पृष्ठ संख्या 1149 (बृहदारण्यक उपनिषद) ” उस जीवन मुक्त के लिए जब तक वह शरीर में रहता है, नेत्र पुरुष– नेत्र शक्ति अर्थात आंखों की ज्योति सर से पांव तक ईश्वर के रूप में रंगी हुई रहती है। जब भी वह जीवन मुक्त आंखों से देखता है तो उस ईश्वर का स्वरूप उसे हर जगह […]
Category: धर्म-अध्यात्म
यजुर्वेद के 34वें अध्याय के प्रथम छः मंत्र शिव संकल्प के विषय में लिखे गए हैं इन शिव संकल्प के मंत्रों का ऋषि शिव संकल्प है। मन इनमें देवता है। स्वर धैवत है। विराट त्रिष्टुप छंद है ।इन मंत्रों में प्रतिपाद्य विषय मन है। मन का उपादान कारण प्रकृति है। मन के भी कई प्रकार […]
आत्मा शरीर में कहां रहता है? भाग 13
13वीं किस्त। बृहदारण्यक उपनिषद पृष्ठ संख्या 1145,1146 “जगत उत्पन्न होने से पहले प्रलय काल में प्रकृति गति शून्य और जड़ता पूर्ण हुआ करती है। जब ईश्वर गति देता है तो वह आंदोलित होकर विकृत हुआ करती है।(जिसको बहुत से विद्वानों ने महा विस्फोट का नाम दिया है) प्रकृति की असली हालत न रहने और महतत्व […]
दसवीं किस्त। बृहद आरण्यक उपनिषद् आज की चर्चा बहुत सुंदर है। पृष्ठ संख्या 1114 पर निम्न उल्लेख मिलता है। स्वप्न से सुषुप्ति और तूर्य अवस्था में जीव के जाने की बात बतला कर उसका जागृत अवस्था में लौटना पूर्व में आठवीं, नवी किस्त में बताया जा चुका है। “एक योनि से दूसरी योनि में जीव […]
नवीं किस्त गतांक से आगे। बृहद्राण्यक उपनिषद के आधार पर , प्रष्ठ संख्या 1099 “यह स्पष्ट है कि शरीर जो जीव का क्रीडा स्थल है, वही देखा जाता है। क्रीड़क( क्रीडा करने वाले अथवा खेल करने वाले) जीव को कोई नहीं देख सकता ,क्योंकि वह निराकार और अदृश्य है। सोते हुए व्यक्ति को जब वह […]
आत्मा शरीर में कहां रहती है? भाग 8
गतांक से आगे आठवीं किस्त। लेकिन एक महत्वपूर्ण ज्ञानवर्धक किस्त। इस संबंध में बृहदारण्यक उपनिषद में जो विवरण आया है उसको सुधी पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं। महर्षि याज्ञवल्क्य महाराज का नाम आपने सुना होगा। आप उनकी विद्वत से भी परिचित होंगे। राजा जनक से भी आप परिचित हैं जिनको विदेह कहा जाता […]
आत्मा शरीर में कहां रहती है? भाग 7
बृहदारण्यक उपनिषद् के अनुसार। पृष्ठ संख्या 974 लोक किसे कहते हैं। पहले इसको समझते हैं। लोक इस जगत को और इस जगत में स्थित सूर्य तथा चंद्रमा आदि को कहते हैं। आत्मा इस लोक में किस प्रकार से रहती है? कौन-कौन से लोक में रहती है? कब-कब रहती है? “आत्मा चाहे मुक्त हो और चाहे […]
ब्रहदारण्यकोपनिषद के आधार पर । आत्मा शरीर में कहां रहती है? इस उपनिषद में बहुत लंबा वृतांत आत्मा के निवास के विषय में दिया हुआ है लेकिन हम सुधीर पाठकों की सुविधा के लिए छोटे-छोटे भाग में तोड़ तोड़ कर प्रस्तुत करना उचित समझेंगे। पृष्ठ संख्या 829 बहुत महत्वपूर्ण बात लिखी गई है कृपया गंभीरता […]
आत्मा शरीर में कहां रहती है? 5
पंचम किस्त। तेतिरियोपनिषद की आत्मा के संबंध में चर्चा चतुर्थ किस्त में की गई थी ।अब तैत्तिरीय उपनिषद के अग्रिम प्रष्ठों पर जो चर्चा आत्मा के विषय में की गई है उस पर दृष्टिपात करते हैं। आत्मा शरीर में कहां रहती है। गतांक से आगे। देखो प्रष्ठ संख्या 394 ,395 एकादशोपनिषद प्रख्यात वैदिक विद्वान महात्मा […]
आत्मा शरीर में कहां रहती है? भाग 4
गतांक से आगे चतुर्थ किस्त। मुंडकोपनिषद ,कठोपनिषद, ऐतरेय उपनिषद ,अथर्ववेद के आधार पर हमने आत्मा के शरीर में निवास स्थान का निर्धारण किया। आज हम तैत्तिरीय उपनिषद का उद्धहरण प्रस्तुत करेंगे। प्रसिद्ध वैदिक विद्वान व्याख्या कार महात्मा नारायण स्वामी द्वारा व्याख्यिय उपनिषद रहस्य एकादशोपनिषद नामक पुस्तक से हम प्रमाण ले रहे हैं। पृष्ठ संख्या 376। […]