुष्य संज्ञा है। मननशीलता का गुण जीवात्मा के चेतन होने से मनुष्य रूपी प्राणी को प्राप्त हुआ है। जड़ पदार्थों को सुख व दुख तथा शीत व ग्रीष्म का ज्ञान नहीं होता। मनुष्य का आत्मा ज्ञान प्राप्ति तथा कर्म […]
कई अनुसंधान प्रतिवेदनों के माध्यम से अब यह सिद्ध किया जा चुका है कि वर्तमान में अनियमित हो रहे मानसून के पीछे जलवायु परिवर्तन का योगदान हो सकता है। कुछ ही घंटों में पूरे महीने की सीमा से भी अधिक बारिश का होना, शहरों में बाढ़ की स्थिति निर्मित होना, शहरों में भूकम्प के झटके […]
ओ३म् ============ मनुष्य चेतन प्राणी है। चेतन होने के कारण इसे सुख व दुख की अनुभूति होती है। सभी मनुष्य सुख चाहते हैं, दुःख प्राप्त करना कोई मनुष्य नहीं चाहता। ऐसा होने पर भी अनेक कारणों से हमें सुख व दुःख दोनों ही प्राप्त होते हैं। मनुष्य को सुख प्राप्त करने के लिये प्रयत्न व […]