ओ३म् ============= वैदिक धर्म मनुष्य निर्मित नहीं अपितु परमात्मा से प्रेरित व प्राप्त धर्म है। वैदिक धर्म का आरम्भ चार वेदों से हुआ। यह वेद वा वेदज्ञान सृष्टि उत्पत्ति के साथ, सृष्टि के आरम्भ में ही चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को प्राप्त हुआ था। चार ऋषि थे अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा। […]
Category: धर्म-अध्यात्म
संगम स्नान और नाड़ी जागरण का रहस्य
एक असत्य को सुनते – सुनते परेशान हो चुके हैं कि प्रयागराज में तीन नदियों का संगम है , इसलिए उसको त्रिवेणी कहते हैं। क्या यह सत्य है ? – बिल्कुल नहीं। इस किंवदंती के अनुसार गंगा , जमुना और सरस्वती का संगम प्रयागराज में बताया जाता है । यद्यपि ऐतिहासिक प्रमाण कुछ इस प्रकार […]
ओ३म् “ईश्वर के सत्यस्वरूप को जानकर उसकी आज्ञाओं का पालन ही धर्म है” ============= मनुष्य ज्ञान से युक्त एक कर्मशील सत्ता है। मनुष्य का जीवात्मा अल्पज्ञ होता है। ईश्वर सर्वज्ञ एवं सर्वशक्तिमान है और अपनी इन शक्तियों से ही वह इस सृष्टि की रचना व पालन करता है। ईश्वर में सृष्टि रचना के अतिरिक्त भी […]
ओ३म् ============= मनुष्य ज्ञान से युक्त एक कर्मशील सत्ता है। मनुष्य का जीवात्मा अल्पज्ञ होता है। ईश्वर सर्वज्ञ एवं सर्वशक्तिमान है और अपनी इन शक्तियों से ही वह इस सृष्टि की रचना व पालन करता है। ईश्वर में सृष्टि रचना के अतिरिक्त भी अनेक गुण हैं। वह अनन्त कर्मों को करता है और उसका स्वभाव […]
नमस्ते की सही मुद्रा और उसका रहस्य
भारत का राष्ट्रीय अभिवादन ‘नमस्ते’ है। नमस्ते की सही मुद्रा है -व्यक्ति के दोनों हाथों का छाती के सामने आकर दूसरे व्यक्ति के लिए जुट जाना और उसी समय व्यक्ति के मस्तक का झुक जाना। ‘नमस्ते’ की यह मुद्रा जहां ‘नमस्ते’ करने वाले की शालीनता और विनम्रता को झलकाती है-वहीं उसके अहंकारशून्य व्यवहार की भी […]
बिना भक्ति के हृदय मरूभूमि के समान है यदि मनुष्य आत्मोत्थान चाहता है , कैवल्यानंद अर्थात मोक्ष प्राप्ति के आनंद की इच्छा रखता है तो इसका एक ही साधन है – योग । योग के भी तीन अंतिम चार अंग प्रत्याहार , धारणा , ध्यान और समाधि अंतरंग योग के अंतर्गत आते हैं । प्राणायाम […]
एक पहलवान और उसके शिष्य
एक उस्ताद अपने कई शिष्यों को एक साथ पहलवानी के दांव-पेंच सिखाया करते थे। उन्होंने अपने एक प्रिय शिष्य को कुश्ती के सारे दांव-पेंच सिखा दिये। जिससे वह अच्छे-अच्छे पहलवानों को कुश्ती में पटकने लगा। उससे कुश्ती लडऩे का साहस अब हर किसी का नहीं होता था। अपने सामने से पहलवानों को इस प्रकार भागता […]
सकाम कर्म करने वाला सदैव अपने लिए शुभ फल की इच्छा किया करता है ,और यह फल इच्छा पूर्ण होने पर वासना पैदा करता है। अर्थात बार-बार किसी कार्य को करने को वासना कहते हैं। वासना से फिर वही फल इच्छा उत्पन्न होती है ।यह चक्र बराबर इसी प्रकार से जन्म जन्मांतर से चला […]
विनम्रता वैदिक धर्म का एक प्रमुख गुण है। सारी विषम परिस्थितियों को अनुकूल करने में कई बार विनम्रता ही काम आती है। इसीलिए विनम्र बनाने के लिए विद्या देने की व्यवस्था की जाती है। विद्या बिना विनम्रता के कोई लाभ नहीं दे सकती और विनम्रता बिना विद्या के उपयुक्त लाभ नहीं दे सकती। कहा गया […]
सब कुछ उस परमेश्वर पर छोड़ दो
एक व्यक्ति किसी महात्मा के पास गया। महात्मा जी की साधना की दूर-दूर तक चर्चा थी। उनके चेहरे के तेज को देखकर ही पता चल जाता था कि उनकी साधना बहुत ऊंची है। वह व्यक्ति भी तो उनकी उच्च साधना से प्रभावित होकर ही उनके पास पहुंचा था। उसे कुछ पूछना था, कुछ जानना […]