ओ३म् -आर्यसमाज लक्ष्मणचैक-देहरादून का वार्षिकोत्सव- ========= आर्यसमाज लक्ष्मणचैक देहरादून के शनिवार दिनांक 23-11-2019 को वार्षिकोत्सव के दूसरे दिन अपरान्ह 3.00 बजे से यज्ञ आरम्भ हुआ। यज्ञ तीन वृहद यज्ञकुण्डों में किया गया। यज्ञ के ब्रह्मा के आसन पर आगरा के वैदिक विद्वान श्री उमेशचन्द्र कुलश्रेष्ठ विद्यमान थे। उनका साथ श्री सत्यपाल सरल एवं आर्यसमाज के […]
श्रेणी: धर्म-अध्यात्म
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। संसार में तीन अनादि सत्तायें वा पदार्थ हैं जो ईश्वर, जीव व प्रकृति के नाम से वैदिक साहित्य में वर्णित किये गये हैं। वेदों की भाषा मनुष्यकृत न होकर परमात्मा की अपनी भाषा है। वेद की संस्कृत भाषा के शब्द भी परमात्मा के द्वारा प्रयुक्त होने से उसके द्वारा उत्पन्न वा […]
======xx======xx====== अधिकांश मनुष्य प्रायः ईश्वर की भक्ति व उपासना करते हैं। संसार में अनेक प्रकार की उपासना पद्धतियां प्रचलित हैं। कुछ तो ऐसी हैं जो मनुष्य को मंजिल वा लक्ष्य से दूर भी करती हैं। उपासना करने का कारण भी अवश्य कुछ है? वह क्या है, इसका उत्तर वेद एवं वैदिक साहित्य पढ़ने के बाद […]
ओ३म् -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। वैदिक धर्म एवं संस्कृति इस सृष्टि की आद्य एवं प्राचीन धर्म एवं संस्कृति है। यह धर्म व संस्कृति ईश्वर प्रदत्त ज्ञान वेद के आधार पर प्रचलित एवं प्रसारित हुई है। महाभारत काल तक इसका प्रचार व प्रसार पूरे विश्व में था। वेद के सभी सिद्धान्त ईश्वर प्रदत्त होने से सत्य […]
========== वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून का पांच दिवसीय शरदुत्सव आज सोल्लास आरम्भ हुआ। प्रातः 5.00 बजे से 6.00 बजे तक योग साधना का प्रशिक्षण साधको को दिया गया। प्रातः 6.30 बजे से 8.30 बजे तक सन्ध्या एवं यज्ञ सम्पन्न किया गया। यज्ञ के ब्रह्मा अमृतसर से पधारे पं0 सत्यपाल पथिक जी थे। यज्ञ में […]
========= ईश्वर और उसकी उपासना को जानने के लिये हमें ईश्वर की सत्ता व उसके सत्यस्वरूप को जानना आवश्यक है। बहुत से लोग ईश्वर की उपासना व भक्ति तो करते हैं परन्तु ईश्वर के सत्यस्वरूप को जानने के प्रयत्नों की उपेक्षा करते हैं। जब ईश्वर को जानेंगे नहीं तो उपासना में होने वाले लाभों से […]
आज हम लाला दीपचन्द आर्य जी द्वारा ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित सत्यार्थप्रकाश में सत्यार्थप्रकाश के परिचय में लिखे गये महत्वपूर्ण शब्दों को प्रस्तुत कर रहे हैं। उनके शब्द निम्न हैं: 1- इसी ग्रन्थ (सत्यार्थप्रकाश) में ब्रह्मा से लेकर जैमिनि मुनि पर्यन्त ऋषि-मुनियों के वेद-प्रतिपादित सारभूत विचारों का संग्रह है। अल्प विद्यायुक्त, स्वार्थी, दुराग्रही लोगों ने जो […]
किसी देश की सेना का सेनापति युद्ध में शत्रु से हारकर निराश होकर घर आ गया। उदास था, पत्नी ने कारण पूछा, उसने सारी बात बताई, पत्नी सुनकर क्रोध में बोली, ‘‘मैंने तो एक शूरवीर सेनापति से विवाह किया था, तुम तो भीरु निकले, मैं तो तुम्हारे जीते जी ही विधवा हो गई। तुम मन […]
========= यज्ञ में पांच घृत आहुतियों को देने का मुख्य प्रयोजन यह है कि समिधाओं पर इन घृत आहुतियों से अग्नि पूर्णरूप से जल उठे अर्थात् यज्ञ वेदी में रखी समिधायें भली प्रकार से जलने लगे। इसका कारण यह है कि इन आहुतियों के कुछ अन्तराल पर हम सामग्री वा साकल्य की आहुतियां देते हैं। […]
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। संसार में हम सूर्य, चन्द्र तथा पृथिवी आदि लोकों तथा पृथिवी पर अग्नि, जल, वायु सहित वनस्पतियों एवं अन्यान्य प्राणियों की सृष्टि को देखते हैं। इनको उत्पन्न करने वाला अर्थात् इनका रचयिता कौन है, इसका निभ्र्रान्त ज्ञान हमें व हमारे अधिकांश बन्धुओं को नहीं है। इसका उत्तर महर्षि दयानन्द ने सन् […]