Categories
भ्रांति निवारण

प्रयागराज, तीर्थराज और त्रिवेणी संगम की वास्तविकता, भाग – 4

(ईशोपनिषद के आधार पर ) मोक्ष प्राप्ति की साधना भारत के ऋषियों की अनुपम साधना है। शेष विश्व के विद्वान आज तक मोक्ष प्राप्ति की साधना के रहस्य को समझ नहीं पाए हैं । यद्यपि एक काल ऐसा भी था जब संपूर्ण भूमंडल पर सनातन का डंका बजा करता था। संपूर्ण भूमंडल पर वैदिक सनातन […]

Categories
आर्य समाज वेद

वैदिक ईश्वर स्तुति प्रार्थना उपासना मन्त्र

विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परासुव । यद् भद्रं तन्न आ सुव ॥१॥ मंत्रार्थ – हे सब सुखों के दाता ज्ञान के प्रकाशक सकलजगत के उत्पत्तिकर्ता एवं समग्र ऐश्वर्ययुक्त परमेश्वर! आप हमारे सम्पूर्ण दुर्गुणों, दुर्व्यसनों और दुखों को दूरकर दीजिए, और जो कल्याणकारक गुण, कर्म, स्वभाव, सुख और पदार्थ हैं,उसको हमें भलीभांति प्राप्त कराइये। हिरण्यगर्भ: समवर्त्तताग्रे भूतस्य […]

Categories
भ्रांति निवारण

प्रयागराज, तीर्थराज और त्रिवेणी संगम की वास्तविकता, भाग – 3

महाकुंभ को लेकर ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को शास्त्रार्थ की खुली चुनौती ‌ ‌ ‌ द्वितीय किस्त में हमने योग ऋषि पतंजलि महाराज के द्वारा रचित योग दर्शन के माध्यम से मोक्ष की प्राप्ति के विषय में संक्षेप में लिखा था। इसके अतिरिक्त वैशेषिक सूत्र ( १ -१- ४ ) में ‘धर्मविशेषप्रसूत’ पद के शब्द […]

Categories
वेद

वेद एवं वैदिक साहित्य के स्वाध्याय से मनुष्य श्रेष्ठ गुणों से युक्त मनुष्य बनता है

वेद सृष्टि की आरम्भ में परमात्मा द्वारा अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न चार ऋषियों को दिया गया ईश्वरीय सत्य, पूर्ण व निर्दोष ज्ञान है। प्राचीन मान्यता है कि वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेदों में सब मनुष्यों को ‘मनुर्भव’ अर्थात् मनुष्य बनने का सन्देश दिया गया है। इसका अर्थ है कि जन्म से मनुष्य […]

Categories
आर्य समाज डॉ राकेश कुमार आर्य की लेखनी से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

सर्वत्र व्याप रहा है ऋषि का आलोक

स्वामी दयानंद जी महाराज द्वारा स्थापित आर्य समाज जैसी पवित्र संस्था को स्थापित हुए अब 150 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। इस कालखंड में हमारे देश के राष्ट्रीय इतिहास में अनेक घटनाएं घटित हुई हैं। यदि सूक्ष्मता से अवलोकन किया जाए तो आर्य समाज ने भारत के राष्ट्रीय इतिहास को इस कालखंड में बड़ी गहराई […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

तीन अनादि सत्तायें ईश्वर, जीव व प्रकृति न होतीं तो संसार का अस्तित्व न होता

संसार में तीन अनादि सत्तायें हैं। यह सत्तायें नित्य अर्थात् सदा रहने वाली हैं। इनका अभाव कभी नहीं होता। जो पदार्थ अनादि होता है वह अनन्त अर्थात् नाशरहित व अमर भी होता है। इस कारण से इन तीनों पदार्थों का कभी नाश व अभाव नहीं होगा। हमारा आधुनिक विज्ञान वेदों से कोसों दूर है। वह […]

Categories
आर्य समाज व्यक्तित्व

ऋषि दयानन्द ने वेदों का प्रचार विश्व कल्याण की भावना से किया

ऋषि दयानन्द ने आर्यसमाज की स्थापना किसी नवीन मत-मतान्तर के प्रचार अथवा प्राचीन वैदिक धर्म के उद्धार के लिये ही नहीं की थी अपितु उन्होंने वेदों का जो पुनरुद्धार व प्रचार किया उसका उद्देश्य विश्व का कल्याण करना था। यह तथ्य उनके सम्पूर्ण जीवन व कार्यों पर दृष्टि डालने व मूल्याकंन करने पर विदित होता […]

Categories
देश विदेश धर्म-अध्यात्म

महाकुम्भ बना दक्षिण एशिया में भारतीय सॉफ्ट पावर का प्रतीक

दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक सभा, महाकुंभ मेला, 13 जनवरी 2025 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शुरू हो गया है। कुंभ मेला दक्षिण एशिया में भारतीय सॉफ्ट पावर का अद्वितीय उदाहरण है। यह विश्व की सबसे बड़ी धार्मिक सभा होने के साथ-साथ भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और आर्थिक शक्ति का प्रतीक है। कुंभ मेला […]

Categories
धर्म-अध्यात्म

मनुष्य की पूर्ण शारीरिक एवं आत्मिक उन्नति वेदज्ञान के आचरण से ही सम्भव

मनुष्य का शरीर जड़ प्रकृति से बना होता है जिसमें एक सनातन, शाश्वत, अनादि, नित्य चेतन सत्ता जिसे आत्मा के नाम से जाना जाता है, निवास करती है। जीवात्मा को उसके पूर्वजन्मों के कर्मों का भोग कराने के लिये ही सर्वव्यापक एवं सच्चिदानन्दस्वरूप परमात्मा उसे जन्म व शरीर प्रदान करते हैं। शुभ व पुण्य कर्मों […]

Categories
भ्रांति निवारण

प्रयागराज, तीर्थराज और त्रिवेणी संगम की वास्तविकता, भाग – 2

महाकुंभ पर ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को चुनौती सनातन जीवन की एक शैली है । जिसे अपनाकर मनुष्य अपने परमध्येय अर्थात मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। हम बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हम उन ऋषि पूर्वजों की संतानें हैं जिन्होंने हमारे जीवन का लक्ष्य मोक्षप्राप्ति रखा है। इसी मोक्ष की प्राप्ति के लिए मनुष्य को […]

Exit mobile version