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राष्ट्रीय साक्षरता अभियान, भाग-2

फ्रायड का फ्राड और भारतीय शिक्षा फ्रायड नाम के विदेशी मनोवैज्ञानिक ने एक शब्द पकड़ लिया ङ्ख्रञ्जष्ट॥ वाच।  इसकी व्याख्या उसने करते हुए कहा कि देखो इसका प्रथम अक्षर ङ्ख कह रहा है कि ‘वाच यौर वर्डस’ अपने शब्दों पर ध्यान दें कि आप क्या कह रहे हैं? इसी प्रकार र से एक्शन ञ्ज से […]

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राष्ट्रीय साक्षरता अभियान

हमारे देश में लोगों को साक्षर करने का मिशन बड़े जोरों पर चलाया गया है। राजनीतिज्ञों ने इस अभियान का राजनीतिक लाभ और देश के नौकरशाहों ने आर्थिक लाभ उठाने का भी भरपूर प्रयास किया है। अपने इस प्यारे एवं ‘सारे जहां से अच्छे हिंदुस्तान’ में जिस प्रकार सडक़ें फाइलों में बन जाती हैं और […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

‘पत्थरबाजो! भारत छोड़ो,’ भाग-6

सोचने की बात यह है कि उनके कारनामे कितने घृणास्पद रहे होंगे, जबकि कंपनी के निदेशकों तक ने स्वीकार किया है कि भारत में व्यापार करके जो बड़ी से बड़ी संपत्ति पैदा की गयी उनमें उतना ही बड़ा अन्याय और जुल्म भरा हुआ है, जितना बड़ा जुल्म संसार के इतिहास में कहीं सुनने और पढऩे […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

‘पत्थरबाजो! भारत छोड़ो,’ भाग-5

(50) कोच्चीन, त्रावणकोर- इन दोनों क्षेत्रों में मुस्लिम शासन एक दिन भी नहीं रहा। जबकि 1857 ई. से यहां अंग्रेजी राज्य अवश्य आ गया। इस प्रकार के परिश्रम साध्य विषय को समझकर और देखकर हमें ज्ञात होता है कि अंग्रेजों का भारत में विस्तार सामान्यता 1820 ई. से बाद का है। उसमें भी अधिकांश 1857 […]

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छद्म धर्मनिरपेक्षता के साये में चलते इतिहास के कुछ झूठ, भाग-3

आत्मदाह की प्रवृत्ति यह आत्मदाह की ही प्रवृत्ति का एक स्वरूप है कि यहां का युवा वर्ग अपने गौरवपूर्ण अतीत से काट दिया गया है, या कट रहा है। इस भटकते हुए युवा मानस को यह बताना आज नितांत आवश्यक हो गया है कि उस भारत के वे महान जुझारू संघर्षशील राजा कौन थे जो […]

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पत्थरबाजो! भारत छोड़ो,’ भाग-4

पिछले लेखों में हम मध्य प्रदेश ‘हिंदी ग्रंथ अकादमी’ द्वारा प्रकाशित ‘भारत: हजारों वर्षों की पराधीनता एक औपनिवेशिक भ्रमजाल’ पुस्तक के आधार पर चर्चा कर रहे थे कि कितना भारत कितनी देर विदेशी शासन के आधीन रहा और कौन सा क्षेत्र अपनी स्वतंत्रता को बचाये रखने में सफल रहा? इस आलेख में भी उसी चर्चा […]

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छद्म धर्मनिरपेक्षता के साये में चलते इतिहास के कुछ झूठ, भाग-2

विदेशी शासक सन् 1206 ई. में जब यहां कुतुबुद्दीन ऐबक ने सत्ता संभाली तो वह एक ‘गुलाम’ शासक था। जिसकी हैसियत ‘गुलाम’ शासक जैसी ही थी। ‘गुलाम वंश’ केे शासनकाल को उल्लिखित कर स्पष्ट करने वाले अभिलेखों के अवलोकन से उसकी यह स्थिति आज भी स्पष्ट हो जाएगी। किंतु दुर्भाग्य इस देश का यह रहा […]

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‘पत्थरबाजो! भारत छोड़ो,’ भाग-3

(14) कांगड़ा-यहां पर पिछले 18000 वर्ष के इतिहास के कालखण्ड में 1620 से 1810 तक मुस्लिम शासन रहा अर्थात कुल 190 वर्ष तक यहां मुस्लिम शासन और 1856 ई. से 1947 तक कुल 90-91 वर्ष तक ब्रिटिश शासन रहा। शेष अवधि में अपनी स्वतंत्रता और अस्मिता को बचाये रखने में यह क्षेत्र भी सफल रहा। […]

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छद्म धर्मनिरपेक्षता के साये में चलते इतिहास के कुछ झूठ

भारत में छद्म धर्मनिरपेक्षियों का एकमात्र उद्देश्य इस देश में साम्राज्यवाद को बढ़ावा देना है। यह बढ़ावा देने की प्रवृत्ति उनके हिन्दू विरोध को देखने से स्पष्ट हो जाती है। इस हिन्दू विरोध की प्रवृत्ति के कारण इतिहास के कई झूठ ऐसे हैं जो इस देश में पहले तो विदेशियों के द्वारा गढ़े गये और […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

‘पत्थरबाजो! भारत छोड़ो,’ भाग-2

एक शोधपूर्ण प्रशंसनीय ग्रंथ मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा ‘भारत हजारों वर्षों की पराधीनता एक औपनिवेशिक भ्रमजाल’ में बड़े शोधपूर्ण ढंग से हमें बताया गया है कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों पर मुस्लिम और ब्रिटिश शासन की अवधि कितने समय तक रही? इस सारणी को देखकर हमें पता चलता है कि भारत के हिंदू […]

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