भारत के जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं-उनमें से उत्तर प्रदेश की राजनीतिक स्थिति पर हम प्रकाश डाल चुके हैं। अब आते हैं उत्तराखण्ड पर। उत्तराखण्ड 9 नवंबर 2000 से पूर्व उत्तर प्रदेश का ही एक अंग रहा है। पुराणों में इसका प्राचीन नाम केदारखण्ड एवं मानस खण्ड मिलता है। केदार […]
Category: संपादकीय
चुनावी बिगुल और उत्तर प्रदेश
पांच राज्यों के लिए विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है। जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, उनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पंजाब, गोवा और मणिपुर हंै। इन सबमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण प्रदेश उत्तर प्रदेश ही है। यहां पिछले पांच वर्ष से समाजवादी पार्टी का शासन है। यह प्रदेश जनसंख्या की दृष्टि से […]
प्रधानमंत्री के सिर पर ईनाम
पश्चिमी बंगाल में इस समय ममता बैनर्जी का शासन है। जब से इन्होंने पश्चिमी बंगाल में शासन सत्ता अपने हाथों में संभाली है, तब से वहां आतंकी घटनाएं बढ़ गयीं हैं, कई लोगों के हौसले बढ़ गये हैं और अब वहां की एक मस्जिद के इमाम ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सिर कलम […]
दिल्ली को ‘स्वर्ग’ बनाने के पश्चात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल अब पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के सपने देखने लगे हैं। हम उनके इन सपनों को मुंगेरीलाल के हसीन सपने नहीं कहेंगे, क्योंकि सपने देखना हर व्यक्ति नैसर्गिक अधिकार है, और लोकतंत्र व्यक्ति के सपनों का न केवल सम्मान करता है, अपितु उन्हें साकार कराने […]
इस समय सभी प्रदेश वासियों के मन मस्तिष्क में एक ही प्रश्न कौंध रहा है कि इस बार प्रदेश के सिंहासन का स्वामी कौन बनने जा रहा है? सपा के कलह ने राजनैतिक समीकरणों को कुछ हिलाया तो है, पर इस सारे घटनाक्रम से अखिलेश यादव जिस प्रकार निपटे हैं और उन्होंने अपनी सपा को […]
इधर हम सभी नोटबंदी और उत्तर प्रदेश में सपा की नौटंकी देखने में व्यस्त रहे और उधर जम्मू कश्मीर की विधानसभा में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने एक बार पुन: राष्ट्रगान का अपमान कर डाला। इधर हम पांच राज्यों के चुनावों की तैयारियां कर रहे हैं और उधर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला […]
हमारे देश में प्रजातंत्र की मजबूत जड़ों के होने की बात अक्सर कही जाती है, पर जब हम उत्तर प्रदेश में हो रही राजनीति की वर्तमान दुर्दशा के चित्रों को बार-बार घटित होते देखते हैं, तो यह विश्वास नहीं होता कि भारत में प्रजातंत्र की गहरी जड़ें हैं। उत्तर प्रदेश सहित कई प्रदेशों को कुछ […]
कभी ‘कठोर’ कभी ‘मुलायम’
राजनीति कैसे-कैसे खेल कराती है और कैसे आदमी अपने ही बनाये-बुने मकडज़ाल में फंसकर रह जाता है-इसका जीता जागता उदाहरण मुलायम सिंह यादव हैं। एक समय था जब नेताजी भारत की राजनीति को प्रभावित करते थे और दिल्ली दरबार उनके आदेश की प्रतीक्षा किया करता था, आज वही व्यक्ति निढाल, बेहाल, थका मादा सा और […]
नववर्ष मनायें या नवसंवत्सरोत्सव
सृष्टि की उत्पत्ति का प्रकरण हर मनुष्य के लिए कौतूहल और जिज्ञासा का विषय सृष्टि के प्रारंभ से ही रहा है। इसके लिए कोई भी ऐसा प्रामाणिक साक्ष्य वेदों के अतिरिक्त संसार में प्राप्त होना असंभव है, जिससे इस जिज्ञासा की पूर्ण तृप्ति हो सके। वेद तो है ही सब सत्य विद्याओं की पुस्तक। अत: […]
राजनीतिक असहिष्णुता
आजकल देश में ‘असहिष्णुता’ कुछ अधिक ही चर्चा में है। ‘असहिष्णुता’ को लेकर यदि बात राजनीति की की जाए, तो यहां भी ‘असहिष्णुता’ का अपना ही इतिहास है। 1980 के बाद राजनीतिक ‘असहिष्णुता’ अधिक बढ़ी। कभी-कभी तो यह राजनीतिक अस्पृश्यता के रूप में भी देखी गयी। 1980 इंदिरा गांधी जब दोबारा प्रधानमंत्री बनीं तो विपक्ष […]