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संपादकीय

भारत के राष्ट्रवादी मुसलमान : अराजक तत्वों के खिलाफ बनना पड़ेगा ‘मदारी बाबा’

राष्ट्र हमारी सोच में निवास करता है। इस सोच के वशीभूत होकर हम अपने समस्त देशवासियों को अपना भाई-बहन मानते हैं । जब भी हमारी सामूहिक चेतना आगे बढ़ने का निर्णय लेती है या आगे बढ़कर कुछ कर दिखाती है तो चाहे चंद्रयान-3 अभियान हो या फिर सर्जिकल स्ट्राइक हो, सभी पर हमको समान रूप […]

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संपादकीय

“मोहब्बत की दुकान” से बिकता नफरत का सामान

अजीज कुरैशी कांग्रेस के बड़े नेता हैं। कांग्रेस की परंपरागत तुष्टिकरण की नीति के चलते इन जैसे नेताओं को एक वर्ग विशेष के विरुद्ध बोलने का और घृणा का व्यापार करने का पूरा अधिकार प्राप्त रहता है। आजादी से पहले भी कांग्रेस के मंच से नफरत का माहौल बनाने में कांग्रेस के तत्कालीन मुस्लिम नेताओं […]

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संपादकीय

“आराम हराम है”- प्रधानमंत्री नेहरू से लेकर मोदी तक

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने लालकिले की प्राचीर से लगातार अपना 10 वां भाषण दिया है। वह देश के ऐसे पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं जिन्हें निरंतर 10 बार लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। अबसे पहले कांग्रेस के पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के ऐसे प्रधानमंत्री रहे जिन्होंने लगातार […]

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संपादकीय

अविश्वास प्रस्ताव के समय योगी मॉडल की भी चर्चा होनी अपेक्षित थी

संसद में मोदी सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाकर विपक्ष ने मोदी सरकार की उपलब्धियों को संसद के मंच से और भी अधिक मुखरता के साथ प्रस्तुत करने का सरकार को अवसर उपलब्ध करा दिया। प्रधानमंत्री मोदी और उनके लोगों के द्वारा भी इस अवसर का भरपूर लाभ उठाया गया। इस सारे राजनीतिक घटनाक्रम में […]

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संपादकीय

हसन खान मेवाती के मेवात में यह क्या हो रहा है?

मेवात में जो कुछ हो रहा है वह हमारी अतीत की गलतियों का स्वाभाविक परिणाम है। बात 1947 की है जिस समय देश सांप्रदायिक दंगों की आग में झुलस रहा था। तब देश के भावी राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 5 सितंबर 1947 को तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल को मेवात के लोगों के मिजाज को […]

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संपादकीय

भारत में अविश्वास प्रस्तावों का रहा है रोचक इतिहास

लोकतंत्र में सरकार की तानाशाही को रोकने के लिए अनेक प्रबंध किए जाते हैं। यद्यपि सिरों की गिनती का खेल लोकतंत्र की वास्तविक पवित्र भावना को बिगाड़ देता है। किसी भी सरकार के विरुद्ध लाया जाने वाला अविश्वास प्रस्ताव एक ऐसा ही हथियार है, जिसे विपक्ष कभी भी अपनाकर सरकार को यह आभास करा सकता […]

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इतिहास के पन्नों से संपादकीय

मणिपुर समस्या के कुछ और भी पहलू हैं : मणिपुर के मतई लोगों की भारत भक्ति और सेकुलर राजनीति

नवंबर 1984 में दंगे हुए। जिनमें सिखों का नरसंहार किया गया। निश्चित रूप से वह घटना बहुत ही निंदनीय थी। पर उससे पहले जिन अनेक हिंदुओं का पंजाब में कत्ल किया गया था उनकी चर्चा नवंबर 1984 के दंगों की चर्चा में दबकर रह गई। आज तक कभी आपने यह नहीं सुना होगा कि 1984 […]

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संपादकीय

क्या समान नागरिक संहिता के माध्यम से जजिया कर को भी हटाया जा सकेगा?

वर्तमान में केंद्र सरकार समान नागरिक संहिता को भारत में नागरिकों के लिए एक समान कानून बनाने और उसी के अनुरूप उसे लागू करने के एक प्रस्ताव के रूप में ला रही है। केंद्र सरकार ने इस संबंध में देश के जागरूक नागरिकों से, संगठनों से और राजनीतिक दलों से विचार मांगे हैं। जिससे एक […]

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संपादकीय

समान नागरिक संहिता और आर्य समाज, भाग – 3 डॉ राजेंद्र प्रसाद, हिंदू कोड बिल और नेहरू

भारत में प्राचीन काल से जिस वर्ण व्यवस्था, आश्रम व्यवस्था और 16 संस्कारों जैसी परंपराओं को मान्यता प्रदान की गई उससे यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि भारत में सृष्टि प्रारंभ से ही सब राष्ट्रवासियों के लिए एक जैसी विधिक व्यवस्था की गई। देश में अपराधिक कानूनों में ही नहीं बल्कि दीवानी […]

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संपादकीय

समान नागरिक संहिता और आर्य समाज, भाग – 2 नेहरू के मंदिर बनाम दयानंद के मंदिर

पंडित जवाहरलाल नेहरू वेद में आए ‘दक्षिणा’ शब्द का अर्थ नहीं जानते थे। भौतिक जगत में मंदिरों में होने वाली दक्षिणा को वह ‘हिंदू सांप्रदायिकता’ के साथ जोड़कर देखते थे। यही कारण था कि वे मंदिरों को भी संप्रदाय का प्रतीक मानते थे और नए मंदिर बनाने की वकालत नए-नए उद्योग ,हॉस्पिटल, स्कूल आदि बनाकर […]

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