जब किसी देश के आगे बढ़ते कदमों से दुश्मन का दिल दहलने लगे तब समझो कि वह सचमुच एक ऐसी दिशा पकड़ गया देश बन चुका है जो अब अपने अस्तित्व का एहसास ही नहीं कराता है बल्कि दुश्मनों के अस्तित्व के लिए खतरा भी बन चुका है। निश्चित रूप से भारत आज इसी प्रकार […]
श्रेणी: संपादकीय
इस्लामी आतंकवाद को समाप्त करने का चीन का अपना ही स्टाइल है। कम्युनिस्ट चीन यह भली प्रकार जानता है कि यदि उसने इस्लामी आतंकवाद को अपने देश में बढ़ने का अवसर प्रदान किया तो उसके ‘घातक’ परिणाम होंगे। क्योंकि अब से पहले जिन-जिन देशों में इस्लाम ने जनसंख्या के आंकड़ों को गड़बड़ाकर अपना विस्तार किया […]
इस समय मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ ,राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम जैसे पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रचार बड़े जोरों पर चल रहा है। आज हम मध्य प्रदेश को लेकर चर्चा करेंगे। मध्य प्रदेश में कुल 230 सीटों पर चुनाव हो रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव यहां पर 2018 में हुए थे । जब कांग्रेस 114 सीटें […]
राहुल गांधी ने राजस्थान के पिछले विधानसभा चुनाव के समय लोगों को झूठे सपने दिखाकर राजस्थान की सत्ता तो हथिया ली थी पर जिस प्रकार पिछले 5 वर्ष इस राज्य में कांग्रेस अंतर्कलह का शिकार बनी रही और जिस प्रकार किए गए वायदों पर पानी फेर दिया गया उसके चलते इस बार कांग्रेस के लिए […]
देश में राजनीतिक भ्रष्टाचार बहुत बड़ी समस्या है। राजनीति में बैठे लोगों से अपेक्षा की जाती है कि वह देश के जनसाधारण के लिए आदर्श प्रस्तुत करें। अपनी कार्य नीति ,कार्य शैली और कार्य व्यवहार से लोगों पर इस प्रकार की छाप छोड़ें कि वह हर प्रकार से उनके आदर्श हैं और उनके लिए राष्ट्र […]
वेद के रूप में ईश्वर ने मानव को एक संविधान देकर सुव्यवस्था प्रदान की । जबकि उपनिषदों ने मानव मन में उभरने वाले अनेकों गम्भीर प्रश्नों का उत्तर देकर उसकी शंकाओं का समाधान किया । अब बारी थी एक सुव्यवस्थित समाज को आगे बढ़ाने की । जिसके लिए हमारे ऋषियों ने 16 संस्कारों का विधान […]
हमास अर्थात हरकत अल मुकम्मल अल इस्लामिया नामक आतंकवादी संगठन का जन्म इसराइल जैसे मजबूत इच्छा शक्ति वाले देश को समाप्त कर यहूदियों को मिटा देना है। इसकी सोच है कि यहूदी और यहूदियों का देश दुनिया में कहीं पर भी ना रहे। जब 21वीं सदी में विश्व स्वाधीनता की नई परिभाषाओं को गढ़कर चर्चा […]
क्या बीज में विभाजन संभव है? हर विवेकशील व्यक्ति इस प्रश्न का उत्तर यही देगा कि नही, बीज में विभाजन संभव नही है। बीज बीज है और यदि उसे तोड़ा गया तो वह टूटते ही व्यर्थ हो जाएगा। इसलिए अच्छाई इसी में है कि बीज को तोड़ा ना जाए बल्कि उसे यथावत रखा जाए जिससे […]
उस समय नेहरू गांधी की कांग्रेस के किसी भी नेता के पास समय नहीं था कि हम लोगों की पीड़ा के विषय में कोई सोचे, सुने या समझे। जब ये लोग शिकारी कुत्ते की भांति हमारा शिकार कर रहे थे, तब भी हमारा राष्ट्रीय नेतृत्व हाथ पर हाथ धरे बैठा था। यह कर्तव्य के प्रति […]
1947 का अगस्त माह । मैं तब 4 वर्ष का था। पर उन दिनों की अनेक घटनाएं आज भी मेरे मन मस्तिष्क में ज्यों की त्यों जमी बैठी हैं। जिन बातों का अनुभव व्यक्ति को बहुत बड़ी अवस्था में जाकर होता है, वह मुझे बचपन के उन दिनों में हो गया था। चित्त पर उनकी […]