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संपादकीय

तब भी एक स्वाभिमानी की कुर्सी खाली थी

सारे देश के राजा महाराजा और काँग्रेस के नेता अपने ब्रिटिश सम्राट जार्ज पंचम की एक झलक पाने और उसके साथ खड़े होकर फोटो खिंचवाने के लिए उस समय बहुत ही अधिक लालायित थे। किसी हो अपने या अपने देश के स्वाभिमान की कोई चिंता नहीं थी। सब इसी में अपना सम्मान समझ रहे थे […]

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संपादकीय

मुस्लिमों को आरक्षण या संरक्षण?

पहले जाति के नाम पर आरक्षण देकर देश के नेताओं ने देश में सामाजिक स्वरूप को जहरीला बनाया और अब साम्प्रदायिक आधार पर मुस्लिमों को आरक्षण देकर राष्ट्रीय परिवेश को और भी विषैला बनाने की कोशिश की जा रही है। सभी राजनीतिक दलों की दृष्टि में ‘मुस्लिम हित’ नहीं है अपितु मुस्लिमों के वोट हैं।भारत […]

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संपादकीय

अनुसूचित जन जातियां और भारत का विकास

भारत में जातियों का वेर्गीकरण और उनकी सामाजिक स्थिति को विकृत करने का काम अंग्रेजों ने किया। भारत की प्राचीन वर्णव्यवस्था कर्म के आधार पर थी। कर्म से ही व्यक्ति वर्ण निशिचत किया जाता था, कर्म परिवर्तन से वर्ण परिवर्तन भी सम्भव था। इसलिए एक शूद्र के ब्राह्राण बनने की पूर्ण सम्भावना थी। कालान्तर में शिक्षा के अभाव, वर्ण […]

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संपादकीय

अमनपसंद गिलानी व नेक दिल मनमोहन सिंह..

ऊंट के विवाह में गधा गीत गा रहा था, कोर्इ श्रोता नहीं था, कोर्इ दर्शक नहीं था। तब संस्कृत के किसी कवि के हदय के तार बज उठे और उनसे जो संगीत निकला उसने इन शब्दों का रूप ले लिया- उष्ट्रानाम् विवाहेषु गीतम गायंति गर्दभा:।परस्परम् प्रशंसन्ति अहो रूपम् अहो ध्वनि।। अर्थात् ऊंट के विवाह में […]

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संपादकीय

सम्बद्धता क्या है?

सम्बद्धता क्या है? : किसी मान्यता, सिद्धांत, वस्तु व्यक्ति आदि के प्रति सहज रूप में बिना किसी बाहरी दबाव के आपका जुड़ जाना उसके प्रति आपकी सम्बद्धता है। ऐसी मानसिकता के वशीभूत होकर आप पूर्ण मनोयोग और प्राणपण से कार्य करने के लिए तो सक्रिय रहेंगे ही साथ ही उस मान्यता, सिद्धांत, वस्तु, व्यक्ति आदि के प्रति […]

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संपादकीय

टूटता पाषाण है, पाषाण के आघात से

ये प्राविधान वास्तव में तो राज्य की धर्मनिष्ठ राजनीति के प्रति निष्ठा की घोषणा है, परन्तु यह शब्द इसमें डाला नही गया है। यदि इनके साथ शीर्षक में ही यह स्पष्ट कर दिया जाता कि राज्य की धर्मनिष्ठ राजनीति के प्रति निष्ठा की घोषणा’ तो महर्षि का मन्तव्य पूर्णतः स्पष्ट हो जाता। इसका परिणाम ये […]

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