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संपादकीय

समान नागरिक संहिता और आर्य समाज, भाग – 1 नेहरू की नीतियां और समान नागरिक संहिता

भारत में प्रत्येक राष्ट्रवासी को ( नागरिक नहीं) समान अधिकार प्राप्त हों और प्रत्येक व्यक्ति अपनी मानसिक, शारीरिक और आत्मिक उन्नति कर सके , इसके लिए ऋषियों ने तप किया। भारतीय राष्ट्र की मानवतावादी चिंतनधारा के पीछे ऋषियों का यह तप ही काम करता रहा है। भारत के ऋषियों के द्वारा बनाई गई यह राष्ट्र […]

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विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई पर विशेष: विश्व नेतृत्व और विश्व जनसंख्या दिवस का पाखण्ड

वर्ष भर में ऐसे बहुत से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय दिवस आते हैं जिनकी पहचान मानवता के हित में किसी विशेष उद्देश्य को लेकर की जाती है। जैसे नेत्रदान दिवस, डॉक्टर्स डे, फादर्स डे, मदर्स डे ,श्रम दिवस, पर्यावरण दिवस इत्यादि। इसी प्रकार वर्ष में हम एक बार विश्व जनसंख्या दिवस भी मनाते हैं। इन दिवसों की […]

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फ्रांस के दंगों से भारत को कुछ सीखना होगा

हमने इतिहास में पढ़ा है कि मोहम्मद बिन बख्तियार खिलजी नाम का एक विदेशी लुटेरा जो कि मानव की बौद्धिक संपदा का शत्रु था, 1199 में भारत पर हमलावर बनकर आया था। तब उसने नालंदा विश्वविद्यालय जैसे बौद्धिक संपदा के केंद्र को आग के हवाले कर दिया था। कहते हैं कि यह विश्वविद्यालय उस समय […]

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कांति ,शांति, क्रांति और हिंदू अस्तित्व की खोज

भारत की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यता है। इसी सभ्यता को यदि ‘विश्व सभ्यता’ कहा जाए तो भी अतिशयोक्ति नहीं होगी। भारत विश्वगुरु इसीलिए था कि भारत की सभ्यता और संस्कृति ने विश्व के लोगों का प्रत्येक क्षेत्र में नेतृत्व और मार्गदर्शन किया। भारत को समझने का अर्थ है – हड़प्पा और मोहनजोदड़ो का सच […]

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‘रेवड़ी संस्कृति’ और देश के राजनीतिक दल

देश में बढ़ती ‘रेवड़ी संस्कृति’ लोकतंत्र पर सीधा हमला है। जिन लोगों को इसका तात्कालिक लाभ मिल रहा है, वह हमारी बातों से चाहे सहमत ना हों, पर सच यही है कि ‘ रेवड़ी संस्कृति’ लोक कल्याणकारी राज्य की मान्यता को आघात पहुंचाती है। ‘रेवड़ी संस्कृति’ में देखने में तो ऐसा लगता है कि जैसे […]

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हिंदू महासभा और आर्य समाज को अपना ग्रास बनाता आर0एस0एस0 ?

वीर सावरकर जी ने कहा था :–  आसिंधु सिंधु पर्यंता यस्य भारत भूमिका । पितृभू: पुण्यभूश्चैव सा वै हिंदू रीति स्मृता ।।  अर्थात जो इस पवित्र भारत भूमि को अपनी पुण्य भूमि और पितृभूमि मानता है , वह स्वाभाविक रूप से हिंदू है । मुसलमान और ईसाई इस भारत भूमि को अपनी भूमि तो मानते […]

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समान नागरिक संहिता की बाट जोहता देश

भारत के संविधान का अनुच्छेद 30 ए बहुत ही आपत्तिजनक है। इस संवैधानिक अनुच्छेद को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की मृत्यु के पश्चात संविधान में ढंग से अर्थात चोरी से स्थापित करवाया था। इस पर संविधान सभा में खुलकर कोई बहस नहीं हुई थी , ना ही लोगों से किसी प्रकार […]

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राहुल गांधी की पप्पूगीरी और कांग्रेस का भविष्य

‘भारत जोड़ो’ यात्रा से जो कुछ राहुल गांधी ने कमाया था, उसे उन्होंने अपने दो बार के विदेश के दौरों पर जाकर देश के विरोध में दिए गए अपने बयानों से गंवा भी दिया है। भारतीय राजनीति में इस समय नकारात्मकता का प्रतीक बनकर तेजी से उभरे कांग्रेस के नेता राहुल गांधी पैरों पर अपने […]

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सेंगोल के सांस्कृतिक निहितार्थ और इसका महत्व

नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद सबसे अधिक चर्चा का विषय इस समय सेंगोल अर्थात राजदंड है। बीजेपी ने कहा है कि जिस समय 1947 में 15 अगस्त को सत्ता हस्तांतरण हुआ था उस समय भी इस छड़ी को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्रदान किया गया था। जिन्होंने इसे इलाहाबाद स्थित आनंद […]

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देश का विभाजन और सावरकर , अध्याय 5,नेहरू-शेख संबंध और नेहरूवादी लेखक

आज देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि है। 27 मई 1964 को उनका देहांत हुआ था। हम सभी जानते हैं कि पंडित जवाहरलाल नेहरू धर्मनिरपेक्षता के दीवाने थे। उन्हें धर्मनिरपेक्षता के नाम पर शेख अब्दुल्लाह से मिलकर महाराजा हरि सिंह को नीचा दिखाने में आनंद की अनुभूति होती थी। पीयूष बबेले ने […]

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