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धर्म-अध्यात्म

मेरठ में राष्ट्रीय स्वाभिमान की पुनस्र्थापना में आर्य समाज का योगदान

भारत में आर्य समाज की स्थापना चैत्र शुक्ल 5 विक्रम संवत् 1932 तदनुसार 10 अपै्रल 1875 को बम्बई में गिरगांव रोड स्थित डाक्टर माणिक चन्द की वाटिका में हुयी। बाद में इसने एक प्रभावी लोकप्रिय भारतीय सांस्कृतिक पुनर्जागरण आन्दोलन का रूप ले लिया। इसकी सक्रिय राष्ट्रवादी एवं सुधारात्मक गतिविधियों के कारण अंगे्रज सरकार आर्य समाज […]

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धर्म-अध्यात्म

प्रार्थनाएं धर्म की नहीं, भारतीयता की प्रचारक

देश के लगभग एक हजार केंद्रीय विद्यालयों में पढऩे वाले विद्यार्थियों को संस्कृत और हिंदी में प्रार्थना कराई जाती हैं। वर्षों से यह प्रार्थनाएं हो रही हैं। परंतु, आज तक देश में कभी विद्यालयों में होने वाली प्रार्थनाओं पर विवाद नहीं हुआ। कभी किसी को ऐसा नहीं लगा कि प्रार्थनाओं से किसी धर्म विशेष का प्रचार […]

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धर्म-अध्यात्म

सुख-समृद्धि व धन की वृद्धि करने वाली सीता जयंती

भारतीय सांस्कृतिक जीवन में मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम को जो महत्व प्राप्त है, वही स्थान उनकी अद्र्धांगिनी सीता माता को भी प्राप्त है तथा जिस प्रकार समाज में रामनवमी का महात्म्य है, उसी प्रकार जानकी नवमी या सीता नवमी का भी महात्म्य माना जाता है । लोक मान्यतानुसार सीता नवमी के पावन पर्व पर व्रत रख […]

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धर्म-अध्यात्म

सुख-सौभाग्य, धन-संतान प्रदायक पुण्यशाली पर्व माघ स्नान

भारतीय सभ्यता – संस्कृति में वर्ष की सभी पूर्णिमाओं का अपना अलग विशिष्ट महत्व है परन्तु सभी पूर्णिमाओं में माघ मास की पूर्णिमा की तिथि अत्यंत पवित्र मानी गई है और इस दिन किए गए स्नान- ध्यान, यज्ञ, तप तथा दान का विशेष महत्त्व माना जाता है। पौराणिक ग्रन्थों में माघ स्नान एवं माघी पूर्णिमा […]

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धर्म-अध्यात्म

भक्ति परम्परा के प्रमुख स्तम्भ महाकवि विद्यापति

भारतीय साहित्य की भक्ति परंपरा के प्रमुख स्तंभों में से एक और मैथिली भाषा के सर्वोपरि कवि के रूप में प्रख्यात विद्यापति का संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश एवं मातृभाषा मैथिली पर समान अधिकार था। हिन्दी साहित्यभ के अभिनव जयदेव के नाम से प्रख्यात विद्यापति का बिहार प्रान्त के मिथि?ला क्षेत्रवासी होने के कारण इनकी भाषा मैथिल […]

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अन्य धर्म-अध्यात्म महत्वपूर्ण लेख

श्रेय और प्रेय का मार्ग

पृथ्वी के उत्तर और दक्षिण में दो ध्रुव – उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव हैं। दोनों ध्रुवों को ही पृथ्वी की धुरी कहा जाता हैं और दोनों में ही असाधारण शक्ति केन्द्रीभूत मानी जाती हैं। इसी भान्ति चेतन तत्त्व के भी दो ध्रुव हैं जिन्हें माया और ब्रह्म कहा जाता है। जीव इन्हीं दोनों के […]

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धर्म-अध्यात्म

मनुष्यों के दो भेद आर्य और दस्यु

दो पैर वाले शरीरधारी प्राणी को मनुष्य कहते हैं। ज्ञान व कर्म की दृष्टि से इसके मुख्य दो भेद हैं। ज्ञानी व सदाचार मनुष्य को आर्य तथा ज्ञान व अज्ञान से युक्त आचारहीन मनुष्य को दस्यु कहते हैं। महषि दयानन्द जी ने ‘स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश’ में आर्य और दस्यु का भेद बताते हुए कहा है कि आर्य […]

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धर्म-अध्यात्म

धार्मिक आस्था के विरुद्ध नहीं है वंदेमातरम्

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में योगी आदित्यनाथ सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी है। अदालत ने कहा है कि राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज का सम्मान करना प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है, इसलिए राष्ट्रगान गाना और झंडा फहराना सभी शिक्षण संस्थाओं और अन्य संस्थाओं के लिए भी अनिवार्य है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीष […]

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धर्म-अध्यात्म

मनुष्य का जीवन व चरित्र उज्जवल होना चाहिये

मनुष्य का जीवन व चरित्र उज्जवल होना चाहिये परन्तु आज ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है। जो जितना बड़ा होता है वह अधिक संदिग्ध चरित्र व जीवन वाला होता है। धर्म हो या राजनीति, व्यापार व अन्य कारोबार, शिक्षित व अशिक्षित सर्वत्र चरित्र में गड़बड़ होने का सन्देह बना रहता है। ऐसा होना नहीं […]

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धर्म-अध्यात्म विशेष संपादकीय

क्या है योग और चित्त की वृत्तियों का निरोध

(एक दिन प्रात:काल में मुझसे श्रद्घेय ज्येष्ठ भ्राताश्री प्रो. विजेन्द्रसिंह आर्य-मुख्य संरक्षक ‘उगता भारत’-ने अपनी समीक्षक बुद्घि से सहज रूप में पूछ लिया कि-‘देव! महर्षि पतंजलि के ‘योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:’ पर तुम्हारे क्या विचार हैं? तब मैंने श्रद्घेय भ्राताश्री को अपनी ओर से जो प्रस्तुति दी, उसी से यह आलेख तैयार हो गया। हमारी उक्त चर्चा चलभाष […]

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