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संपादकीय

‘ये न्याय नही निर्णय है’

आरूषि-प्रकरण में न्यायालय ने आरूषि और नौकर हेमराज की हत्या के आरोप में तलवार दंपत्ति को दोषसिद्घ करार देते हुए आजन्म कारावास का दण्ड है। तलवार-दंपत्ति ने न्यायालय के इस निर्णय को चुनौती देने की घोषणा करते हुए कहा है कि वह दिये गये निर्णय से न्याय से वंचित किये गये हैं, इसलिए सक्षम न्यायालय […]

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संपादकीय

बदहवास लोग और खोखले दरख्त

महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा है कि रेगिस्तान में अरण्ड का पौधा भी बड़ा पेड़ दिखाई देता है। यही स्थिति समाज और राष्ट्र के लिए उस समय बन जाया करती है जब वास्तव में राष्ट्र में बड़े नेता ना हों और छोटे छोटे दीपक स्वयं को सूर्य समझने लगें या समझाने का प्रयास […]

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संपादकीय

काँग्रेस और कम्युनिस्टों का छलिया लोकतंत्र

जब लार्ड मैकाले भारत आया था तो यहां की न्याय व्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था और आर्थिक व्यवस्था को दखकर दंग रह गया था। उसके आने से पूर्व सदियों से भारत विदशी शासकों की दासता से लड़ रहा था, परंतु अपनी न्याय व्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था और आर्थिक व्यवस्था को बचान में वह सफल रहा था। सैकड़ों वर्ष […]

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संपादकीय

‘कांग्रेस : प्रायश्चित बोध भी आवश्यक है’

भाजपा के पी.एम. पद के प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी को कांग्रेस के रणनीतिकार और केन्द्रीय मंत्री पी. चिदंबरम् ने  पहली बार कांग्रेस के लिए ‘चुनौती’ माना है। पी. चिदंबरम् ने कांग्रेस के उपाध्यक्ष  राहुल गांधी के राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा से बचने की प्रवृत्ति को भी पार्टी के लिए चिंताजनक कहा है। उन्होंने कहा है कि […]

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संपादकीय

हे! अर्जुन, उठो। भारत मां की तस्वीर बनाने को

गीता का अनमोल गीत भारत की अमूल्य सांस्कृतिक विरासत है। विश्व का कोई भी धर्म ग्रंथ इतने जीवनप्रद और ज्ञानप्रद संवादों को समाविष्ट कर ‘युद्घभूमि’ में खड़े होकर नही लिखा गया। सचमुच युद्घ में भी ‘जीवन और ज्ञान’ का उपदेश करना अनुपम और अद्वितीय है। क्योंकि जब सामने शत्रु सेना युद्घ के लिए उद्यत हो, […]

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संपादकीय

दीपावली का संदेश और आज का प्रदूषित परिवेश

प्रकाश पर्व दीपावली हमें अपने भीतर झांक कर देखने अर्थात अंतरावलोकन  कर अपने भीतर व्याप्त सभी बुराईयों को समूल नष्ट कर उनके स्थान पर अच्छाईयों को रोपित करने और उन्हें पल्लवित व पुष्पित करने का सुअवसर प्रदान करता है। इस प्रकार यह पर्व आत्म निरीक्षण का पर्व है। जीवन को उत्थानवाद की ओर धकेलकर उसे […]

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संपादकीय

भारतीय-संस्कृति में समाज, राष्ट्र और मानवाधिकार

राकेश कुमार आर्य अमेरिका ब्रिटेन और फ्रांस जैसे विकसित राष्ट्रों सहित विदेशों में भारतीय संस्कृति के प्रति लोगों का आकर्षण अप्रत्याशित रूप से बढ़ रहा है। बताया जा रहा है कि अमेरिका के समाज में वहां की कुल आबादी का 24 प्रतिशत भाग भारत और भारत की संस्कृति राम और कृष्ण के प्रति श्रद्धा रखने […]

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संपादकीय

क्या औचित्य है इन समाचारों का

मैं यह लेख श्री भारत भूषण व श्री संजीव सिन्हा और उनकी ‘प्रवक्ता’ की पूरी टीम के पुरूषार्थ और उद्यम को समर्पित कर रहा हूं जिन्होंने अपने अथक प्रयास से ‘प्रवक्ता’ को देश विदेश में सम्मानपूर्ण स्थान दिलाया है। मैं उनका इसलिए भी आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने राष्ट्रवादी चिंतन धारा को वरीयता दी और राष्ट्रवादी विषयों एवं […]

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संपादकीय

हिन्दी कविता में जन्मभूमि-वंदना

हमारे कवियों ने मां भारती के प्रति हर देशवासी को जागरूक बनाये रखने हेतु समय-समय पर देशभक्ति और जन्मभूमि के प्रति समर्पण का भाव भरने हेतु प्रशंसनीय कार्य किया है। उनके कार्यों की वंदना यह लेखनी यूं कर सकती है :-धन्य उनकी लेखनी और धन्य उनके कार्य,हमको सदा बताते रहे तुम हो श्रेष्ठ हे! आर्य।जन्मभूमि […]

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संपादकीय

राहुल और लोकतंत्र की मर्यादाएं

राहुल गांधी ने सजायाफ्ता सांसदों और विधायकों को बचाने के लिए लाये गये अध्यादेश पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अचानक मीडिया के सामने प्रस्तुत होकर टिप्पणी की है कि यह अध्यादेश ‘बकवास’ है और इसे फाड़कर फेंक दें। यह अच्छी बात है कि राजनीति को ‘बकवास’ होने से बचाने के लिए कांग्रेस के युवा […]

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