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महत्वपूर्ण लेख संपादकीय

भारत के लोकतंत्र की खूबसूरती

भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद इस देश की मूल चेतना का नाम है। यह हमारी शाश्वत सनातन कहानी को अपने भीतर समाये हुए है। हम सब देशवासियों को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हमारा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ही हमारी जीवंतता का प्रतीक है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की इस मूल चेतना के आलोक में काम करना हमारा राष्ट्रीय […]

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संपादकीय

आज के ‘औरंगजेब’ के लिए तैयार होती जेल और जनरेशन गैप

आजकल जनरेशन गैप शब्द का अक्सर प्रयोग होते देखा जाता है। जब हम जनरेशन गैप जैसे शब्द का प्रयोग करते हैं तो कुछ ऐसा संकेत देते हैं कि जैसे नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी से कुछ अधिक समझदार और होशियार है । यह स्वाभाविक है कि अगली पीढ़ी पिछली पीढ़ी से अधिक समझदार होने के कारण […]

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संपादकीय

भारत के जन-गण में समाया गणतंत्र

भारत अपने गणतंत्र के 73 वर्ष पूर्ण कर रहा है। हमारे गणतंत्र मजबूती का आधार केवल वही तत्व नहीं है जो हमारे संविधान में दिए गए हैं अपितु उससे अलग भी हमारे राष्ट्र के वे मौलिक संस्कार इस गणतंत्र के मूलाधार हैं जो वैदिक सत्य सनातन धर्म की भांति शाश्वत और अमिट हैं। हमें ध्यान […]

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संपादकीय

भारतीय संविधान के लेखन से जुड़े कुछ तथ्य

26 जनवरी 1950 का दिवस भारत के इतिहास का स्वर्णिम दिवस है। क्योंकि उस दिन स्वतंत्र भारत का संविधान लागू हुआ था। उस दिन बहुत दिनों के संघर्ष के पश्चात भारत ने अपना गणतांत्रिक स्वरूप सुनिश्चित कर आजादी की खुली हवा में सांस लेते हुए आगे बढ़ने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था।  26 जनवरी 1950 […]

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संपादकीय

अखिलेश यादव का समाजवाद और गुंडावाद जिंदाबाद

समाजवादी पार्टी का समाजवाद अपने आप में अनोखा और निराला है। पहले दिन से ही इस पार्टी ने अपराधियों के राजनीतिकरण की सोच को उजागर करते हुए कार्य करना आरंभ किया था।जिन लोगों को जेलों की सलाखों के पीछे होना चाहिए था समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश और उनके पिता मुलायम सिंह यादव के वरदहस्त […]

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संपादकीय

प्रधानमंत्री जी ! आर्थिक नीतियों पर पुनर्विचार आवश्यक है

1947 में जब देश आजाद हुआ था तो उस समय भारत की प्राचीन अर्थव्यवस्था को वर्तमान संदर्भ में प्रस्तुत करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जाना अपेक्षित था। क्योंकि प्राचीन काल से ही भारत की अर्थव्यवस्था ग्राम केंद्रित रही है। इसके साथ ही गांवों को भारत में प्राचीन काल से ही […]

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संपादकीय

प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक और कांग्रेस

पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक के प्रश्न को बहुत गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। इस घटना ने भारत की राजनीति के गिरते स्तर को सबके सामने खोलकर रख दिया है । ‘टंगड़ी मार’ राजनीति करने की राहुल गांधी की सोच प्रकट करने वाली यह घटना बताती है कि कांग्रेस के […]

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देश विदेश संपादकीय

चीन : बिखरते सपनों के अतिरिक्त और कुछ हासिल नहीं कर पाएगा ?

चीन हमारा एक विस्तारवादी और राक्षस प्रवृत्ति का पड़ोसी देश है। अपनी इस सोच और प्रवृत्ति के चलते चीन ने लगभग आधा दर्जन देशों का अस्तित्व विश्व मानचित्र से मिटा दिया है। पिछले 2 वर्षों में कोविड-19 के चलते चीन की राक्षस प्रवृत्ति से विश्व को कितनी हानि उठानी पड़ी है ?-  यह तथ्य भी […]

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संपादकीय

मुल्तानी की गिरफ्तारी और भारत की विदेश नीति

जब प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में पहली बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी तो उस समय उनके विरोधी और विशेष रूप से कांग्रेस के नेता यह कहते नहीं थक रहे थे कि उन्हें ना तो देश चलाने का ज्ञान है और ना ही देश की विदेश नीति का कुछ ज्ञान है। उनका […]

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संपादकीय

निरंतर कमजोर होता जा रहा विपक्ष

लोकतंत्र में विपक्ष की बहुत ही उपयोगिता और महत्व है। वर्तमान भारतीय राजनीति का यह दुर्भाग्य है कि देश के विधानमंडलों और विशेष रूप से संसद में विपक्ष कमजोर होता जा रहा है। विपक्ष की कमजोरी और सरकार के विधाई कार्यों में अड़ंगे डालने की प्रवृत्ति के चलते अभी हाल ही में चले संसद के […]

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