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भ्रांति निवारण

कुम्भ मेला आयोजन रहस्य (भाग-2)

विशेष – ये लेख विद्वानों के प्रसिद्ध लेख और उनके विचारों पर आधारित हैं। कृपया अपने विचार बताये। विश्लेषण – वेदों के अनुसार सृष्टि की रचना की ईसाई वर्ष २०२५ में लगभग १,९६,०८,५३,१२५ वर्ष हो गए है।विक्रमी संवत् यानि हिन्दू नव वर्ष कहते हैं उसको २०८१ वर्ष हुए हैं और रामायण काल को लगभग १० […]

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भ्रांति निवारण

कुम्भ मेला आयोजन रहस्य (भाग-1)

विशेष – ये लेख विद्वानों के प्रसिद्ध लेख और उनके विचारों पर आधारित हैं। कुम्भ मेला का वर्तमान स्वरूप कुम्भ मेला हर 12 साल में भारत के चार स्थानों हरिद्वार, प्रयागराज (इलाहाबाद), उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है। जिसमें करोड़ों श्रद्धालु हर बारहवें वर्ष प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में से किसी एक स्थान […]

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पाखंड खंडिनी भ्रांति निवारण

तैंतीस कोटि देव

भारतवर्ष में देवों का वर्णन बहुत रोचक है। देवों की संख्या तैंतीस करोड़ बतायी जाती है और इसमें नदी, पेड़, पर्वत, पशु और पक्षी भी सम्मिलित कर लिये गये है। ऐसी स्तिथि में यह बहुत आवश्यक है कि शास्त्रों के वचन समझे जाएँ और वेदों की वास्तविक शिक्षाएँ ही जीवन में धारण की जाएँ। देव […]

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आज का चिंतन भ्रांति निवारण

ब्रह्मराक्षस विवेचना

आपने ब्रह्मराक्षस शब्द सुना होगा और कल्पना की होगी कि ये किसी दुष्ट व्यक्ति का नाम है,और मंदिरों में इसकी प्रतिमा देखकर इसके विषय में समझने की जिज्ञासा हो सकती है। मडिकेरी के ओंकारेश्वर शिव मंदिर की क्षेत्रीय किंवदंती के अनुसार,मंदिर का निर्माण एक राजा द्वारा ब्रह्मराक्षस द्वारा उत्पन्न बुराई को दूर करने के लिए […]

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भ्रांति निवारण

क्या वेदों में पशुबलि, माँसाहार आदि का विधान है?

त्रिपुरा सरकार ने मंदिरों में दी जाने वाली पशुबलि पर रोक लगा दी। हम उनके इस निर्णय का स्वागत करते हैं। धर्म के नाम पर पशुबलि अन्याय है। ईद पर भी इसी प्रकार से पशुबलि का निषेध होना चाहिए। कुछ लोग सरकार के निर्णय के विरुद्ध वेदों में पशुबलि के विधान होने की बात कर […]

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इतिहास के पन्नों से भ्रांति निवारण

क्या श्री राम दीपावली को अयोध्या लौटे थे ?

भारतीय संस्कृति में पर्वों को मनाने की लंबी परंपरा है । यही कारण है कि यहां पर्वों का बहुत बड़ा महत्व है । लोगों के हृदय में आस्था है,विश्वास है, श्रद्धा है,भक्ति है और समर्पण है । हमारे देश में एक कहावत प्रचलित है “बारह महीने तेरह त्योहार” इन सभी पर्वों के पीछे बहुत बड़ी […]

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