देश इस समय अपने नए राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया को बड़े गौर से देख रहा है। चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव का पूरा कार्यक्रम घोषित कर दिया है। जिसके अंतर्गत वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यकाल के पूर्ण होने से पहले सारी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी । देश के नए राष्ट्रपति के लिए […]
Category: संपादकीय
क्या सचमुच मौत का कोई इलाज नहीं ?
जनसाधारण के मुंह से हम अक्सर ऐसा सुनते आए हैं कि मौत का कोई इलाज नहीं है। क्या यह सच है ? – इस लेख के माध्यम से हम इस पर ही विचार करेंगे। संसार में आकर हम छोटे-मोटे रोगों के बारे में तो बहुत विचार करते हैं, बहुत चिंतन करते हैं, बहुत चिंता करते […]
नेहरू ,डालमिया और करपात्री जी महाराज
व्यक्तिगत आधार पर राजनीति में और विशेष रूप से लोकतंत्र में किसी से शत्रुता पालना बहुत ही गलत माना जाता है। वास्तव में लोकतंत्र विभिन्न विचारों का सम्मिश्रण करके और सबको अपनी बात को कहने का अधिकार देकर चलने वाली शासन प्रणाली है। इस शासन प्रणाली में आपके धुर विरोधी भी आपके समर्थक हो सकते […]
मोदी जी! कश्मीर को सेना के हवाले करो
कश्मीर घाटी से जो कुछ खबरें इस समय आ रही हैं वे बहुत ही चिंताजनक हैं । आतंकवादियों ने अपनी उपस्थिति को भयानक ढंग से दिखाने का क्रम आरंभ कर दिया है। इधर केंद्र की मोदी सरकार प्रदेश में यथाशीघ्र चुनाव कराकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल कर देना चाहती है। सरकार ने जिस प्रकार सीटों का […]
ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर मिले शिवलिंग को लेकर इस समय टीवी चैनलों पर जितने भर भी मुस्लिम वक्ता- प्रवक्ता आ रहे हैं वह सभी कह रहे हैं कि यह शिवलिंग नहीं बल्कि फव्वारा है। उनके इस मूर्खतापूर्ण बयान पर सभी को हंसी भी आ रही है, क्योंकि उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं […]
शासन प्रशासन में बैठे लोग मजबूत इच्छाशक्ति यदि रखते हैं तो निश्चित ही राष्ट्रवाद की बयार सबको सुखद अनुभूति कराने में सहायक होती है। जब देश का नेतृत्व नपुंसकता धारण कर लेता है और चूड़ियां पहन लेता है तो वह आतंकवादियों से भी हाथ मिला कर खुश होता है। तनिक कल्पना कीजिए कि जब देश […]
आज ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जिस प्रकार लोगों को अनेक प्रकार के साक्ष्य एकत्र करने पड़ रहे हैं, उनके दृष्टिगत महर्षि दयानंद के ‘ सत्यार्थ प्रकाश’ की साक्षी भी बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि शिवलिंग के रूप में डाले जाने का उल्लेख महर्षि दयानंद ने भी ‘सत्यार्थ प्रकाश’ में किया है । यद्यपि उसका प्रसंग थोड़ा […]
1857 की क्रांति के बाद जब अंग्रेजों की प्रति- क्रांति हुई तो अपने कुछ स्थायी प्रभाव पैदा कर गई। कुछ लोगों की मान्यता है कि 1857 की क्रांति को हम हार गए थे या कहिए कि यह हमारी फूट के कारण असफल हो गई थी। इस पर हमारा मानना है कि ऐसा कुछ भी नहीं […]
ज्ञानवापी मस्जिद का सच और अनवर शेख
ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग के पश्चात अब यह बात स्पष्ट हो गई है कि मध्यकाल में तुर्क और मुगल शासक भारत की संस्कृति और धर्म स्थलों को मिटाकर या अपवित्र करके भारत में सर्वत्र इस्लाम का परचम लहराने की योजना पर कार्य करते रहे थे ।अभी तक जो लोग इस बात को लेकर बार-बार […]
ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर इस समय चर्चा जोरों पर है। भारत में गंगा जमुनी संस्कृति की बात करने वाले छद्म धर्मनिरपेक्ष तथाकथित इतिहासकार और राजनीतिज्ञ इसे हिंदू मुस्लिम स्थापत्य कला का एक बेजोड़ नमूना बता रहे हैं। यह सब कुछ उस समय हो रहा है जब मस्जिद के स्थान पर काशी विश्वनाथ मंदिर को एक […]