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धर्म-अध्यात्म

ईश्वर है और वह अनुमान व प्रत्यक्ष प्रमाण से सिद्ध है

ओ३म् ========== प्रायः सभी मत-मतान्तरों में ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार किया गया है परन्तु उनमें से कोई ईश्वर के यथार्थ स्वरूप को जानने तथा उसका अनुसंधान कर उसे देश-देशान्तर सहित अपने लोगों में प्रचारित करने का प्रयास नहीं करते। ईश्वर यदि है तो वह दीखता क्यों नहीं है, इसका उत्तर भी मत-मतान्तरों के पास […]

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क्या है तंत्र मंत्र चिकित्सा

जब देश में आज्ञानान्धकार फैला तो तंत्र मंत्र वाले या जादू-टोटके वालों ने लोगों को भ्रमित करना आरंभ कर दिया। क्योंकि परम्परा से हम मंत्रों के द्वारा चिकित्सा करते आ रहे थे, इसलिए मूर्ख, स्वार्थी और अज्ञानी लोगों के बहकावे में लोग आ गये। जिन्होंने तंत्र-मंत्र के द्वारा लोगों को भ्रमित करना आरंभ कर दिया […]

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धर्म-अध्यात्म

ईश्वर सुयोग्य और पात्र भक्त व उपासकों की प्रार्थना स्वीकार करता है

ओ३म् =========== मनुष्य अपने पूर्वजन्म के कर्मों वा प्रारब्ध के अनुसार इस सृष्टि में जन्म लेता है। उसने जो कर्म किये होते हैं उनका सुख व दुःख रुपी फल उसे अवश्य ही भोगना होता है। जाने व अनजानें में मनुष्य जो कर्म करता है उसका कर्म के अनुसार परमात्मा की व्यवस्था से फल अवश्य मिलता […]

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दैनिक यज्ञ में 16 आहुतियां ही क्यों

इसके पश्चात दैनिक यज्ञ की आहुतियां दी जाती हैं, दैनिक यज्ञ के लिए 16 आहुतियों का विधान किया गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को दैनिक यज्ञ में 16 आहुतियां ही देनी चाहिएं। इसका कारण है कि हम प्रति मिनट औसतन 16 श्वांस लेते हैं, इस सोलह के गुणाभाग से 24 घंटे में 16 किलो प्राणवायु […]

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धर्म-अध्यात्म

सृष्टि के प्रारंभ में परमात्मा वेद ज्ञान न देता तो अद्यावधि सभी मनुष्य अज्ञानी व असभ्य होते

ओ३म् =========== वर्तमान संसार अनेक भाषाओं एवं ज्ञान-विज्ञान से युक्त है। इन सब भाषाओं एवं ज्ञान-विज्ञान का विकास कैसे व कब हुआ, इस प्रश्न का उठना स्वाभाविक है। इन प्रश्नों का समाधान खोजने का सबको प्रयत्न करना चाहिये। हम जानते हैं कि संसार कि सबसे पुरानी सभ्यता वैदिक सभ्यता है। इस सभ्यता का आविर्भाव वेदों […]

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अग्नि में तीन समिधाएं क्यों ?

हमारे ऋषि बड़े ज्ञानी थे, वे जानते थे कि मनुष्य के लिए भौतिक ज्ञान आत्मघाती हो सकता है इसलिए वे प्रारंभ से ही प्रयास करते थे कि जैसे भी हो, मनुष्य के भौतिक ज्ञान के साथ-साथ आध्यात्मिक ज्ञान भी जोड़ा जाए। भौतिकता को यदि अध्यात्म के साथ जोड़ दिया तो वह बहुत ही लाभकारी हो […]

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लाभकारी हो हवन हर जीवधारी के लिए

जब हम कहते हैं कि ‘लाभकारी हो हवन हर जीवधारी के लिए’ तो उस समय हवन के वैज्ञानिक और औषधीय स्वरूप को समझने की आवश्यकता होती है। हवन की एक-एक क्रिया का बड़ा ही पवित्र अर्थ है। इस अध्याय में हम थोड़ा-थोड़ा प्रकाश याज्ञिक क्रियाओं की वैज्ञानिकता पर डालेंगे। साथ ही यह भी बताने का […]

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हे प्रभु ! आदरणीयों में आप उत्तम है

अब हम पुन: अपने मूल मंत्र अर्थात ओ३म् त्वं नो अग्ने….पर आते हैं। आगे यह वेद मंत्र कह रहा है कि विद्वानों और आदरणीयों में आप सर्वोत्तम हैं। इसलिए सर्वप्रथम पूजनीय भी आप ही हैं। आप गणेश हैं, प्रजा के स्वामी हैं, और न्यायकारी हैं , इसलिए मेरी श्रद्घा और सम्मान के सर्वप्रथम पात्र भी […]

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कामनाएं पूर्ण होवें यज्ञ से नर नार की

मनुष्य की कामनाएं अनंत हैं । अलग – अलग अवसरों पर इन कामनाओं के अलग-अलग स्वरूप हमारे सामने आते हैं । ऐसा नहीं है कि कामनाएं सदा ही बुरी होती हैं । कामनाएं अच्छी भी होती हैं । वैदिक संस्कृति की यह विशेषता है कि जो अच्छी कामनाएं हैं , शुभकामनाएं हैं , उनका तो […]

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क्या ईश्वर सृष्टि कर्त्ता है

प्रस्तुतकर्ता– भूपेश आर्यप्रश्न:- जब परमात्मा के शरीर ही नहीं,तो संसार कैसे बना सकता है,क्योंकि बिना शरीर के न तो क्रिया हो सकती है और न कार्य हो सकता है?उत्तर:- यह भी तुम्हारी भूल है।चेतन पदार्थ जहां पर भी उपस्थित होगा,वहां वह क्रिया कर सकेगा और क्रिया दे सकेगा।जहां पर उपस्थित नहीं होगा वहां पर शरीर […]

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