आजकल कांग्रेस के नेता राहुल गांधी चीन के बारे में दुष्प्रचार कर रहे हैं कि वह हमारे सैनिकों को पीट रहा है और केंद्र की मोदी सरकार सो रही है। वास्तव में इस प्रकार के अनर्गल दुष्प्रचार के लिए राहुल गांधी अब अपनी एक विशेष पहचान बना चुके हैं। लोग उनकी बातों को गंभीरता […]
श्रेणी: संपादकीय
भारत की सेना प्राचीन काल से ही न्याय और सत्य के लिए लड़ती आई है। हमने कभी दूसरों के अधिकारों के अतिक्रमण के लिए युद्ध नहीं किए हैं बल्कि दूसरों की रक्षा के लिए और मानवता का परचम फहराने के लिए युद्ध का आयोजन किया है। जर, जोरू जमीन के लिए जो लोग लड़ते रहे […]
वैसे तो हमारे देश में ऐसा कई बार हुआ है कि जब केंद्र में किसी पार्टी विशेष की सरकार होती है तो प्रदेश के लोग किसी दूसरी पार्टी को अपने यहां सरकार बनाने का जनादेश दे देते हैं। ऐसा हमने उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से देखा है, जब यहां पर सपा या बसपा की […]
भारत में बढ़ती जनसंख्या बहुत बड़े खतरे की घंटी है। स्वाधीनता प्राप्ति के पश्चात ही यदि इस दिशा में सरकारों की ओर से उचित कदम उठाए जाते तो आज देश में भुखमरी, बेरोजगारी, गरीबी जैसी समस्याओं से जूझने की स्थिति नहीं आती। निस्संदेह भारत ने स्वाधीनता प्राप्ति के पश्चात कई क्षेत्रों में आशातीत उन्नति की […]
जी -20 देशों के सम्मेलन का इंडोनेशिया के शहर बाली में समापन होने के साथ ही अब इस वैश्विक संगठन की अध्यक्षता भारत को सौंप दी गई है। अभी तक इसकी अध्यक्षता इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो कर रहे थे। रुस – यूक्रेन युद्ध के चलते विश्व की बदलती हुई परिस्थितियों पर इस सम्मेलन में […]
भारत जटिलताओं में जकड़ा हुआ देश है। इसकी जटिलताओं को और भी अधिक जटिल बनाने में राजनीति का विशेष योगदान रहा है। राजनीतिक दल और उनके नेता इन जटिलताओं को खोलने और सुलझाने के स्थान पर उलझाने का काम करते आए हैं। 1947 में मिली स्वाधीनता के पश्चात होना तो यह चाहिए था कि इसकी […]
गुजरात विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा कर दी गई है जिसके अनुसार पहले चरण में 1 दिसंबर को 89 सीटों पर मतदान होगा ,जबकि 5 दिसंबर को दूसरे चरण में 93 सीटों पर मतदान होगा। इसके पश्चात 8 दिसंबर को मतगणना के पश्चात किस दल की नई सरकार बनेगी ? यह स्थिति स्पष्ट हो […]
विदेश नीति और रक्षा नीति का राजनीति में गहरा संबंध होता है। यह दोनों अन्योन्याश्रित होते हैं। इन दोनों को लेकर ही राजनीति में कूटनीति का खेल चलता है। जो देश कूटनीति के माध्यम से अपनी राजनीति को सही दिशा देने में सफल होता है वही अपनी विदेश नीति और रक्षा नीति को सबल बनाने […]
भारत वर्ष के इतिहास के प्रति हमारी अपनी नीरसता और उदासीनता का परिणाम यह है कि कोई भी व्यक्ति हमारे महान पूर्वजों के महान पुरुषार्थ और पराक्रम के विषय में कुछ भी कह जाने के लिए स्वतंत्र है। अपने इतिहास के प्रति बरती गई लापरवाही का परिणाम यह है कि हमें अपने ही पूर्वजों पर […]
युद्ध के विषय में यह आवश्यक नहीं कि यदि आप शक्ति संपन्न है तो विजय आपकी ही होगी। ऐसे अनेक युद्ध रहे हैं जब शक्ति संपन्न देश हार गए हैं और जिनको लोग दुर्बल मान रहे थे वह बलशाली होकर उभरे हैं। यदि शक्तिशाली ही जीतते तो धीरे-धीरे शक्ति संपन्न होता चला गया ब्रिटेन आज […]