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संपादकीय

भारत किस विदेशी सत्ता या आक्रांता का कितनी देर गुलाम रहा? 3

ग्वालियर महाकौशल, इंदौर, रीवां, झाँसी, ये सारी रियासतें मुस्लिम शासनकाल में अपनी स्वतन्त्रता को बचाए रखने में सफल रहीं। एक दिन के लिए भी ये रियासतें किसी मुस्लिम सुल्तान या बादशाह के अधीन नहीं रही। महाकौशल की 1818 की तथा झाँसी में 1858 में अंग्रेज़ो से संधि हो गयी। इससे महाकौशल लगभग 130 वर्ष तो […]

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गौ और गोवंश संपादकीय

गौरक्षा कैसे हो संभव?

प्रदेश व देश में जबसे योगी-मोदी की सरकार आई है तब से गोधन की रक्षा के लिए लोगों को बड़ी-बड़ी अपेक्षाएँ इन सरकारों से पैदा हुई हैं। परंतु यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि गोधन के संरक्षण और सुरक्षा के लिए कोई ठोस व कारगर कार्यप्रणाली नहीं अपनाई गई है। केंद्र की मोदी सरकार को […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-100

गीता का अठारहवां अध्याय भारतीय संस्कृति का उच्चादर्श इस पृथ्वी को स्वर्ग बना देना है और यह धरती स्वर्ग तभी बनेगी जब सभी लोग ईश्वरभक्त हो जाएंगे, और ईश्वरभक्त बनकर ईश्वरीय वेदवाणी को संसार के कोने-कोने में फैलाने के लिए कार्य करने लगेंगे। धरती को स्वर्ग बनाना और उसके लिए जुट जाना ईश्वरीय आज्ञा का […]

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संपादकीय

भारत के बौद्धिक नेतृत्व की दिशा

किसी भी देश का, समाज का, राष्ट्र और संगठन या परिवार का नेतृत्व वास्तव में उसके बौद्धिक मार्गदर्शकों के पास होता है। जिस देश का बौद्धिक नेतृत्व दिग्भ्रमित हो जाता है, वह देश भी दिग्भ्रमित हो जाता है। भारत के साथ इस समय सबसे बड़ी समस्या ही ये है कि इसका बौद्धिक नेतृत्व दिग्भ्रमित है। […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-99

गीता का अठारहवां अध्याय अपने आपको मुझमें लगा, मेरा भक्त बन, मेरा पूजन कर, मुझे नमस्कार कर, ऐसा करने से तू मुझ तक पहुंच जाएगा। क्योंकि तू मेरा प्रिय है। श्रीकृष्णजी ऐसा कहकर अर्जुन रूपी बालक को भगवान रूपी माता केदुग्धामृत का पान करने के लिए उसकी ओर बढऩे की प्रेरणा दे रहे हैं। इस […]

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संपादकीय

भारत किस विदेशी सत्ता या आक्रांता का कितनी देर गुलाम रहा? 2

जौनपुर इलाहाबाद की भांति ही जौनपुर भी अकबर के काल तक अपनी स्वतंत्रता को बचाये रहा पर 1583 में यहां भी मुगल सत्ता के रूप में विदेशी शासन स्थापित हो गया जो 1856 तक जारी रहा । 1856 से 1947 तक यहां ब्रिटिश शासन स्थापित रहा । जबकि सल्तनत काल मे यहां केसरिया फहराता रहा […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-98

गीता का अठारहवां अध्याय यहां पर श्रीकृष्णजी ने अपनी सुंदर शैली में यह स्पष्ट कर दिया है कि संसार के लोग मोहवश चाहे किसी काम को न कर सकें-परन्तु कर्मशील लोग संसार के सभी कार्यों को वैसे ही पूर्ण करते हैं-जैसी उनसे अपेक्षा की जाती है। ईश्वर की शरण का गुह्म उपदेश ईश्वर की शरण […]

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संपादकीय स्वर्णिम इतिहास

भारत किस विदेशी सत्ता या आक्रांता का कितनी देर गुलाम रहा?

भारत किस विदेशी सत्ता या आक्रांता का कितनी देर गुलाम रहा?भारत किस विदेशी सत्ता या आक्रांता का कितनी देर गुलाम रहा? इस पर मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा ‘भारत हजारों वर्षों की पराधीनता: एक औपनिवेशिक भ्रमजाल’ नामक ग्रंथ में शोधपूर्ण ढंग से बताया गया है। जिसमें पिछले 18000 वर्ष के कालखंड पर प्रकाश डाला […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-97

गीता का अठारहवां अध्याय इन्हीं की ओर संकेत करते हुए श्रीकृष्ण जी उपदेश दे रहे हैं कि अहंकार, दर्प, बल, काम, क्रोध और धन सम्पत्ति को छोडक़र ममता से रहित होकर जो शान्त स्वभाव का हो जाता है-वह -‘ब्रह्मभूय’- अर्थात ब्रह्म के साथ एकाकार होने के योग्य हो जाता है। इस प्रकार मानव जीवन के […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-96

गीता का अठारहवां अध्याय वह परमपिता-परमात्मा इस जगत का मूल कारण है। उसी से सब प्राणी जन्म लेते हैं, उसी से यह सारा जगत व्याप्त है। उस ईश्वर की अपने कर्म से पूजा करके मनुष्य सिद्घि को प्राप्त कर लेता है। कहने का अभिप्राय है कि यदि व्यक्ति को सिद्घि को प्राप्त करना है तो […]

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