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धर्म-अध्यात्म

मनुष्य को प्रतिदिन ईश्वर के उपकारों का स्मरण करना चाहिये

हमें यह ज्ञात होना चाहिये कि ईश्वर क्या व कैसा है? उसके गुण, कर्म व स्वभाव क्या व कैसे हैं? इसका ज्ञान करने का सरलतम तरीका सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ का अध्ययन है। हमारी दृष्टि में संसार में सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ के समान दूसरा महत्वपूर्ण ग्रन्थ नहीं है। इसके अध्ययन से मनुष्य की सभी शंकायें व समस्यायें दूर […]

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आर्य समाज धर्म-अध्यात्म

आर्य समाज वेदनिहित सत्य सिद्धान्तों पर आधारित एक धार्मिक एवं सामाजिक संगठन है

आर्यसमाज एक धार्मिक एवं सामाजिक संगठन है जो विद्या से युक्त तथा अविद्या से सर्वथा मुक्त सत्य सिद्धान्तों को धर्म स्वीकार करती है और इनका देश देशान्तर में बिना किसी भेदभाव के प्रचार करती है। आर्यसमाज की स्थापना से पूर्व देश व विश्व अविद्या से ग्रस्त था। धर्म तथा मत-मतान्तरों में अविद्या प्राबल्य था। लोगों […]

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धर्म-अध्यात्म

संसार की श्रेष्ठतम रचना हमारी सृष्टि ईश्वर से ही प्रकाशित हुई है

प्रत्येक रचना एक रचयिता की बनाई हुई कृति होती है। हमारी यह विशाल सृष्टि किस रचयिता की कृति है, इस पर विचार करना आवश्यक एवं उचित है। सृष्टि की रचना व उत्पत्ति आदि विषयों का अध्ययन करने पर यह अपौरुषेय रचना सिद्ध होती है। अपौरुषेय रचनायें वह होती हैं जिनको मनुष्य नहीं बना सकते। संसार […]

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धर्म-अध्यात्म

यज्ञ (हवन) करने की सही विधि

हमारे बहुत से आर्य समाज के मित्र या अन्य सनातनी भी बहुत सा यज्ञ करते और करवाते हैं परन्तु यज्ञ का पूरा लाभ जैसा कि शास्त्रों में वर्णित है वैसा लाभ नहीं उठा पाते। इसका कारण है कि बहुत प्रकार की भिन्न भिन्न यज्ञ पद्धतियों का प्रचलित होना। प्रत्येक आर्य समाज में या गायत्री संस्थानों […]

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धर्म-अध्यात्म

जीवन में संयम, आवश्कतायें सीमित रखने एवं शक्ति-संचय आवश्यक है

संसार में सभी जीवन पद्धतियों में वैदिक धर्म एवं तदनुकूल जीवन पद्धति श्रेष्ठ एवं महत्वूपर्ण है। इसे जानकर और इसके अनुसार जीवन व्यतीत करने पर मनुष्य अनेक प्रकार की समस्याओं से बच जाता है। मनुष्य को अपनी शारीरिक शक्तियों के विकास वा उन्नति पर ध्यान देना चाहिये। इसके लिये उसे समय पर जागना, शौच, भ्रमण, […]

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धर्म-अध्यात्म

अग्निहोत्र-यज्ञ करने से यज्ञकर्ता को मिलता है ईश्वर का आशीर्वाद

वैदिक कर्म-फल सिद्धान्त के अनुसार मनुष्य जो शुभ व अशुभ कर्म करता है, उसका फल उसे परमात्मा से अवश्य मिलता है। शुभ व पुण्य कर्मों का फल सुख तथा अशुभ व पाप कर्मों का फल दुःख होता है। हम पुस्तकें पढ़ते हैं तो इसका फल पुस्तक में वर्णित विषय का ज्ञान होना होता है। इसी […]

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धर्म-अध्यात्म

समस्त संसार में ईश्वर एक सत्य, चेतन एवं आनन्दस्वरूप सत्ता है

हमारा यह संसार अनादि काल से बना हुआ है जिसे इसके कर्ता ‘सृष्टिकर्ता’ अर्थात् सर्वशक्तिमान ईश्वर ने बनाया है। संसार का यह स्वाभाविक नियम है कि कोई भी पदार्थ कर्ता के द्वारा ही बनाया जाता है। कर्ता द्वारा ही किसी पदार्थ का स्वरूप परिवर्तन भी किया जाता है जिसे भी निर्माण की संज्ञा दी जाती […]

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इतिहास के पन्नों से भ्रांति निवारण

क्या श्री राम दीपावली को अयोध्या लौटे थे ?

भारतीय संस्कृति में पर्वों को मनाने की लंबी परंपरा है । यही कारण है कि यहां पर्वों का बहुत बड़ा महत्व है । लोगों के हृदय में आस्था है,विश्वास है, श्रद्धा है,भक्ति है और समर्पण है । हमारे देश में एक कहावत प्रचलित है “बारह महीने तेरह त्योहार” इन सभी पर्वों के पीछे बहुत बड़ी […]

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धर्म-अध्यात्म

ग्रृहस्थ आश्रम और यजुर्वेद

यजुर्वेद के अनुसार (महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा किया गया भाष्य) २) ॥अध्याय ८ मंत्र १० ।। भावार्थ – इस संसार में मनुष्यजन्म को पाकर स्त्री और पुरुष ब्रह्मचर्य्य, उत्तम विद्या, अच्छे गुण और पराक्रमयुक्त होकर विवाह करें। विवाह की मर्यादा ही से सन्तानों की उत्पत्ति और रतिक्रीड़ा से उत्पन्न हुए सुख को प्राप्त होकर नित्य […]

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धर्म-अध्यात्म

उपनिषद में ईश्वर का विवरण

यद्वाचाऽनभ्युदितं, येन वागभ्युद्यते । तदेव ब्रह्म त्वं विद्धि,नेदं यदिदमुपासते ।।-(केन० 1/4) जो वाणी द्वारा प्रकाशित नहीं होता,जिससे वाणी का प्रकाश होता है,उसी को तू ब्रह्म जान।जिसका वाणी से सेवन किया जाता जाता है,वह ब्रह्म नहीं है। यन्मनसा न मनुते,येनाहुर्मनो मतम् । तदेव ब्रह्म त्वं विद्धि,नेदं यदिदमुपासते ।।-(केन० 1/5) जिसका मन से मनन नहीं किया जाता,जिसकी […]

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