अश्वमेध अधिक रचनाएं यज्ञ पर उपकार को भाग 4 सत्य को अपनाएं हमारी संस्कृति कहती है-‘‘मिथ्या को छोड़ें और सत्य को अपनायें। सरल रहें , अभिमान न करें। स्तुति करें-निंदा न करें। नीचे आसन पर बैठें-ऊंचे न बैठें। शांत रहें, चपलता न करें। आचार्य की ताडऩा पर प्रसन्न रहें, क्रोध कभी न करें। जब कुछ […]
Category: धर्म-अध्यात्म
वेदों के शिव का रहस्य
प्रियांशु सेठ हिन्दू समाज में मान्यता है कि वेद में उसी शिव का वर्णन है जिसके नाम पर अनेक पौराणिक कथाओं का सृजन हुआ है। उन्हीं शिव की पूजा-उपासना वैदिक काल से आज तक चली आती है। किन्तु वेद के मर्मज्ञ इस विचार से सहमत नहीं हैं।उनके अनुसार वेद तथा उपनिषदों का शिव निराकार ब्रह्म […]
पूजनीय प्रभु हमारे , अध्याय 5 अश्वमेध क्या है ? अब आते हैं इस अध्याय के उस विषय पर जो इसके शीर्षक में लिखा है कि-‘अश्वमेधादिक रचायें…..।’ इसमें यह अश्वमेध क्या है? कुछ लोगों ने अश्वमेध का बड़ा ही घृणास्पद अर्थ कर दिया, जिससे घोड़े को मार कर यज्ञ करना-ऐसा अर्थ अभिप्रेत कर लिया गया, […]
पूजनीय प्रभु हमारे… अध्याय — 4 जीवन एक साधना है, इतनी ऊंची साधना कि जिसकी ऊंचाई को कोई नाप नही सकता। जितनी ऊंची जिसकी साधना होती है उतना ही महान उसका जीवन होता है। भारत में हमारे पूर्वजों ने दीर्घकाल तक महान जीवन की महान साधना की, जिसके परिणाम स्वरूप युग-युगों तक यह विश्व जीवन […]
वेद ज्ञान का प्रकाश कैसे हुआ ?
✍🏻 लेखक – पदवाक्यप्रमाणज्ञ पण्डित ब्रह्मदत्तजी जिज्ञासु प्रस्तुति – 🌺 ‘अवत्सार’ इसके दो ही प्रकार हो सकते हैं, कि या तो जगदीश्वर ने आदि मनुष्यों वा ऋषियों को आजकल की भाँति बैठकर पढ़ाया वा लिखकर दे दिया या लिखा दिया हो, यह सब एक ही प्रकार कहा जा सकता है और ईश्वर के शरीरधारी होने […]
वेद ज्ञान का प्रकाश कैसे हुआ ?
✍🏻 लेखक – पदवाक्यप्रमाणज्ञ पण्डित ब्रह्मदत्तजी जिज्ञासु प्रस्तुति – 🌺 ‘अवत्सार’ इसके दो ही प्रकार हो सकते हैं, कि या तो जगदीश्वर ने आदि मनुष्यों वा ऋषियों को आजकल की भाँति बैठकर पढ़ाया वा लिखकर दे दिया या लिखा दिया हो, यह सब एक ही प्रकार कहा जा सकता है और ईश्वर के शरीरधारी होने […]
पूजनीय प्रभो हमारे…… अध्याय 2 प्रार्थना की अगली पंक्ति-‘छोड़ देवें छल-कपट को मानसिक बल दीजिए’ है। यह पंक्ति भी बड़ी सारगर्भित है। इसमें भी भक्त अपने शुद्घ, पवित्र अंतर्मन से पुकार रहा है कि मेरे हृदय में कोई कपट कालुष्य ना हो, कोई मलीनता न हो । यह पंक्ति पहली वाली पंक्ति अर्थात ‘पूजनीय प्रभो! […]
जब हम किसी भी शुभ अवसर पर या नित्य प्रति दैनिक यज्ञ करते हैं तो उस अवसर पर हम यह प्रार्थना अवश्य बोलते हैं :– पूजनीय प्रभो हमारे , भाव उज्ज्वल कीजिये । छोड़ देवें छल कपट को, मानसिक बल दीजिये ।। 1।। वेद की बोलें ऋचाएं, सत्य को धारण करें । हर्ष में हो […]
ओ३म् ============ वेदों का नाम प्रायः सभी लोगों ने सुना होता है परन्तु आर्य व हिन्दू भी वेदों के बारे में अनेक तथ्यों को नहीं जानते। हमारा सौभाग्य है कि हम ऋषि दयानन्द जी से परिचित हैं। उनके आर्यसमाज आन्दोलन के एक सदस्य भी हैं और हमने ऋषि दयानन्द के जीवन एवं कार्यों को जानने […]
ओ३म् ============= हम मनुष्य हैं और हमारे कुछ कर्तव्य हैं जिनमें हमारा एक प्रमुख कर्तव्य है कि हम अपने उत्पत्तिकर्ता, जन्मदाता, आत्मा व शरीर को संयुक्त करने वाले तथा हमारे लिए योगक्षेम वा कल्याण के लिए इस सृष्टि को बनाने सहित इसका पालन करने वाले परमेश्वर को जानें और उसके प्रति अपने सभी कर्तव्यों का […]