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आत्मा शरीर में कहां रहता है? ___ भाग 18

18वीं किस्त छांदोग्य उपनिषद के आधार पर , हमारे इस शरीर को ब्रह्मपुर भी उपनिषद में कहा गया है। और उसमें जो अंतराकाश है उसको कमल ग्रह भी पुकारा गया है। पृष्ठ संख्या 787 “अब इस ब्रह्मपुर (शरीर) में जो यह सूक्ष्म कमल ग्रह है इसमें जो सूक्ष्म अंतराकाश है और उसमें जो स्थित है, […]

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आत्मा शरीर में कहां रहती है? भाग ___17

17वीं किस्त आत्मा का शरीर में महत्व कितना है? छांदोग्य उपनिषद पृष्ठ संख्या 776 (महात्मा नारायण स्वामी कृत,उपनिषद रहस्य, एकादशो पनिषद)पर इस विषय में बहुत ही महत्वपूर्ण और सुंदर विवरण आया है, जो निम्न प्रकार है। “आत्मा ही नीचे, आत्मा ही ऊपर, आत्मा ही पीछे अर्थात पश्चिम में, आत्मा ही पूर्व अर्थात आगे, आत्मा ही […]

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आत्मा शरीर में कहां रहती है? भाग 15

पृष्ठ संख्या 1149 (बृहदारण्यक उपनिषद) ” उस जीवन मुक्त के लिए जब तक वह शरीर में रहता है, नेत्र पुरुष– नेत्र शक्ति अर्थात आंखों की ज्योति सर से पांव तक ईश्वर के रूप में रंगी हुई रहती है। जब भी वह जीवन मुक्त आंखों से देखता है तो उस ईश्वर का स्वरूप उसे हर जगह […]

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शरीर में आत्मा कहां रहता है ? भाग___ 14

यजुर्वेद के 34वें अध्याय के प्रथम छः मंत्र शिव संकल्प के विषय में लिखे गए हैं इन शिव संकल्प के मंत्रों का ऋषि शिव संकल्प है। मन इनमें देवता है। स्वर धैवत है। विराट त्रिष्टुप छंद है ।इन मंत्रों में प्रतिपाद्य विषय मन है। मन का उपादान कारण प्रकृति है। मन के भी कई प्रकार […]

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आत्मा शरीर में कहां रहता है? भाग 13

13वीं किस्त। बृहदारण्यक उपनिषद पृष्ठ संख्या 1145,1146 “जगत उत्पन्न होने से पहले प्रलय काल में प्रकृति गति शून्य और जड़ता पूर्ण हुआ करती है। जब ईश्वर गति देता है तो वह आंदोलित होकर विकृत हुआ करती है।(जिसको बहुत से विद्वानों ने महा विस्फोट का नाम दिया है) प्रकृति की असली हालत न रहने और महतत्व […]

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आत्मा शरीर में कहां रहती है? भाग___ 10

दसवीं किस्त। बृहद आरण्यक उपनिषद् आज की चर्चा बहुत सुंदर है। पृष्ठ संख्या 1114 पर निम्न उल्लेख मिलता है। स्वप्न से सुषुप्ति और तूर्य अवस्था में जीव के जाने की बात बतला कर उसका जागृत अवस्था में लौटना पूर्व में आठवीं, नवी किस्त में बताया जा चुका है। “एक योनि से दूसरी योनि में जीव […]

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जीवात्मा शरीर में कहां रहती है ? भाग 9

नवीं किस्त गतांक से आगे। बृहद्राण्यक उपनिषद के आधार पर , प्रष्ठ संख्या 1099 “यह स्पष्ट है कि शरीर जो जीव का क्रीडा स्थल है, वही देखा जाता है। क्रीड़क( क्रीडा करने वाले अथवा खेल करने वाले) जीव को कोई नहीं देख सकता ,क्योंकि वह निराकार और अदृश्य है। सोते हुए व्यक्ति को जब वह […]

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आत्मा शरीर में कहां रहती है? भाग 8

गतांक से आगे आठवीं किस्त। लेकिन एक महत्वपूर्ण ज्ञानवर्धक किस्त। इस संबंध में बृहदारण्यक उपनिषद में जो विवरण आया है उसको सुधी पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं। महर्षि याज्ञवल्क्य महाराज का नाम आपने सुना होगा। आप उनकी विद्वत से भी परिचित होंगे। राजा जनक से भी आप परिचित हैं जिनको विदेह कहा जाता […]

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आत्मा शरीर में कहां रहती है? भाग 7

बृहदारण्यक उपनिषद् के अनुसार। पृष्ठ संख्या 974 लोक किसे कहते हैं। पहले इसको समझते हैं। लोक इस जगत को और इस जगत में स्थित सूर्य तथा चंद्रमा आदि को कहते हैं। आत्मा इस लोक में किस प्रकार से रहती है? कौन-कौन से लोक में रहती है? कब-कब रहती है? “आत्मा चाहे मुक्त हो और चाहे […]

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आत्मा शरीर में कहां रहती है, भाग – 6

ब्रहदारण्यकोपनिषद के आधार पर । आत्मा शरीर में कहां रहती है? इस उपनिषद में बहुत लंबा वृतांत आत्मा के निवास के विषय में दिया हुआ है लेकिन हम सुधीर पाठकों की सुविधा के लिए छोटे-छोटे भाग में तोड़ तोड़ कर प्रस्तुत करना उचित समझेंगे। पृष्ठ संख्या 829 बहुत महत्वपूर्ण बात लिखी गई है कृपया गंभीरता […]

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