ओ३म् 🌷श्राद्ध करना चाहिए या नहीं?🌷 प्रश्न:-श्राद्ध करना चाहिए या नहीं? उत्तर:-श्राद्ध करना चाहिए।जीवित माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी, गुरु आचार्य तथा अन्य वृद्धजनों एवं तत्ववेत्ता विद्वान् लोगों को अत्यन्त श्रद्धापूर्वक सेवा करनी चाहिए, इसी का नाम ‘श्राद्ध’ है। प्रश्न:-‘श्राद्ध’ तो मरे हुए पितरों का होता है, जीवित का भी कहीं श्राद्ध होता है? उत्तर:-पहले यह सोचो […]
Category: धर्म-अध्यात्म
१• ओ३म् खं ब्रह्म ।। ( यजुर्वेद ४०/१७ ) ओ३म् = सबका रक्षक ब्रह्म परमेश्वर जो आकाश के समान सर्वत्र व्यापक है | २• प्राणाय नमो यस्य सर्वमिदं वशे । यो भूतः सर्वस्य ईश्वरो यस्मिन् सर्वं प्रतिष्ठितम् ।। ( अथर्व ११/४/१ ) ईश्वर = आश्वर्यवान संसार के समस्त पदार्थों का स्वामी ३• तद्विष्णोः परमं पदं […]
आत्मा की पहचान के लक्षण
प्रश्न — हमने सुना है, आत्मा की पहचान के कुछ लक्षण न्याय दर्शन में बताए हैं। हम जानना चाहते हैं कि, उनमें से कौन से गुण स्वाभाविक हैं, और कौन से नैमित्तिक हैं? उत्तर — न्याय दर्शन के अध्याय 1,आह्निक 1, सूत्र 10 के अनुसार आत्मा में 6 लक्षण बताए गए हैं । इच्छा द्वेष […]
आचार्य प्रियव्रत वेदवाचस्पति वैदिक धर्म में तलाक की भी जगह नहीं हैं। वर-वधू को विवाह से पूर्व भली-भाँति देख-भाल और पड़ताल करके अपना साथी चुनने का आदेश दिया गया है – खूब अच्छी तरह परख कर अपना साथी चुनो। पर जब एक बार विवाह हो गया तो फिर विवाह टूट नहीं सकता – तलाक नहीं […]
============ वर्तमान समय में मनुष्य का उद्देश्य धन सम्पत्ति का अर्जन व उससे प्राप्त होने वाले सुख व सुविधाओं का भोग करना बन गया है। इसी कारण से संसार में सर्वत्र पाप, भ्रष्टाचार, अन्याय, शोषण, अभाव, भूख, अकाल मृत्यु आदि देखने को मिलती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ अविद्यायुक्त संगठन व सम्प्रदाय अपने प्रसार की योजनायें […]
परमात्मा से सम्बद्धता के साथ कमाई गई सम्पदा का क्या प्रभाव होता है? परमात्मा की सम्बद्धता के साथ सम्पदा कैसे कमाई जाती है? सनादेव तव रायो गभस्तौ न क्षीयन्ते नोप दस्यन्ति दस्म।द्युमाँ असि क्रतुमाँ इन्द्र धीरः शिक्षा शचीवस्तव नः शचीभिः।। ऋग्वेद मन्त्र 1.62.12 (कुल मन्त्र 722) (सनात्) प्राचीन समय से (एव) केवल (तव) आपका (रायः) […]
ऋतम्भरा तुलाधार और जाजलि
ॐ ।। आध्यात्मिक योग यात्रा ।। ॐ काशी में तुलाधार नामक वैश्य रहते थे, जो भक्तिमान, कर्तव्यनिष्ठ, धर्मात्मा, चिन्तनशील और सत्यवादी थे। ये व्यापार करते हुए भी जल में रहने वाले कमलपत्र के समान निर्लिप्त रहे। प्राणिमात्र के साथ प्रेम का व्यापार करते थे। श्रद्धा, सदाचार, वर्णाश्रम, धर्म,समता सत्य और निष्काम सेवा आदि गुणों के […]
============ वेद ईश्वरीय ज्ञान होने के साथ धर्म और संस्कृति सहित सभी विद्याओं का आदि स्रोत भी है। वेद धर्म व संस्कृति विषयक पूर्ण ज्ञान प्रस्तुत करता है। वेदों की विद्यमानता में धर्म व संस्कृति के ज्ञान व उसके प्रचार व प्रचलन के लिये किसी अन्य ज्ञान की पुस्तक की आवश्यकता नहीं है। वेद नित्य […]
प्रस्तुति- प्रियांशु सेठ भाग 1 १. जैसे शीत से आतुर पुरुष का अग्नि के पास जाने से शीत निवृत्त हो जाता है वैसे परमेश्वर के समीप प्राप्त होने से सब दोष दुःख छूटकर परमेश्वर के गुण कर्म स्वभाव के सदृश जीवात्मा के गुण कर्म स्वभाव पवित्र हो जाते हैं। (सत्यार्थप्रकाश समुल्लास ७) २. जो परमेश्वर […]
– सुरेश सिंह बैस” शाश्वत” एवीके न्यूज सर्विस भारत समेत एशिया-प्रशांत क्षेत्र के कई देशों में 2 सितंबर को हर साल ‘विश्व नारियल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य नारियल के महत्व और निवेश को प्रोत्साहित करने, गरीबी को कम करने और नारियल उद्योग के विकास को बढ़ावा देने […]