जम्मू कश्मीर की परिस्थितियां विस्फोटक होती जा रही हैं। हाल ही में जम्मू कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जिस प्रकार अपनी दुश्मनी भूलकर एक हुए हैं और भारत के विरुद्ध जहर उगल रहे हैं उसको कम करके आंकना बहुत बड़ी गलती होगी। राजनीति के लिए सीधा सा […]
श्रेणी: संपादकीय
शिवसेना ने महाराष्ट्र में जोड़-तोड़ कर सरकार तो बना ली और अब जैसे तैसे उसे चला भी रही है, परंतु उसे अपने भविष्य की चिंता भी है । क्योंकि उसने हिंदुत्व के साथ जिस प्रकार दूरी बनाने का निर्णय लिया उससे महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र से बाहर भी उसकी किरकिरी हुई है। […]
मोहम्मद अली जिन्नाह को देश तोड़ने वाला कहकर आरएसएस और भाजपा पहले दिन से कोसती रही हैं। इतना ही नहीं, जिन्नाह को जिन्नाह बनाने के लिए महात्मा गांधी और उनकी कॉन्ग्रेस को भी जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। क्योंकि महात्मा गांधी ही थे जिन्होंने जिन्नाह को सबसे पहले ‘कायदे आजम’ कहा था। भारतीय राजनीति […]
वर्तमान भारत के प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी अपने पड़ोसी देशों के प्रति पूर्व के प्रधानमंत्रियों से कुछ अलग दृष्टिकोण रखते हैं। उनकी प्राथमिकता है कि पड़ोसी देशों के साथ मित्रता पूर्ण सम्बन्ध बनाकर घरेलू व्यापार में वृद्धि की जाए और विकास के लिए विदेशी निवेश ,व्यापार और प्रौद्योगिकी प्राप्त करने के साधन के […]
भारत की पाकिस्तान के प्रति विदेश नीति पंडित जवाहरलाल नेहरू के समय में बहुत अधिक उतार रही । नेहरू जी पाकिस्तान को छोटा भाई मानकर दुलार करने का प्रयास करते रहे । जबकि पाकिस्तान ने भारत के प्रति घृणा को त्यागा नहीं । नेहरू जी की मृत्यु के तुरन्त पश्चात पाकिस्तान ने लाल बहादुर […]
देश में जब भी चुनावी मौसम आता है तो हमारे नेताओं की जुबान फिसलने में देर नहीं लगती । वह एक दूसरे पर हमला करते हुए कितने असंवैधानिक और निम्न स्तर पर उतर आते हैं ,इसका कोई अनुमान नहीं लगा सकता । इतना ही नहीं ,महिलाओं को लेकर भी इनकी जुबान इस स्तर तक […]
भारत सात्विक चिन्तन का देश है । सात्विकता उसकी अंतश्चेतना का वह मौलिक तत्व है जो उसे व्यष्टि से समष्टि तक के प्रति समर्पित रहने के लिए प्रेरित करती है। इस सात्विकता से उद्भूत सहिष्णुता भारत का वह गुण है जो उसे सम्पूर्ण संसार का सिरमौर बनाने की क्षमता रखता है । संसार में […]
चीन के विषय में हम पहले से ही यह मानते आ रहे हैं कि इस देश की कथनी व करनी में बहुत भारी अन्तर है । चीन एक ऐसा देश है जो सोया हुआ दानव है । मानवता नाम की कोई चीज इसकी राजनीति या विदेशनीति में नहीं मिलती । यह किस स्थिति में […]
किसी देश की दूसरे देश के साथ कैसी नीति होगी ? किस प्रकार वे एक दूसरे के साथ सामंजस्य या वैर – विरोध बनाकर रह सकेंगे , इन सब बातों को जो चीजें प्रभावित करती हैं – उन्हें आधुनिक राजनीति शास्त्रियों की भाषा में ‘विदेश नीति के निर्धारक तत्व’ के रूप में परिभाषित व […]
”अपनी नीति तो अपनाओ, लेकिन शत्रु की युद्ध नीति को समझना भी उतना ही आवश्यक है। युद्ध में अपने शत्रु की भान्ति सोचना भी आवश्यक है। जो भी नीति हो, उसे गुप्त रखो। उसे केवल अपने कुछ विश्वासपात्र सहयोगियों को बताओ। अच्छे के लिए सोचो, पर बुरे से बुरे के लिए भी उद्यत रहो।” […]