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संपादकीय

‘जयप्रकाश के लिए धधकता गंगाजल है’

अभी हमने लोकनायक जयप्रकाश नारायण को उनकी जयंती के अवसर पर याद किया है। उन्हें आपातकाल का लोकनायक माना गया है, उनके नाम के स्मरण मात्र से आपातकाल की स्मृतियां और आपातकाल के प्रति जिज्ञासाएं अनायास ही उभर आती हैं। आपातकाल की घोषणा के विषय में यह प्रश्न भी स्वाभाविक रूप से आता है कि […]

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संपादकीय

भारत में अल्पसंख्यक कोई नहीं (भाग-2)

हमें यह विचार करना चाहिए कि जैसे मानव शरीर जड़ और चेतन का अद्भुत संगम है, उसमें प्रकृति के पंचतत्व से बना नश्वर शरीर तथा अजर अमर-अविनाशी, आत्मा साथ-साथ रहते हैं उसी प्रकार कत्र्तव्य और अधिकारों का सम्बन्ध् है। कत्र्तव्य हमारी चेतना शक्ति शरीर में आत्मतत्व से जुड़े हैं जबकि अधिकार हमारे शरीर की इच्छाओं […]

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संपादकीय

भारत में अल्पसंख्यक कोई नहीं

अपने नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करना और उनके विकास के सभी अवसर उपलब्ध् कराना संसार के प्रत्येक देश की सरकार की अनिर्वायत: बाध्यता है। क्योंकि नागरिकों को विकास के सभी अवसर उपलब्ध् कराना और मानवीय गरिमा को मुखरित और विकसित करने के लिए ही राज्य की उत्पत्ति हुई थी। विश्व का इतिहास ऐसे दो […]

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संपादकीय

आरक्षण नही:आर्थिक विकास

देश के शिक्षण संस्थानों में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के सरकारी प्रस्ताव के विरोध में अपना आंदोलन तेज करते हुए मेडिकल व इंजीनियरिंग छात्रों ने कुछ दिनों पूर्व सारे राष्ट्र का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया था। आज फिर आरक्षण का विरोध हो रहा है। वैसे आरक्षण का विरोध देश में पहली बार नही हो […]

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मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और विधायकों की वेतन वृद्घि

अरविंद केजरीवाल ने जब से दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है, तब से ही वह किसी न किसी प्रकार के विवादों में रहे हैं। दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग से उन्होंने ‘जंग’ छेड़ी जो अब भी जारी है। इसी प्रकार उन्होंने दिल्ली पुलिस से भी दो-दो हाथ करने चाहे। वह जो कुछ भी करते […]

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तिब्बत से लेकर नेपाल तक

1947 से पूर्व भारत जब अपना स्वतंत्रता संग्राम लड़ रहा था, तब चीन की जनता का नैतिक समर्थन भारत के साथ था। उसे भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के साथ सहानुभूति थी। 1949 में जब चीन में कम्युनिस्ट क्रांति हुई तो भारत ने भी उस क्रांति का स्वागत किया था। सोवियत रूस और उसके सहयोगी देशों […]

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मुख्यमंत्री के ‘चचा आजम खां’

दादरी फिर चर्चा में है। मीडिया ने मीडिया धर्म निभाया और दादरी को अखबारों की सुर्खियों में ला दिया है। मीडिया और नेताओं ने दादरी का ‘दर्द भरा सच’ समझने का प्रयास नही किया। अपनी-अपनी व्याख्याएं, अपने-अपने तर्क और अपने-अपने बयान दिये जा रहे हैं। गौतमबुद्घ नगर से भाजपा सांसद और केन्द्रीय मंत्री डा. महेश […]

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संपादकीय

‘नेपाल पर मोदी का मौन’

नेपाल हमारा सर्वाधिक विश्वसनीय साथी रहा है। आजकल यह देश अपनी परंपरागत ‘हिंदू राष्ट्र’ की छवि को नीलाम कर एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनने की तैयारी कर चुका है। इसने अपने नये संविधान में अपनी यह इच्छा प्रकट कर दी है कि अब उसे ‘हिंदू राष्ट्र’ ना समझा जाए और एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में […]

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जब ‘स्वराज्य’ के संपादकों ने जलाये रखी स्वतंत्रता की दीपशिखा

चाहे ब्रिटिश सत्ताधीशों ने भारत के विक्षोभ और विद्रोह की हवा निकालने के लिए कांग्रेस जैसा संगठन भी खड़ा कर लिया था, परंतु भारतीयों का विक्षोभ और विद्रोह था कि शांत होने का नाम नही लेता था। अपने महान क्रांतिकारियों के महान कृत्यों का अवलोकन करने से  और उनके विषय में पढऩे से ही स्पष्ट […]

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संपादकीय

हामिद साहब के अच्छे विचार

भारत के संविधान के विषय में जीआईसी हरदोई में कौमी एकता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने यह उचित ही कहा है कि भारतवासियों के लिए अपना संविधान ही एक धार्मिक पुस्तक है। वस्तुत: उपराष्ट्रपति के इस कथन में भारत की आत्मा के दर्शन होते हैं। भारत का मूल संविधान (जिसे विश्व […]

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