बिसोन्दू का यह सघन हरा भरा वृक्ष ग्रेटर नोएडा के बूढ़े मकोड़ा गांव की निशानी स्थल पर खड़ा हुआ है। बिशोन्दू का यह वृक्ष दिल्ली एनसीआर का कल्पवृक्ष है इसकी पत्तियां छोटी नुकीली होती हैं। भयंकर गरम सूखे वातावरण में भी हरा-भरा रहता है जैसे ही सावन लगता है इसके जामुन के आकार के फल […]
श्रेणी: पर्यावरण
मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया के अनुसार, पर्यावरण शब्द ‘परि+आवरण’ के संयोग से बना है। ‘परि’ का आश्य चारों ओर तथा ‘आवरण’ का आश्य परिवेश है। पर्यावरण के दायरे में इसलिए वनस्पतियों, प्राणियों और मानव जाति सहित सभी सजीवों और उनके साथ संबंधित भौतिक परिसर को शामिल किया जाता है। वास्तव में पर्यावरण में जल, अग्नि, वायु, […]
कलराज मिश्र जैसे-जैसे हम भौतिकता की अंधी दौड़ में आगे बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे आपदाओं को निमंत्रण देने लगे हैं। अभी कोविड के जिस भयावह दौर को हम सभी झेल रहे हैं उसके मूल में भी विकास की उपभोक्तावादी सोच ही प्रमुख है। याद रखें, प्रकृति और जीवन की उपेक्षा कर विकास को गति देने […]
जीव को होने वाले दु:खों के कारण क्या हैं ? जीवन में दुख कोई नहीं चाहता। सब सुख को तरसते हैं। यह अलग बात है कि सुख की चाह रखने वाला मानव दुख प्राप्ति के ही कार्यों में लगा रहता है। यह एक अबूझ पहेली बनी हुई है कि दुखों के मार्ग पर चलने वाला […]
अनु जैन रोहतगी इस बार जापान के लोग अपने राष्ट्रीय फूल सकूरा, यानी चैरी ब्लॉसम के खिलने पर ज्यादा खुश नहीं हुए। कई शताब्दी बाद ऐसा हुआ कि ये फूल बहुत जल्दी खिल गए। जो पीक 15-20 अप्रैल के आसपास आनी थी, वह 26 मार्च को ही आ गई। ओसाका यूनिवर्सिटी की ओर से इकट्ठा […]
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने पिछले दिनों देश में आगामी मानसून की स्थिति को लेकर अनुमान जारी किया है। हालांकि एक समय था जब मौसम विभाग की भविष्यवाणी कुछ और कहती थी और वास्तविकता में कुछ और होता था। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर द्वारा सारे रिकार्ड तोड़ने के बीच अच्छे […]
योगेश कुमार गोयल प्रकृति कभी समुद्री तूफान तो कभी भूकम्प, कभी सूखा तो कभी अकाल के रूप में अपना विकराल रूप दिखाकर हमें निरन्तर चेतावनियां देती रही है किन्तु जलवायु परिवर्तन से निपटने के नाम पर वैश्विक चिंता व्यक्त करने से आगे हम शायद कुछ करना ही नहीं चाहते। तमाम तरह की सुख-सुविधाएं और संसाधन […]
आज अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस है | जो वर्ष 2013 से प्रत्येक वर्ष 3 मार्च को मनाया जा रहा है| पृथ्वी पर इंसानों की आबादी 760 करोड़ है जो पृथ्वी पर पाए जाने वाले पूरे जीवो का महज 0.01 प्रतिशत है लेकिन दुखद आश्चर्य यह है इंसानों ने पूरी पृथ्वी के 83 फ़ीसदी जंगली जानवरों […]
डॉ. राकेश राणा सृष्टि में हर एक चीज दूसरे से जुड़ी हुई है। कुछ भी अलग नहीं है। हर चीज का हर चीज पर प्रभाव भी पड़ता है। मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य व पर्यावरण भी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। यहां यह समझने की जरूरत है कि हमारा पर्यावरण हमारे स्वास्थ्य से कैसे जुड़ा है। स्वास्थ्य मात्र […]
विश्व इतिहास में सबसे पहले वर्ष 2000 बी.सी. में भारत के पश्चिमोत्तर क्षेत्रा (इसमें वर्तमान पाकिस्तान भी शामिल है) में सिंधु घाटी सभ्यता में सीवर तंत्रा के अवशेष पाए गए। इन शौचालयों में मल को पानी द्वारा बहा दिया जाने की व्यवस्था थी। इन्हें ढंकी हुई नालियों से जोड़ा हुआ था। इस कालखंड में विश्व […]