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पर्यावरण

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की रिपोर्ट के अनुसार वृक्षों की प्रजातियों के लिए बढ़ते खतरे

हाल ही में आईयूसीएन यानी कि अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ द्वारा ग्लोबल ट्री असेसमेंट रिपोर्ट जारी की गई है जो यह बताती है कि तीन में से एक वृक्ष प्रजाति विलुप्त होने के खतरे में है। उल्लेखनीय है कि आईयूसीएन रेड लिस्ट जानवरों, कवक और पौधों की प्रजातियों के बीच विलुप्त होने के जोखिम का […]

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जहरीली गैस से बढ़ी लोगों की मुश्किलें

-ललित गर्ग- दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में अभी दीपावली आने में कुछ दिन है, उससे पहले ही जहरीली हवा एवं वायु प्रदूषण से उत्पन्न दमघोटू माहौल का संकट जीवन का संकट बनने लगा हैं और जहरीली होती हवा सांसों पर भारी पड़ने लगी है। एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआइ बहुत खराब की श्रेणी में पहुंच […]

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राजस्थान : पानी की कमी से प्रभावित होती खेती और पशुपालन जमना शर्मा

लूणकरणसर, राजस्थान राजस्थान का रेगिस्तान अपनी कठोर जलवायु और सूखे के लिए जाना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में पानी की कमी ने इस मुद्दे को और भी गंभीर बना दिया है. जलवायु परिवर्तन और जल प्रबंधन में कमी यहां के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए लगातार एक बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं. अनियमित […]

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22 सितम्बर विश्व नदी दिवस पर विशेष- नदियां हैं तो जल है..जल है तो कल है

सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” एवीके न्यूज सर्विस बढ़ते हुए प्रदूषण की वजह से नदियों का जल दुषित प्रदूषित होता जा रहा है एक पुरानी कहावत है की “नदियां सब कुछ बदल सकती हैं”! गत वर्ष के नदी दिवस का थीम इसी वाक्य को लेकर रखा गया था। भारत नदियों की धरती है। भारत और बांग्लादेश […]

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“*कौवों का समाजशास्त्र*”

लेखक आर्य सागर खारी लोक ने कौवे के साथ सामाजिक प्राणिगत न्याय नहीं किया । काले रंग के तो बहुत से अन्य जीव जंतु है लेकिन जब किसी इंसान के रंग की निकृष्ट भाव में उपमा दी जाती है तो उसे कौवा जैसा काला बताया जाता है मानो कौवा ही एकमात्र काला पक्षी है, काला […]

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पेड़ो की रक्षा के प्रबल पक्षधर थे- कौटिल्य*

(दिनेश चंद्र वर्मा – विनायक फीचर्स) वृक्षों की सुरक्षा के प्रति हम आज जिस चिंता और जागरूकता का परिचय दे रहे हैं, कौटिल्य ने यह चिंता सैकड़ों वर्ष पूर्व व्यक्त की थी तथा अपने अर्थशास्त्र में लिखा है कि जो व्यक्ति विपत्ति के समय के अतिरिक्त यदि साधारण दशा में वृक्ष समूहों (वनों) को किसी […]

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आखिर क्यों और कैसे जल रहे हैं जंगल?

बीना बिष्ट हल्द्वानी, उत्तराखंड उत्तराखंड को देश के चंद हरियाली वाले राज्यों के रूप में जाना जाता है. प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर इसका हर इलाका लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है. यही कारण है कि यहां के विभिन्न पर्यटक स्थलों पर वर्ष भर देश विदेश के पर्यटकों का तांता लगा रहता है. लेकिन […]

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प्रकृति को भी नुकसान पहुंचा रही अधिक बारिश*

(सुनील कुमार महला-विनायक फीचर्स) भारत में जून ,जुलाई और अगस्त बारिश के महीने होते हैं और पिछले कुछ दिनों से पूरे उत्तर भारत में भारी बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। कहीं कहीं तो बारिश ने भारी तबाही मचाई है। सच तो यह है कि बारिश देश में इन दिनों आफ़त बनकर बरस […]

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अगले 10 वर्षों में जीवाश्म ईंधन का आयात 50% कम करने की भारत के लिए चुनौती

भारत ने 2023 में लगभग 125 बिलियन डॉलर का जीवाश्म ईंधन (क्रूड ऑयल, एलपीजी और सीएनजी) आयात किया था और 2024 में लगभग 101 बिलियन डॉलर का जीवाश्म ईंधन आयात किया था। संसद की 2023- 24 की स्टैंडिंग समिति ने अपने रिपोर्ट में इंटरनेशनल एनर्जी एसोसिएशन (IEA) का हवाला देकर कहा है कि 2040 तक […]

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प्रकृति का रौद्र रुप मानव के मनमाने आचरण का परिणाम*

(मनोज कुमार अग्रवाल -विनायक फीचर्स) हिमाचल के शिमला, कुल्लू ,किन्नौर ,उत्तराखंड के हरिद्वार, देहरादून ,चमोली में बादल फटने की घटनाओं में करीब 25 से अधिक लोगों की मौत हो गई है जबकि एक सौ लोग लापता हैं वहीं केरल के वायनाड जिले में बीते 30 जुलाई मंगलवार को मेप्पाडी के पास विभिन्न पहाड़ी इलाकों में […]

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