बाबा रामदेव ने 2011 की जून में हुए अपने अपमान को इस बार बड़े सही ढंग से धो डाला। देश विदेश की मीडिया ने उनके और अन्ना हजारे के एक दिन के सांकेतिक अनशन को अपना भरपूर समर्थन दिया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने उन्हें समर्थन देकर अच्छा ही किया है। यह सच […]
श्रेणी: संपादकीय
कांग्रेस के मणिशंकर अय्यर का एक लेख मैं पढ़ रहा था। जिसमें उन्होंने आरएसएस और अन्य हिंदूवादी संगठनों की इस चिंता को निरर्थक सिद्घ करने का प्रयास किया है कि भारत में मुस्लिमों की जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ रही है उससे शीघ्र ही भारत में मुस्लिम राज्य स्थापित हो जाएगा। लेखक का मंतव्य है […]
देश में संसदीय शासन प्रणाली उपयुक्त है या फिर राष्ट्रपति शासन प्रणाली उपयुक्त है-ऐसी बहस लंबे समय से चलती रही है। कहा जाता है कि श्रीमति इंदिरा गांधी ने अपनी दूसरी पारी के शासन काल में देश में राष्ट्रपति शासन प्रणाली को लागू करने का प्रयास किया था, लेकिन वह असफल रही थीं। क्योंकि उससे […]
भाजपा एक उम्मीद के साथ भारतीय राजनीतिक गगन मंडल पर उभरी। स्वतंत्रता के बाद से कांग्रेस के खिलाफ किसी भी सक्षम विपक्ष की जो कमी अनुभव की जा रही थी उसे भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर दूर किया। समकालीन इतिहास में भाजपा की यह सबसे बड़ी उपलब्धि थी। भाजपा ने एक ऐसे सर्व स्वीकृत चेहरे को […]
देश के अगले राष्ट्रपति का चुनाव होने में अब दो माह से भी कम का समय रह गया है। सभी राजनीति दल अपनी अपनी गोटियां फिट करने में चुपचाप भीतर ही भीतर शतरंजी चाल चल रहे हैं। जयललिता कुछ अन्य प्रभावी नेताओं को लेकर पूर्व लोकसभाध्यक्ष रहे पी.ए. संगमा को आगे बढ़ाना चाहती हैं, तो ममता […]
छद्म धर्म निरपेक्षता से लकवाग्रस्त कांग्रेस और उसके कुछ अन्य समान विचारधारा वाले दलों का मानना है कि राजनीति (वास्तव में राष्टï्रनीति) से भला भगवाधारी संतों का क्या संबंध? राजनीति को यदि हम राष्टï्रनीति के रूप में लें और राजनीति को भी व्यक्ति का सबसे बड़ा धर्म स्वीकार कर लिया जाए तो भी ऐसा संभव […]
आज की दुनिया में नोबेल पुरस्कार सबसे बड़ा पुरस्कार है। इसे प्राप्त करना हर किसी के लिए संभव नहीं है। बड़े भागीरथ प्रयासों से ही किसी सौभाग्यशाली को यह पुरस्कार मिलता है। इस पुरस्कार को पाने की जितनी इच्छा लोगों में रहती है उतनी ही इच्छा इसके विषय में ये जानकारी लेने की होती है […]
भारत की पावन धरती पर कितनी ही महान विभूतियों ने जन्म लिया है, कितने ही विदेशी महापुरूषों ने इस पावन धरती को अपनी कर्म स्थली बनाया है। प्राचीन काल से ही भारत की पावन धरा ने मातृवत मानवता को अपने पुनीत पयोधर से पावन पयपान कराकर उसे सत्कृत्यों के लिए प्रेरित किया और संसार को […]
भूमि अधिग्रहण पर संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि किसी भी प्रकार की कृषि योग्य भूमि चाहे वह सिंचित हो या असिंचित के अधिग्रहण पर सरकार पूरी तरह रोक लगाये। संसदीय समिति का मानना है कि जब अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, कनाडा जैसे विकसित राष्टï्रों में सरकारें निजी क्षेत्र के लिए जमीन अधिग्रहीत नहीं कर […]
वीरता का निन्दन और कायरता का वंदन केवल भारत में ही होता है। 1947 के क्षितिज पर तनिक मेरी आंखों में आंख डालकर देखो तो सही अनेकों वीर क्रांतिकारी और राष्ट्रभक्त बलिदानी पर्दे के पीछे से उचक उचक कर हमसे कहे जा रहे हैं- हमें याद रखना, भूल मत जाना। जितनी दूर हमसे 1947 होता जा […]