शतरंज सिखाने वाली अनुराधा बेनीवाल अपने वक़्त को ब्रिटेन और भारत के बीच में बांटती हैं. वो अलग-अलग महाद्वीपों में मौजूद छात्रों को शतरंज सिखाती हैं। लंदन के महंगे स्कूल से लेकर भारत के दूर-दराज़ के इलाक़े में रहने वाले ग़रीब बच्चों तक उनके यहां हर तरह के बच्चे सीखते हैं. लेकिन, कोविड-19 ने उनके […]
Category: शिक्षा/रोजगार
प्रियंका सौरभ दरअसल सरकारी स्कूल फेल नहीं हुए हैं बल्कि यह इसे चलाने वाली सरकारों, नौकरशाहों और नेताओं का फेलियर है. सरकारी स्कूल प्रणाली के हालिया बदसूरती के लिए यही लोग जिम्मेवार है जिन्होंने निजीकरण के नाम पर राज्य की महत्वपूर्ण सम्पति का सर्वनाश कर दिया है. वैसे भी वो राज्य जल्द ही बर्बाद हो […]
कोरोना वायरस महामारी ने पूरी दुनिया में सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं को जब ध्वस्त कर दिया है तब ऐसे समय में, भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी इस समय को भारत के लिए एक मौके की तरह देख रहे हैं। इसी कड़ी में माननीय प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संबोधन में पहली बार ‘लोकल […]
रमेश कुमार पहले जहाँ शिक्षा श्यामपट, कापी-पुस्तकों तक सीमित थी आज वह मोबाइल, टैब, लैपटाप, कंप्यूटर के जरिए जहाँ-तहाँ पहुँच गयी है। यही कारण है कि देश की अब तक की जितनी भी शिक्षा नीतियाँ हैं, वे तकनीकी व सांकेतिक रूप से शिक्षा को सुदृढ़ बनाने पर जोर देती रहीं। इस दुनिया में एक ही […]
ओ३म् ============= किसी भी देश की उन्नति, सुरक्षा व सामर्थ्य उसकी युवा पीढ़ी के नैतिक व चारित्रिक गुणों पर निर्भर करती है। बच्चों व युवाओं में यह गुण अपने प्रारब्ध, अपने माता-पिता तथा परिवेश सहित अपने आचार्यों व विद्यालयों की शिक्षा से आते हैं। देश की आजादी के बाद धर्मनिरेक्षता और प्रधानमंत्री का एक विचारधारा […]
संतोष पाठक यह सर्वविदित तथ्य है कि देश का हर अभिवावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में ही पढ़ाना चाहता है। दूसरी ओर प्राइवेट स्कूलों का आलम तो यह है कि वो हर कीमत पर बच्चों की पढ़ाई के नाम पर उनके अभिभावकों की जेबें ढीली करता रहता है। कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते […]
1857 की क्रांति के पश्चात अंग्रेजों ने भारत के लिए 1858 का भारत शासन अधिनियम लागू किया। इसके बाद 1861 में भारत परिषद अधिनियम, 1892 में भारत परिषद अधिनियम, 1909 में मार्लेमिंटो सुधार और भारतीय परिषद अधिनियम, 1919 में भारत सरकार अधिनियम, और 1935 में पुन: भारत शासन अधिनियम, कुल छह अधिनियम लागू किये। दूसरे […]
नये भारत के निर्माण की नींव में बैठा इंसान सिर्फ हिंसा की भाषा में सोचता है, उसी भाषा मेें बोलता है और उससे कैसे मानव जाति को नष्ट किया जा सके, इसका अन्वेषण करता है। बदलते परिवेश, बदलते मनुज-मन की वृत्तियों ने उसका यह विश्वास और अधिक मजबूत कर दिया कि हिंसा हमारी नियति है, […]
तकनीकी शिक्षा बनाम रोजगार सृजन
वीरेंद्र पैन्यूली अब अधिकांश प्रथम स्तर के इंजीनियरिंग पासआउट छात्र-छात्राएं उच्च कोटी के प्रबंधन संस्थानों में स्पर्धा करके प्रबंधकीय सेवाओं में लगे होते हैं। तकनीकी छात्र ही सिविल सेवाओं में स्पर्धा करने में आगे आ रहे हैं। ये अव्वल छात्र शिक्षक भी कम ही बनना चाहते हैं। अत: उच्च गुणवत्ता वाले तकनीकी शिक्षकों की भी […]
घातक है शिक्षा और व्यापार का घालमेल
विजय शर्मा सरकारी इंजीनियरिंग, मेडिकल और तकनीकी शिक्षण संस्थानों की कमी के चलते प्रदेश में निजी गैर मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान कुकरमुत्तों की तरह उग आए हैं। ये युवाओं के साथ छल कर रहे हैं और जाने-अनजाने शासन-प्रशासन उसका भागीदार है। ऐसे संस्थानों एवं इन्हें चलाने वालों के खिलाफ कठोर कदम उठाने की जरूरत हैज् […]