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संपादकीय

टूटता पाषाण है, पाषाण के आघात से

राकेश कुमार आर्य गतांक से आगे…ये प्राविधान वास्तव में तो राज्य कीधर्मनिष्ठ राजनीति के प्रति निष्ठा की घोषणा है, परन्तु यह शब्द इसमें डाला नही गया है। यदि इनके साथ शीर्षक में ही यह स्पष्ट कर दिया जाता कि राज्य की धर्मनिष्ठ राजनीति के प्रति निष्ठा की घोषणा’ तो महर्षि का मन्तव्य पूर्णतः स्पष्ट हो […]

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