Categories
गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-86

गीता का सत्रहवां अध्याय मनुष्य के पतन का कारण कामवासना होती है। बड़े-बड़े सन्त महात्मा और सम्राटों का आत्मिक पतन इसी कामवासना के कारण हो गया। जिसने काम को जीत लिया वह ‘जगजीत’ हो जाता है। सारा जग उसके चरणों में आ जाता है। ऐसे उदाहरण भी हमारे इतिहास में अनेकों हैं जिन्होंने कामवासना को […]

Categories
गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-85

गीता का सोलहवां अध्याय काम, क्रोध और लोभ इन तीनों को गीता नरक के द्वार रहती है। आज के संसार को गीता से यह शिक्षा लेनी चाहिए कि वह जिन तीन विकारों (काम, क्रोध और लोभ) में जल रहा है-इनसे शीघ्र मुक्ति पाएगा। आज के संससार में गीता से दूरी बनाकर अपने मरने का अपने […]

Categories
गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-84

गीता का सोलहवां अध्याय श्रीकृष्णजी की यह सोच वर्तमान विश्व के लिए हजारों वर्ष पूर्व की गयी उनकी भविष्यवाणी कही जा सकती है जो कि आज अक्षरश: चरितार्थ हो रही है। स्वार्थपूर्ण मनोवृत्ति के लोगों ने जगत के शत्रु बनकर इसके सारे सम्बन्धों को ही विनाशकारी और विषयुक्त बना दिया है। अल्पबुद्घि नष्टात्मा करें भयंकर […]

Categories
राजनीति संपादकीय

पूर्वोत्तर में भगवा की जीत के अर्थ

पूर्वोत्तर के तीन छोटे छोटे प्रान्तों त्रिपुरा, नागालैंड व मेघालय के चुनाव परिणाम आ गए हैं। इन चुनाव परिणामों ने स्पष्ट कर दिया है कि पूर्वोत्तर भी अब भाजपा के भगवा रंग में रंग गया है और कॉंग्रेस को यहाँ से भी चलता कर दिया गया है। त्रिपुरा विधानसभा की कुल 60 सीटों में से […]

Categories
गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-83

गीता का सोलहवां अध्याय माना कि अर्जुन तू और तेरे अन्य चार भाई दुर्योधन और उसके भाइयों के रक्त के प्यासे नहीं हो, पर तुम्हारा यह कत्र्तव्य है कि संसार में ‘दैवीय सम्पद’ लोगों की सुरक्षा की जाए और ‘आसुरी सम्पद’ लोगों की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए उनके विरूद्घ युद्घ किया जाए। यदि […]

Categories
संपादकीय

एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम और प्रकाश जावड़ेकर

प्रकाश जावड़ेकर इस समय केंद्र की मोदी सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री है। उन्होंने भाजपा के संगठन और सरकार में अपना स्थान अपनी मेहनत और पुरुषार्थ से बनाया है। वह मोदी सरकार के परिश्रमी मंत्रियों में गिने जाते हैं। यही कारण है कि उन्हें मोदी सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्रालय का भारी भरकम […]

Categories
गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-82

गीता का सोलहवां अध्याय गीता के 15वें अध्याय में प्रकृति, जीव तथा परमेश्वर का वर्णन किया गया है तो 16वें अध्याय में अब श्रीकृष्णजी मनुष्यों में पाई जाने वाली दैवी और आसुरी प्रकृतियों का वर्णन करने लगे हैं। इन प्रकृतियों के आधार पर मानव समाज को दैवीय मानव समाज और आसुरी मानव समाज इन दो […]

Categories
संपादकीय

लघुता पाय प्रभुता पाई

गोस्वामी तुलसीदासजी ने ‘रामचरित मानस’ में जिस प्रसंग में यह कहा है कि ‘लघुता पाय प्रभुता पाई’-उसका वहां अर्थ है कि विनम्रता से अर्थात लघुता से मनुष्य बड़प्पन प्राप्त कर लेता है, महानता की प्राप्ति करता है। गोस्वामीजी ने जहां भी जैसे भी जो भी कुछ कहा है उसका विशेष और गम्भीर अर्थ है। अब […]

Categories
गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-81

गीता का पन्द्रहवां अध्याय गीता में ईश्वर का वर्णन गीता का मत है कि सूर्य में जो हमें तेज दिखायी देता है वह ईश्वर का ही तेज है। ‘गीताकार’ का कथन है कि जो तेज चन्द्रमा में और अग्नि में विद्यमान है, वह मेरा ही तेज है, ऐसा जान। किसी कवि ने कहा है- कह […]

Categories
गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-80

गीता का पंद्रहवां अध्याय और विश्व समाज जो लोग अपनी ज्ञान रूपी खडग़ से या तलवार से संसार वृक्ष की जड़ों को काट लेते हैं और विषयों के विशाल भ्रमचक्र से मुक्त हो जाते हैं- उनके लिए गीता कहती है कि ऐसे लोग अभिमान और मोह से मुक्त हो गये हैं, उन्होंने आसक्ति के दोषों […]

Exit mobile version