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धर्म-अध्यात्म

विष्णु के पंचम व त्रेता युग के पहले अवतार वामन

पौराणिक मान्यतानुसार सृष्टि पालक भगवान विष्णु अब तक अधर्म के नाश के लिए नौ बार यथा मत्स्य, कुर्म (कच्छप), वाराह, नृसिंह (नरसिम्हा), वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध के रूप में धरती पर अवतरित हो चुके हैं और दसवीं बार भविष्य में कलियुग की समाप्ति पर कल्कि अवतार के रूप में अवतरित होंगे। इन सभी अवतारों […]

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धर्म-अध्यात्म

आर्यसमाज अन्य सभी से भिन्न विद्या प्रधान सर्वोत्तम धार्मिक व सामाजिक संस्था है

आर्यसमाज विद्या प्रधान एक धार्मिक एवं सामाजिक संगठन है। यह ऐसी संस्था है जो कि किसी भी विषय की उपेक्षा नहीं करती और सत्य ज्ञान को ही महत्व देती है। इसकी यह भी विशेषता है कि यह सत्य व असत्य के निर्णयार्थ ज्ञान व विज्ञान सहित चिन्तन, मनन व विचार एवं ध्यान को महत्व देती […]

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धर्म-अध्यात्म हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

स्वामी सत्यपति जी को समाधि अवस्था में हुई कुछ अनुभूतियां

ऋषि भक्त स्वामी सत्यपति जी महाराज ऋषि दयानन्द जी की वैदिक विचारधारा और पातंजल योग दर्शन के सफल साधक हैं। आपने दर्शन योग महाविद्यालय और वानप्रस्थ साधक आश्रम की रोजड़, गुजरात में स्थापना की है और अपने अनेक शिष्यों को दर्शनों का आचार्य बनाया है। दर्शन के अध्ययन सहित आपने उन्हें योगाभ्यास भी कराया है। […]

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धर्म-अध्यात्म

योग का वास्तविक रूप- भाग 3

भाइयों बहनों! योगी महान होता है वह पाप पुण्य कर्मों से रहित होता है। कहा भी है – कर्माशुक्लाकृष्ण योगिनस्त्रिविधमितरेषाम्*॥योग दर्शन।कैवल्यपाद। 7॥ योगी का कर्म पाप पुण्य से रहित होता है, अन्य अयोगी व्यक्तियों का तीन प्रकार का होता है। अर्थात् पुण्य, पाप व निष्काम कर्म। अत: हम सभी को योग को अपनाना चाहिए। जैसा […]

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धर्म-अध्यात्म

मृत्यु क्या है? भाग-1

कुछ ऐसे तथ्य भी होते हैं जो हमारे तर्क से परे होते हैं और उन्हें खोजने की आवश्यकता होती है। वास्तव में मृत्यु के बारे में हम जैसा सोचते हैं वह उससे भिन्न पदार्थ है। जैसा हम जानते हैं कि इस संसार में हर किसी के लिए मृत्यु आवश्यक है हम फिर भी इस बात […]

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धर्म-अध्यात्म

महाशिवरात्रि का पर्व और भगवान शिव की महिमा

मृत्युंजय दीक्षित महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुदर्षी को मनाया जाने वाला एक महान पर्व है। इस पवित्र दिन लगभग पूरा भारत षिव भक्ति में तल्लीन हो जाता है और भगवान षिव के चरणों में अपने आप को अर्पित कर पुण्य अर्पित करना चाहता है। ज्योतिषष्शास्त्र के अनुसार प्रतिपदा आदि 16 […]

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धर्म-अध्यात्म

योग क्या है?

साधना के विघ्नः साधना एक लम्बी प्रक्रिया है। इसमें कुछ मास ही नहीं, अपितु कई वर्ष भी लग जाते हैं। अतः साधक को बड़े धैर्य से काम करना होता है। प्रत्येक कार्य में विघ्न आते हैं, उसी प्रकार साधना में भी अनेक विघ्न आते हैं। उनको पार करना साधक का कार्य है। दृढ़ निश्चय और […]

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