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संपादकीय

क्या है शिक्षा का उद्देश्य

आजकल विद्यालयों का परिवेश विलासिता पूर्ण हो जाने से बच्चों में उच्च मानवीय नैतिक गुणों का लोप होता जा रहा है और विद्यालय केवल ‘मशीनी मानव’ के रूप में बच्चों का विकास कर रहे हैं। जबकि शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को मशीनी मानव न बनाकर संस्कारित समाज की एक संस्कारित ईकाई बनाना होता है। शिक्षा […]

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संपादकीय

पाश्चात्य विद्वानों की दृष्टि में उपनिषद

भारत की संस्कृति की अमूल्य धरोहर उपनिषद न केवल भारतीयों की आध्यात्मिक तृप्ति का साधन बने , अपितु उन्होंने अपने दिव्य ज्ञान की आभा से पश्चिमी विद्वानों को भी प्रभावित किया । अनेकों पश्चिमी विद्वानों ने भारत के उपनिषदों को पढ़कर अपने जीवन में भारी परिवर्तन किए । इतना ही नहीं कइयों ने तो बाइबल […]

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संपादकीय

भारतीय वांग्मय में वेदों का महत्व

हमारे वेदवेत्ता विद्वानों ने जब उपनिषद या दर्शन शास्त्रों की या स्मृतियों जैसे आर्षग्रंथों की रचना की तो उनमें उनका वैदिक ज्ञान और उसका दर्शन स्पष्ट झलकता है। इतना ही नहीं रामायण और महाभारत जैसे इतिहास ग्रंथों में भी विद्वान लेखकों का वैदिक दृष्टिकोण और उनके वैदिक चिंतन की उदात्त भावना स्पष्ट परिलक्षित होती है […]

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संपादकीय

गीता उपदेश और एकात्म मानववाद

भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से गीता में धर्मयुद्ध का उपदेश दिया है । उन्होंने अर्जुन को धर्मयुद्ध के लिए प्रेरित करते हुए उसे स्पष्ट संदेश दिया कि यदि होने वाले युद्ध में तुम युद्ध के उपरांत जीवित रहे तो इस संपूर्ण वसुधा का राज्य भोगने का सौभाग्य तुम्हें प्राप्त होगा और यदि इस युद्ध […]

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संपादकीय

भारत की चेतना के मूल स्वर हैं हमारे ये ध्येय वाक्य

हमारे देश के संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष के द्वार के ऊपर पंचतंत्र का एक संस्कृत श्लोक अंकित है। वह श्लोक इस प्रकार है :– अयं निजः परोवेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्।।(पंचतंत्र 5/38) हिन्दी में इस श्लोक का अर्थ है:- “यह निज, यह पर, सोचना, संकुचित विचार है। उदाराशयों के लिए अखिल विश्व […]

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संपादकीय

झारखंड : वास्कोडिगामा के मरण दिवस 24 दिसंबर पर वास्कोडिगामा का जीवित हो उठना – – – अंजामे गुलिस्तां क्या होगा ?

ईसाइयत की मार झेलते हुए झारखंड ने अपना निर्णय दे दिया है । देश के कई लोगों के लिए यह खुशी का विषय है कि फिर वही लोग सत्ता में आ गए हैं जिनके कारण ईसाईकरण की प्रक्रिया इस देश में बलवती हुई । हमने उस विचार और विचारधारा को झारखंड में ठुकरा दिया है […]

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संपादकीय

बगदादी का विनाश और वैश्विक आतंकवाद

अमेरिका ने संसार के सबसे क्रूर और खूंखार आतंकवादी बगदादी को मारकर एक बार फिर सिद्ध किया है कि वह अपने सम्मान और स्वाभिमान के लिए किसी भी सीमा तक जाकर कोई भी कदम उठाने के लिए स्वतंत्र है । उसने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि अमेरिका की संप्रभुता , राष्ट्रीय एकता […]

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संपादकीय

सिंगापुर से मिला नया संदेश

6 अगस्त 1945 की वह घटना है जब जापानी समय के अनुसार प्रात: के 8:15 हुए थे, तभी हिरोशिमा शहर के केंद्र से 580 मीटर की दूरी पर परमाणु बम का विस्फोट हुआ। शहर का 80 प्रतिशत भाग इस विस्फोट की चपेट में तुरंत आ गया था और लोगों का जीवन वैसे ही समाप्त हो […]

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संपादकीय

भारत में बच्चों की : दयनीय अवस्था

अब से लगभग तीन वर्ष पूर्व जब मैं राजस्थान के झालावाड़ जिले में प्रवास पर था तो वहां पर बच्चों के बारे में यह जानकर मुझे बहुत पीड़ा हुई कि बच्चों के अभिभावक ही उन्हें या तो पढऩे नहीं देते हैं या पढऩे से रोक लेते हैं। जिला बारां के एक विद्यालय के अध्यापक ओमप्रकाश […]

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अन्याय, आरक्षण, आरक्षण विरोध: यह सब क्या है ?

देश में कुछ लोगों ने ऐसा परिवेश सृजित करने का कुत्सित प्रयास किया है कि देश का बहुसंख्यक समाज परस्पर एकता का प्रदर्शन न कर सके। ओवैसी ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के समय दलित और अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले अन्याय को उठाया, उससे ऐसा लगा कि जैसे अन्याय उन्हीं के साथ […]

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