‘आर्याभिविनय’ नामक अपनी पुस्तक के दूसरे अध्याय के पहले मंत्र में स्वामी दयानंद जी महाराज लिखते हैं कि – “हे प्रभु ! आप के अनुग्रह से हम सब लोग परस्पर प्रीतिमान, रक्षक, सहायक, परम पुरुषार्थी हों। एक दूसरे का दुख न देख सकें। स्वदेशस्थादि मनुष्यों को परस्पर अत्यंत निर्वैर, प्रीतिमान, पाखंडरहित करें।” इस कथन से […]
श्रेणी: संपादकीय
भारत की दासता की कहानी का अन्त 15 अगस्त 1947 को हुआ। दासता की दास्तान सदियों तक भारत की आत्मा को झकझोरती रही और अपने निकृष्टतम स्वरूप में उसका दोहन करती रही। यातना और उत्पीडऩ के इस भयानक काल से मुक्ति के लिए हमारे वीर नायकों ने सदियों तक संघर्ष किया। भारत माता वीर प्रस्विनी […]
राजनीति चौसर का खेल है। जिसमें सत्ता स्वार्थ साधने के लिए बड़ी-बड़ी चीजों को दांव पर लगा दिया जाता है। कहा जाता है कि राजनीति में कभी कोई किसी का स्थायी मित्र या शत्रु नहीं होता। यहां परिस्थितियां बड़ी तेजी से परिवर्तित होती हैं। ऐसे में यदि बिहार की बात करें तो बिहार की राजनीति […]
भारत में एक बार नहीं अनेक बार भारत छोड़ो आंदोलन चलाए गए हैं, अंतर केवल इतना है कि देश, काल , परिस्थिति के अनुसार उन आंदोलनों को भारत छोड़ो आंदोलन का नाम नहीं दिया गया। इसके साथ-साथ भारत के छद्म इतिहासकारों ने देश के क्रांतिकारियों के साथ विश्वासघात करते हुए उनके पुरुषार्थ और देशभक्ति को […]
ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन एक ऐसा राजनीतिक दल है, जिसका भारत और भारतीयता से दूर-दूर का भी संबंध नहीं है। अंग्रेजों के शासन काल में 1927 ईस्वी में इस राजनीतिक दल की स्थापना हुई थी। इसके नाम से ही यह स्पष्ट है कि यह केवल और केवल मुसलमानों के हितों की बात करता […]
प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। यदि प्रेस सत्ता पक्ष और विपक्ष की राजनीति का निष्पक्ष होकर आकलन करे और दोनों को उनकी गलतियां बताकर देशहित में चर्चा को और भी अधिक ऊंचाई दे तो सचमुच मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना ही जाएगा । वास्तव में जब देश के विधानमंडलों की […]
डॉ॰ राकेश कुमार आर्य जब तक ये तथ्य हमारे सामने नहीं लाये जाएंगे-तब तक हमारे भीतर इस शब्द को अपनाने में हीन भाव बना रहेगा। वस्तुत: हिन्दू एक चुनौती का नाम है, जिसका पर्याय काला, काफिर आदि हो ही नहीं सकते। यह चुनौती वही है जो मध्यकाल में हमारे पूर्वजों द्वारा विदेशी मुस्लिम आक्रांताओं को […]
डॉ॰ राकेश कुमार आर्य आर्य ईश्वर पुत्र है। इस प्रकार आर्यत्व एक जीवनशैली है जो जीवन को उत्कृष्टता में ढालती है। उसमें नियमबद्घता, क्रमबद्घता, शुचिता, परोपकारिता, उद्यमशीलता आदि के भाव जागृत कर उसे उच्चता प्रदान करती है। इसीलिए ‘कल्पद्रुम’ में आर्य शब्द का अर्थ पूज्य, श्रेष्ठ, धार्मिक, उदार, कल्याणकारी और पुरूषार्थी कहा है तथा निरूक्त […]
वेद उस घाट का नाम है जहां पूरा हिन्दू समाज जाकर अपनी ज्ञान की प्यास बुझाता है। इस घाट से कोई भी व्यक्ति बिना तृप्त हुए नहीं लौटता। सभी स्नातक होकर लौटते हैं, अर्थात स्नान कर लौटते हैं और यह स्नान आत्मिक ज्ञान का स्नान है। जिसमें आत्मा पूर्णानन्द की अनुभूति करता है। ऐसा स्नान […]
वैदिक संस्कृति का कोई तपा हुआ ऋषि ही ऐसी प्रार्थना कर सकता है कि हे अभय प्रदाता परमपिता परमेश्वर ! आप जिस – जिस स्थान से चेष्टा करते हो, उस – उस स्थान से हमें निर्भयता प्रदान करो। हमारे प्रजा जनों का अर्थात पुत्र, पुत्री, शिष्य आदि का सर्वत्र कल्याण करो तथा हमारे गाय,बैल, भेड़ […]