Categories
पर्यावरण

भारत में गर्मी का जल्दी आना और लू का बढ़ना

डॉ. सत्यवान सौरभ बढ़ते तापमान से कृषि, जल संकट, सार्वजनिक स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। फरवरी में असामान्य रूप से अधिक गर्मी, रात के तापमान में वृद्धि, समुद्री तापमान का असर और शहरी हीट आइलैंड प्रभाव इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं। इसका असर शिक्षा, श्रम उत्पादकता और खाद्य […]

Categories
पर्यावरण

कुआँ सूखने पर ही पता चलता है पानी की कीमत

कहावत “जब तक कुआँ सूख नहीं जाता, हमें पानी की कीमत का पता नहीं चलता” हमें इस बात की याद दिलाती है कि हमें अपने जीवन और संसाधनों के प्रति जागरूक और कृतज्ञ रहना चाहिए। चाहे वह जल हो, प्रेम हो, स्वतंत्रता हो या स्वास्थ्य, हमें इनका सम्मान और संरक्षण करना चाहिए ताकि आने वाली […]

Categories
पर्यावरण

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की रिपोर्ट के अनुसार वृक्षों की प्रजातियों के लिए बढ़ते खतरे

हाल ही में आईयूसीएन यानी कि अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ द्वारा ग्लोबल ट्री असेसमेंट रिपोर्ट जारी की गई है जो यह बताती है कि तीन में से एक वृक्ष प्रजाति विलुप्त होने के खतरे में है। उल्लेखनीय है कि आईयूसीएन रेड लिस्ट जानवरों, कवक और पौधों की प्रजातियों के बीच विलुप्त होने के जोखिम का […]

Categories
पर्यावरण

जहरीली गैस से बढ़ी लोगों की मुश्किलें

-ललित गर्ग- दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में अभी दीपावली आने में कुछ दिन है, उससे पहले ही जहरीली हवा एवं वायु प्रदूषण से उत्पन्न दमघोटू माहौल का संकट जीवन का संकट बनने लगा हैं और जहरीली होती हवा सांसों पर भारी पड़ने लगी है। एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआइ बहुत खराब की श्रेणी में पहुंच […]

Categories
पर्यावरण

राजस्थान : पानी की कमी से प्रभावित होती खेती और पशुपालन जमना शर्मा

लूणकरणसर, राजस्थान राजस्थान का रेगिस्तान अपनी कठोर जलवायु और सूखे के लिए जाना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में पानी की कमी ने इस मुद्दे को और भी गंभीर बना दिया है. जलवायु परिवर्तन और जल प्रबंधन में कमी यहां के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए लगातार एक बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं. अनियमित […]

Categories
पर्यावरण

22 सितम्बर विश्व नदी दिवस पर विशेष- नदियां हैं तो जल है..जल है तो कल है

सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” एवीके न्यूज सर्विस बढ़ते हुए प्रदूषण की वजह से नदियों का जल दुषित प्रदूषित होता जा रहा है एक पुरानी कहावत है की “नदियां सब कुछ बदल सकती हैं”! गत वर्ष के नदी दिवस का थीम इसी वाक्य को लेकर रखा गया था। भारत नदियों की धरती है। भारत और बांग्लादेश […]

Categories
पर्यावरण

“*कौवों का समाजशास्त्र*”

लेखक आर्य सागर खारी लोक ने कौवे के साथ सामाजिक प्राणिगत न्याय नहीं किया । काले रंग के तो बहुत से अन्य जीव जंतु है लेकिन जब किसी इंसान के रंग की निकृष्ट भाव में उपमा दी जाती है तो उसे कौवा जैसा काला बताया जाता है मानो कौवा ही एकमात्र काला पक्षी है, काला […]

Categories
पर्यावरण

पेड़ो की रक्षा के प्रबल पक्षधर थे- कौटिल्य*

(दिनेश चंद्र वर्मा – विनायक फीचर्स) वृक्षों की सुरक्षा के प्रति हम आज जिस चिंता और जागरूकता का परिचय दे रहे हैं, कौटिल्य ने यह चिंता सैकड़ों वर्ष पूर्व व्यक्त की थी तथा अपने अर्थशास्त्र में लिखा है कि जो व्यक्ति विपत्ति के समय के अतिरिक्त यदि साधारण दशा में वृक्ष समूहों (वनों) को किसी […]

Categories
पर्यावरण

आखिर क्यों और कैसे जल रहे हैं जंगल?

बीना बिष्ट हल्द्वानी, उत्तराखंड उत्तराखंड को देश के चंद हरियाली वाले राज्यों के रूप में जाना जाता है. प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर इसका हर इलाका लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है. यही कारण है कि यहां के विभिन्न पर्यटक स्थलों पर वर्ष भर देश विदेश के पर्यटकों का तांता लगा रहता है. लेकिन […]

Categories
पर्यावरण

प्रकृति को भी नुकसान पहुंचा रही अधिक बारिश*

(सुनील कुमार महला-विनायक फीचर्स) भारत में जून ,जुलाई और अगस्त बारिश के महीने होते हैं और पिछले कुछ दिनों से पूरे उत्तर भारत में भारी बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। कहीं कहीं तो बारिश ने भारी तबाही मचाई है। सच तो यह है कि बारिश देश में इन दिनों आफ़त बनकर बरस […]

Exit mobile version