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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

भारत को जातियों में बांटने वाले मक्कार इतिहासकार

सहारनपुर दंगों के मर्म को समझने के लिए अपने इतिहास के इस सच को भी समझना होगा। भारत में आर्यों को विदेशी बताने वालों ने ही यहां गोरे-काले अथवा आर्य-द्राविड़ का भेद उत्पन्न किया। जिससे यह बात सिद्घ हो सके कि भारत में तो प्राचीन काल से ही गोरे-काले का भेद रहा है और यहां […]

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संपादकीय

राष्ट्रघाती मुस्लिम तुष्टिकरण-भाग-4

‘अधिकतम’ का उपाय सोचें इस प्रकार यह ‘न्यूनतम’ शब्द नई समस्याओं को उत्पन्न करने वाला शब्द है। इसके स्थान पर ‘अधिकतम’ शब्द का प्रयोग किया जाना चाहिए। जिसका अर्थ हो कि सभी दल ऐसे उन सभी बिंदुओं पर कार्य करेंगे जिनके आधार पर उन्होंने जनता से मत मांगा था। जिस दल के जितने अधिक सांसद […]

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संपादकीय

राष्ट्रघाती मुस्लिम तुष्टिकरण-भाग-3

विपक्षी नेताओं ने भी आदर्श छोड़े इसके पश्चात सन 1989 ई. में वी.पी. सिंह ने इसी गठबंधन के पूर्व परीक्षित प्रयोग का पुन: परीक्षण किया। किंतु इसका परिणाम भी न केवल वही हुआ अपितु शीघ्र ही वीपीसिंह को पद त्याग करना पड़ा। महाराजा वी.पी. सिंह 2 दिसंबर सन 1989 ई. से 10 नवंबर सन 1990 […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

मोदी सरकार के तीन वर्ष

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बने तीन वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। उनके लिए यह एकसुखद तथ्य है कि वह आज भी अपनी लोकप्रियता को वैसी ही बनाये हुए हैं जैसी सत्ता संभालते समय 2014 में थी। यह उनकी उपलब्धि भी कही जाएगी। दूसरे उनके लिए यह एक और प्रसन्नतादायक तथ्य है कि […]

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राजनीति संपादकीय

राष्ट्रघाती मुस्लिम तुष्टिकरण-भाग-2

राष्ट्रघाती मुस्लिम तुष्टिकरण-भाग-2 आज कुछ असामाजिक तत्व मजहब के नाम पर एक होकर देश को तोड़ रहे हैं। 12 राज्यों में नक्सलियों को कम्युनिस्टों का सहयोग और संरक्षण प्राप्त है। देश की आर्थिक नीतियों पर और कश्मीर के प्रश्न पर हम अमेरिकी दबाव में कार्य करते हैं। शिक्षानीति और देश की न्याय व्यवस्था पर सरकार […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

अलविदा-तीन तलाक

अलविदा-तीन तलाक हम एकऐतिहासिक और मौन क्रांति के साक्षी बन रहे हैं। भारत में मुस्लिम समाज में व्याप्त एकअभिशाप को हम मिटता देख रहे हैं। देश के भीतर जिस प्रकार इस अभिशाप को मिटाने के लिए मुस्लिम महिलाएं सामने आयीं और उनके इस सार्थक प्रयास को बहुत से मुस्लिम विद्वानों ने भी अपना समर्थन यह […]

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साबरमती के संत का चमत्कार – २

क्या उसने इसके उपाय किये हैं या कौन से अन्य उपाय किये जाने उसके पास शेष हैं? यदि उसके पास कुछ शेष है तो उसके विकल्प क्या हैं? हमारी जनता भी अपने राजनीतिज्ञों से ऐसे ही प्रश्न पूछे। उन्हें वास्तविक बिंदुओं पर लाने के लिए वह प्रेरित भी करे और बाध्य भी करे। ‘हवाई फायरों’ […]

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मुद्दा विशेष संपादकीय संपादकीय

आवश्यकता जलस्रोतों के बचाव की

देश व प्रदेश में जलस्तर गिरता जा रहा है, जो कि एक चिंता का विषय है। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने प्रदेश में जलस्रोत के नीचे खिसकने पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि खेत तालाब योजना के अंतर्गत 3338 तालाब खोदे जाएंगे। श्री शाही एक सुलझे हुए राजनीतिज्ञ हैं। वह […]

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संपादकीय

राष्ट्रघाती मुस्लिम तुष्टिकरण

जो बातें अंग्रेजों के काल में नहीं हो पायीं वे स्वतंत्र भारत में हो गयीं। यथा- नेहरू परिवार की व्यक्ति पूजा परक राजनीति। नेहरू परिवार की मुस्लिम परस्त राजनीति। नरसिम्हाराव के प्रधानमंत्री काल में मस्जिदों के मुल्लाओं का वेतन सरकारी कोष से दिये जाने की घोषणा। सन 1993 ई. में हज के लिए सरकारी सहायता […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

आवश्यकता है रामायण रेलमार्ग और उच्च राजपथ की

रामचंद्रजी महाराज भारत की संस्कृति के मर्यादा पुरूषोत्तम हैं, उनके बिना भारत की संस्कृति का जीवंत उदाहरण देना हमें कठिन हो जाएगा। भारत की मर्यादित संस्कृति की रक्षा कोई ऋषि, संत या महात्मा करे यह तो संभव है, पर इस कार्य को कोई राजवंशी राजपुरूष मर्यादित रहकर करे-यह अपने आप में एक महत्वपूर्ण बात है। […]

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