अब जिस-जिस गुण से जिस-जिस गति को जीव प्राप्त होता है उस-उस को आगे 11 श्लोकों के द्वारा लिखते हैं- देवत्वं सात्त्विका यान्ति मनुष्यत्वञ्च राजसाः। तिर्यक्त्वं तामसा नित्यमित्येषा त्रिविधा गतिः।।१।। से इन्द्रियाणां प्रसंगेन धर्मस्यासेवनेन च। पापान् संयान्ति संसारान् अविद्वांसो नराधमाः।।११।। तक जो मनुष्य सात्त्विक हैं वे देव अर्थात् विद्वान्, जो रजोगुणी होते हैं वे मध्यम […]
Category: धर्म-अध्यात्म
वेद ज्ञान का प्रकाश कैसे हुआ ?
✍🏻 लेखक – पदवाक्यप्रमाणज्ञ पण्डित ब्रह्मदत्तजी जिज्ञासु प्रस्तुति – 🌺 ‘अवत्सार’ इसके दो ही प्रकार हो सकते हैं, कि या तो जगदीश्वर ने आदि मनुष्यों वा ऋषियों को आजकल की भाँति बैठकर पढ़ाया वा लिखकर दे दिया या लिखा दिया हो, यह सब एक ही प्रकार कहा जा सकता है और ईश्वर के शरीरधारी होने […]
यज्ञ का समय व स्थान
यज्ञ का स्थान बहुत ही शुद्घ और पवित्र रखना चाहिए। उसकी शुद्घता और पवित्रता हमारे हृदय को प्रभावित करती है, दुर्गंधित स्थान पर बैठकर हमें उसकी दुर्गंध ही कष्ट पहुंचाती रहेगी, और हमारा मन ईश्वर के भजन में नही लगेगा और न ही हमें यज्ञ जैसे पवित्र कार्य में कोई आनंद आएगा। यज्ञ का स्थान […]
नास्तिक मत समीक्षा
लेखक- पण्डित हरिदेव जी तर्क केसरी प्रस्तुति- ज्ञान प्रकाश वैदिक प्रश्न १- नास्तिक का क्या लक्षण है? अर्थात् नास्तिक किसे कहते हैं? उत्तर- जो ईश्वर की सत्ता से इन्कार करे वह मुख्य रूप से नास्तिक कहा जाता है। परन्तु स्वामी दयानन्द सरस्वती ने दस प्रकार के लोगों को नास्तिक संज्ञा दी है। यथा- (१) जो […]
एक राजा का मंत्री अपने हर कार्य को ईश्वरीय इच्छा से संपन्न हुआ मानने का अभ्यासी था। वह हर कार्य पर यही कहता था कि ईश्वर जो करते हैं अच्छा ही करते हैं। एक बार वह मंत्री अपने राजा के साथ जंगल में शिकार खेलने गया था, शिकार खेलते-खेलते किसी कारणवश राजा की अपनी तलवार […]
श्रद्धा का महत्व क्या है ?
जब तक ऐसी स्थिति किसी साधक की नहीं बनती है तब तक वह श्रद्घालु नही बन पाता है। आर्य वेदधर्म से इतर जितने भी मत-पंथ या संप्रदाय है, उन सबमें भी श्रद्घा को प्रमुखता प्रदान की गयी है। परंतु उनमें और वैदिक धर्म में अंतर केवल यह है कि ये अन्य मत वाले लोग श्रद्घा […]
‘सत्यार्थ-प्रकाश’ के ‘नवम समुल्लास’ में एक प्रश्न किया गया है कि मुक्ति के साधन क्या हैं? इस पर महर्षि दयानंद जी महाराज लिखते हैं :- (1) ‘‘जो मुक्ति चाहे वह जीवनमुक्त अर्थात जिन मिथ्याभाषाणादि पापकर्मों का फल दुख है, उनको छोड़ सुख रूप फल को देने वाले सत्यभाषाणादि धर्माचरण अवश्य करे। जो कोई दुख का […]
जीवन का वास्तविक आनंद धन
‘‘महर्षि याज्ञवल्क्य की दो पत्नियां थीं । एक दिन उन्होंने अपनी पत्नियों को बुलाकर कहा – ” मैं दीक्षा लेना चाहता हूं। तुम दोनों परस्पर मेरी सारी संपत्ति का विभाजन कर लो और सुख शांति के साथ जीवन यापन करो।’’ उनकी एक पत्नी का नाम मैत्रेयी था। तब उस पत्नी ने पूछा-‘‘मुझे बंटवारे में जो […]
आकर्षण से चल रहा यह सारा ब्रह्मांड
बिखरे मोती सूर्य की किरणों में सात प्रकार के रंग होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अनेकों प्रकार से लाभप्रद होते हैं, जैसे – सूर्य की किरणों से ही हमें विटामिन ‘सी’ तथा विटामिन ‘डी’ की प्राप्ति होती है। सूर्य की किरणें अथहा ऊर्जा का भंडार हैं। जिन देशों में सूर्य की धूप नहीं […]
अनूपशहर में महर्षि का आगमन सात बार हुआ। अनूपशहर लघु काशी के नाम से जाना जाता है । यहां कबीर के समकालीन सेनापति कवि हुए हैं । यहां का मस्तराम घाट महर्षि की तप:स्थली रही है । आज मस्तराम गंगा घाट देखने योग्य है । अनूपशहर कभी आर्य समाज का बहुत बड़ा केंद्र हुआ करता […]