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संपादकीय

‘घर वापसी’ से पहले ‘घर चौकसी’

सोशल मीडिया पर ‘हिंदी-हिंदू-हिंदुस्तान’ के शुभचिंतकों की अच्छी बहस होती देखी जाती है। उनमें से कई ऐसे भी होते हैं जो पी0एम0 मोदी और सी0एम0 योगी को भी यह कहकर कोसते मिलते हैं कि इन दोनों ने भी हिंदुत्व के लिए कुछ नहीं किया। अब बात हिंदुत्व की ही करते हैं। हिंदुत्व इस देश की […]

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महत्वपूर्ण लेख संपादकीय

संविधान में दिए गए चित्र और उनके संदेश

हमारे देश के संविधान को बनाने के लिए 29 अगस्त 1947 को डॉ अंबेडकर की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय प्रारूप समिति का गठन किया गया था। संविधान की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में हुई थी। 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष […]

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महत्वपूर्ण लेख संपादकीय

ममता बनर्जी : डंडा पड़ने मात्र की देर है….

बात उन दिनों की है जब क्रांतिवीर सावरकर जी की योजना अनुसार महान क्रांतिकारी मदनलाल ढींगरा ने कर्जन वायली को गोली से उड़ा दिया था और कहा था कि कर्जन वायली स्वर्गधाम का नहीं , अपितु नरक धाम का अधिकारी है । इस हत्याकांड का केस लंदन की एक अदालत में विचाराधीन था । तभी […]

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संपादकीय

देश के इतिहास की ‘मीरजाफरी परंपरा’ और राहुल गांधी जब अफगानिस्तान के अमीर को महात्मा गांधी ने भारत पर आक्रमण करने के लिए किया था आमंत्रित

महात्मा गांधी ने कभी हमारे देश में ‘खिलाफत आंदोलन’ चलाया था। बहुत लोग हैं जो यह मानते हैं कि खिलाफत का अर्थ अंग्रेजों का विरोध करना था। जबकि सच यह नहीं था। सच यह था कि टर्की के खलीफा को अंग्रेजों ने जब उसके पद से हटा दिया तो उसकी खिलाफत अर्थात धार्मिक जगत में […]

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महत्वपूर्ण लेख संपादकीय

सरदार भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह के जीवन का एक प्रेरणास्पद संस्मरण: हमारी सांझी विरासत और खालिस्तानी आंदोलन

हमारी सांझी विरासत और खालिस्तानी आंदोलन इतिहास इस बात का साक्षी है कि भारत की वैदिक हिंदू संस्कृति की रक्षा के लिए ही गुरु नानक जी ने नानक पंथ अर्थात सिक्ख मत की स्थापना की थी। उन्होंने अपने जीवन काल में कभी भी कोई भी ऐसा कार्य नहीं किया जो भारत की वैदिक संस्कृति और […]

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संपादकीय

इतिहास लेखन के प्रति गंभीरता दिखाना समय की आवश्यकता

अपने मौलिक इतिहास की मूल चेतना को खोजता हुआ भारत आज इतिहास लेखन को लेकर नई करवट लेता दिखाई दे रहा है। कई लोगों को इस बात से बड़ी बेचैनी हो रही है कि भारत में इतिहास के पुनर्लेखन की मांग क्यों हो रही है और क्यों इस पर कार्य हो रहा है? हमें अपने […]

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संपादकीय

वैदिक सृष्टि संवत अर्थात हम भारतीयों का नववर्ष

आज से जब हमारा नया सृष्टि संवत आरंभ हो रहा है तो हम देख रहे हैं चारों ओर प्रकृति में नया उल्लास और नवजीवन का संचार हुआ अनुभव हो रहा है। प्रकृति के जर्रे जर्रे में, कण कण में पवित्रता का बोध हो रहा है। पशु पक्षी सभी हर्षित मुद्रा में हैं। इसके अतिरिक्त मनुष्य […]

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संपादकीय

वरुण गांधी नई संभावनाओं का केंद्र बन सकते हैं, यदि…..

सांसद वरुण गांधी का राजनीतिक स्वास्थ्य कैसा है? यदि इस पर विचार किया जाए तो वे भीतर ही भीतर अस्वस्थ दिखाई देते हैं। कभी-कभी उनकी अस्वस्थता उनकी बयानबाजी से झलक जाती है, जब वह अपनी पार्टी भाजपा के विरुद्ध मुखर होकर आलोचना करने लगते हैं। फिर कुछ समय बाद लगता है कि उनके सुर धीमे […]

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संपादकीय

ओमप्रकाश राजभर और महाराजा सुहेलदेव की आत्मा

सुहेलदेव भारतीय इतिहास के एक ऐसे महानायक हैं जिन पर प्रत्येक भारतीय को गर्व होना चाहिए। उन्हीं के नाम पर उत्तर प्रदेश में ओमप्रकाश राजभर नाम के एक नेता सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी चलाते हैं। वास्तव में सुहेलदेव इस समय राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका राजनीति में सिद्धांत क्या है ? – […]

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संपादकीय

इतिहास मिटा दिया तो क्या मिट जाने दें?

अभी हमारे सर्वोच्च न्यायालय की ओर से एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय आया है। जिस पर समाचार पत्रों में जितनी चर्चा होनी चाहिए थी, उतनी हो नहीं पाई है। इससे पता चलता है कि हम घटनाओं के प्रति कितने उदासीन और तटस्थ हो गए हैं ? माना कि सर्वोच्च न्यायालय पर हम बहुत अधिक टीका टिप्पणी […]

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