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शिक्षा/रोजगार

पीएचडी परीक्षा के नए मानक क्या होने चाहिए

प्रियंका सौरभ नेट पर बढ़ती निर्भरता अनजाने में भारत में शोध के दायरे को सीमित कर सकती है। अनुसंधान विचार, कार्यप्रणाली और परिप्रेक्ष्य की विविधता पर पनपता है। नेट जैसे मानकीकृत परीक्षण, जो आलोचनात्मक सोच पर याद रखने को प्राथमिकता देते हैं, ऐसे विद्वान पैदा कर सकते हैं जो परीक्षा उत्तीर्ण करने में माहिर हैं […]

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5 सितंबर शिक्षक दिवस के अवसर पर– शिक्षा व्यवस्था : क्या कहो कुछ खो गया है..अंकुरित सब हो जाएंगे

   _ सुरेश सिंह बैस शाश्वत  एवी के न्यूज सर्विस सर्वप्रथम क्यों न हम शिक्षा  पर प्रारंभ से ही अपनी बात प्रारंभ करें, ताकि हमको इसके तह तक जाते-जाते इसके प्रत्येक आयामों, प्रत्येक चरणों का पूर्ण परिचय प्राप्त हो जाय। सबसे पहले सवाल उठता है कि शिक्षा हम मनुष्यों के जीवन में क्यों आवश्यक है? और शिक्षा को क्यों महत्व […]

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शिक्षा/रोजगार

उच्च शिक्षा के संस्थागत विकास में चौहानों का कीर्तिमान

**! लेखक आर्य सागर खारी सर्वेषां एव दानानां ब्रह्मदानं विशिष्यते अर्थात सब दानों में विद्या का दान सर्वश्रेष्ठ है। हमारी वैदिक संस्कृति में विद्या के दान को सर्वोपरि माना गया है अन्य सब दान छात्रवृत्ति भोजन आवास आदि विद्या के दान में ही सहयोगी बनते हैं। उत्तर भारत में माध्यमिक शिक्षा के पश्चात कॉलेज एजुकेशन […]

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शिक्षा/रोजगार

*कितनी प्रभावी परिणामदायक दायक होती हैं, पेरेंट्स टीचर मीटिंग*?।

लेखक आर्य सागर खारी यह दृश्य है ग्रेटर नोएडा के एक नामी प्राइवेट स्कूल का,अवसर है पेरेंट्स टीचर मीटिंग का। पेरेंट्स टीचर मीटिंग या पीटीएम प्रत्येक तिमाही या मासिक स्तर पर या हर 2 महीने में आयोजित की जाती है स्कूलों में। आज मैंने अलग-अलग आयु वर्ग के बच्चों की पीटीएम इंटरेक्शन को नजदीक से […]

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रोजगार को गांव तक पहुंचाने की जरूरत है

कृष्णा कुमारी मीणा अजमेर, राजस्थान “मैंने 12वीं तक विज्ञान विषय से पढ़ाई की है. फिर घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण रोज़गार की तलाश करने लगा. लेकिन मुझे कहीं भी नौकरी नहीं मिली. जिसके बाद मुझे मार्बल फैक्ट्री में मज़दूर के रूप में काम करना पड़ रहा है. रोज़गार की तलाश में […]

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आज का चिंतन शिक्षा/रोजगार

भारतीय शिक्षा का सर्वनाश

अंग्रेजों के भारत आने से पूर्व योरूप के किसी भी देश में इतना शिक्षा का प्रचार नहीं था जितना कि भारत वर्ष में था। भारत विद्या का भण्डार था। सार्वजनिक शिक्षा की दृष्टि से भारत सब देशों का शिरोमणि था। उस समय असंख्य ब्राह्मण प्राचार्य अपने – अपने कुल में शिष्यों को शिक्षा देते थे। […]

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शिक्षा के लिए संघर्ष करती किशोरियां

निरमा अजमेर, राजस्थान हमारे देश में महिलाओं और किशोरियों को आज भी जीवन के किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए पितृसत्तात्मक समाज से संघर्ष करनी पड़ती है. कभी आधुनिकता और कभी संस्कृति एवं परंपरा के नाम पर उसके पैरों में बेड़ियां डालने का काम किया जाता रहा है. शिक्षा, हर रुकावट को दूर […]

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संघ शिक्षावर्ग – राष्ट्रसाधना के प्रशिक्षण का प्रसंग

प्रवीण गुगनानी, सलाहकार, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार 9425002270 ग्रीष्म की छूट्टियों में जब कि सामान्यतः लोग किसी पहाड़, पठार, ठंडे स्थान जैसे सुरम्य स्थान पर या होटल के वातानुकूलित कमरों में जाकर आराम करना पसंद करते हैं, तब देश का एक बड़ा वर्ग अपनी स्वरुचि से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अभ्यास वर्गों में जाकर पंद्रह-बीस […]

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लड़कियों को पढ़ाने के लिए क्यों गंभीर नहीं है समाज?

ऋचा पांडे पटना, बिहार पिछले कुछ वर्षों में बिहार में जिन क्षेत्रों में सबसे अधिक बदलाव और प्रगति हुई है उसमें शिक्षा का क्षेत्र प्रमुख है. समय पर शिक्षकों के आने और सभी कक्षाओं का समय पर संचालित होने से स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ने लगी है. शहर ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में […]

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पर्याप्त सुविधाओं के अभाव से प्रभावित होती बालिका शिक्षा

आशा नारंग अलवर, राजस्थान हाल ही में आईसीएसई समेत विभिन्न राज्यों के दसवीं और बारहवीं के परिणाम घोषित हुए हैं, जिनमें बड़ी संख्या में छात्राओं ने उम्मीद से कहीं अधिक बढ़कर प्रदर्शन किया है. यह आंकड़े बताते हैं कि यदि अवसर और सुविधाएं प्रदान किये जाएं तो लड़कियां भी किसी भी परिणाम को अपने पक्ष […]

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