–विश्व के कभी के विशालतम रोमन साम्राजय का पतन हुआ -फ्रांस में लुई राजसत्ता के विरूद्घ सफल क्रांति हुई -रूस में जारशाही के विरूद्घ सफल क्रांति हुई -चीन ने भी पुरानी केंचुली के विरूद्घ बगावत की, -लीबिया के कर्नल गददाफी के शासन का अंत हुआ। -सद्दाम हुसैन का अंत हुआ। ये और इन जैसी अन्य […]
श्रेणी: संपादकीय
महाराणा प्रताप सिंह के पिता राणा उदय सिंह के साथ इतिहास में न्याय नही किया गया। सचमुच उनकी आत्मा आज तक हमारे द्वारा अपने साथ किये गये व्यवहार को लेकर दुखी होगी। हमने राणा उदय सिंह को बहुत ही ‘दुर्बल और कायर’ राणा सिद्घ करके रख दिया है। महाराणा प्रताप के प्रति जहां असीम श्रद्घा […]
नितिन गडकरी बहुत असफल अध्यक्ष नही थे लेकिन राजनीति में कभी कभी बना बनाया महल भी पल भर में ढह जाता है। यही उनके साथ हुआ है। भाजपा उन्हें अपना अध्यक्ष मान चुकी थी और उनके नाम पर मुहर लगना ही शेष रह गया था। पर भाग्य ने अंतिम क्षणों में पलटा खाया और उनके […]
दिल्ली दुष्कर्म का प्रकरण ठंडा भी नही हुआ था कि ऐसे ही विभिन्न दुष्कर्मों की खबरें समाचार पत्रों में इतनी बढ़ीं कि अखबारों को उठाकर देखने में भी शर्म आने लगी। ऐसी घटनाओं को ढूंढ़ ढूंढ़कर लाया जाकर परोसा जाने लगा, मीडिया में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने इन घटनाओं को टीवी पर इतना अधिक दिखाया कि […]
1998 की वह घटना जब इलियास कश्मीरी नाम का आतंकवादी भारतीय सीमा में घुसा और भारत के एक सैनिक की गर्दन काटकर ले गया। बाद में उसे तत्कालीन पाकिस्तानी सैनिक शासक परवेज मुशर्रफ ने इस ‘साहसिक कार्य’ के लिए एक लाख का पुरस्कार देकर सम्मानित किया। कारगिल युद्घ में कैप्टन सौरभ कालिया की आंखें पाक सैनिकों ने निकाल लीं […]
हिंदी को पंडित नेहरू ने हिंदुस्तानी कहकर संबोधित किया था। उन्होंने राष्ट्रभाषा को उपहास की दृष्टि से देखा और उपहास के रूप में ही इसे स्थापित करने का प्रयास किया। हिंदुस्तानी से अभिप्राय नेहरू एण्ड कंपनी का एक ऐसी भाषा से था जिसमें सभी भाषाओं के शब्द सम्मिलित कर लिए जाऐं और एक खिचड़ी भाषा […]
जिन लोगों ने अपनी कलम बेची उन्होंने ही ईमान बेचा और जिन्होंने ईमान (धर्म परिवर्तन किया) बेचा उन्होंने ही हिंदुस्तान बेचा। बाहर से आने वाले विदेशी लोगों से देश को कभी खतरा नही रहा-बल्कि देश के भीतर रहकर विदेशियों के मित्र बनकर रहने वालों से देश को खतरा रहा है। अमरीका सहित विश्व के सभी […]
1857 की क्रांति के पश्चात अंग्रेजों ने भारत के लिए 1858 का भारत शासन अधिनियम लागू किया। इसके बाद 1861 में भारत परिषद अधिनियम, 1892 में भारत परिषद अधिनियम, 1909 में मार्लेमिंटो सुधार और भारतीय परिषद अधिनियम, 1919 में भारत सरकार अधिनियम, और 1935 में पुन: भारत शासन अधिनियम, कुल छह अधिनियम लागू किये। दूसरे […]
1857 की क्रांति के पश्चात अंग्रेजों ने भारत के लिए 1858 का भारत शासन अधिनियम लागू किया। इसके बाद 1861 में भारत परिषद अधिनियम, 1892 में भारत परिषद अधिनियम, 1909 में मार्लेमिंटो सुधार और भारतीय परिषद अधिनियम, 1919 में भारत सरकार अधिनियम, और 1935 में पुन: भारत शासन अधिनियम, कुल छह अधिनियम लागू किये। दूसरे […]
महाभारत का युद्घ संसार का प्राचीन काल का विश्व युद्घ था। इस युद्घ को कुछ लोगों ने भारतीय इतिहास को अंधकारमयी सिद्घ करने के लिए काल्पनिक करार दिया। लेकिन वैज्ञानिक शोधों से अब प्रमाणित हो चुका है कि महाभारत का युद्घ हुआ था। अब प्रश्न ये आता है कि यह युद्घ हुआ कब? सचमुच जानने […]