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धर्म-अध्यात्म

उपयोग की सभी वस्तुओं का स्वदेश में ही उत्पादन देशोन्नति तथा आत्मनिर्भरता का मूल है

भारत विश्व का सबसे प्राचीन राष्ट्र है। भारत ने ही सृष्टि के आरम्भ से विश्व के लोगों को भाषा एवं ज्ञान दिया है। विश्व के प्राचीनतम ग्रन्थों में प्रमुख मनुस्मृति के अनुसार भारत वा आर्यावर्त देश ही विश्व में विद्वान, चरित्रवान व गुणी लोगों को उत्पन्न करने वाला देश है। यहां के ऋषि, मुनि, विद्वान […]

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धर्म-अध्यात्म

पुनर्जन्म सिद्धांत समीक्षा

प्रश्न :- पुनर्जन्म किसे कहते हैं ? उत्तर :- आत्मा और इन्द्रियों का शरीर के साथ बार बार सम्बन्ध टूटने और बनने को पुनर्जन्म या प्रेत्याभाव कहते हैं । प्रश्न :- प्रेत किसे कहते हैं ? उत्तर :- जब आत्मा और इन्द्रियों का शरीर से सम्बन्ध टूट जाता है तो जो बचा हुआ शरीर है […]

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धर्म-अध्यात्म

किस वेद में स्त्रियों और शूद्रों के वेदाधिकार का निषेध है ?

हम बड़ी नम्रतापूर्वक इन धर्माचार्यों से पूछना चाहते हैं कि ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद इन चारों संहिताओं में कहीं एक भी मन्त्र या मन्त्रांश ऐसा दिखा दीजिए जो महिलाओं और शूद्रों के वेदाध्ययन का निषेध करता हो?? महिला या पुरुष नहीं अपितु मानवमात्र को वेदाध्ययन का अधिकार है। मध्यकाल में जब बहुत प्रकार के […]

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धर्म-अध्यात्म

जीवात्मा के बारे में विशेष जानकारी

1) जीवात्मा किसे कहते है ? उत्तर = एक ऐसी वस्तु जो अत्यंत सूक्ष्म है, अत्यंत छोटी है , एक जगह रहने वाली है, जिसमें ज्ञान अर्थात् अनुभूति का गुण है, जिस में रंग रूप गंध भार (वजन) नहीं है, कभी नाश नहीं होता, जो सदा से है और सदा रहेगी, जो मनुष्य-पक्षी-पशु आदि का […]

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धर्म-अध्यात्म

जब समझ आ गई नारद मुनि को भगवान की माया

(पौराणिक कथा) अमृता गोस्वामी ब्रह्माजी की इच्छा थी कि उनका पुत्र नारद उनकी रचाई सृष्टि में वैवाहिक जीवन व्यतीत करें किन्तु नारद जी की आसक्ति संसारी बनने की नहीं थी, उन्हें तो ऋषि-मुनियों वाला जीवन पसंद था। उन्होंने पिता की बात नहीं मानी जिससे क्रोध में आकर ब्रह्माजी ने नारद को आजीवन अविवाहित रहने का […]

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धर्म-अध्यात्म

महात्मा बुद्ध के ज्ञान का प्रकाश आज भी संसार में उजाला कर रहा है

डॉ. प्रभात कुमार सिंधल महात्मा गौतम बुद्ध ने कभी अपनी मूर्ति बनाने, पूजा करने को नहीं कहा और न ही किसी मत या धर्म का प्रतिपादन किया परंतु उनके अनुयायियों ने इसे बौद्ध धर्म बना कर उनकी मूर्तियां स्थापित कीं और पूजा करना शुरू किया। अहिंसा एवं करुणा से ही मानवता, ज्ञान से तृष्णाओं का […]

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धर्म-अध्यात्म

आदि शंकराचार्य के प्रयासों ने हिंदू धर्म को प्रदान की नयी चेतना

प्रज्ञा पांडे शंकराचार्य का जन्म को दक्षिण भारत के राज्य केरल के कालड़ी नामक गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम शिवगुरु नामपुद्रि और माता विशिष्टा देवी थीं। विशिष्टा देवी को विवाह के उपरांत बहुत समय तक संतान नहीं हुई तब उन्होंने शिव जी की आराधना की। शंकराचार्य अद्वैत वेदांत […]

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धर्म-अध्यात्म

यम यमी सूक्त

ऋग्वेद मण्डल १० का १०वाँ सूक्त ऋक्सर्वानुक्रमणी के अनुसार वैवस्वत यमयमी के संवादपरक है। यम और यमी भाई बहन हैं। यमी यम से शारीरिक सम्बन्ध की कामना करती है, यम उसे इस सम्बन्ध के लिये मना करता है। ऐसा सभी भाष्यकारों ने व्याख्यान किया है। निरुक्त ११।३४ में यास्क ने भी आख्यानपक्ष में ऐसा ही […]

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धर्म-अध्यात्म

ईश्वर मेरे नेत्रों व हृदय की न्यूनताओं को और मन की व्याकुलता को दूर करें

चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद ईश्वर द्वारा सृष्टि के आरम्भ में चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को दिया गया वह ज्ञान है जिससे मनुष्य अपना समस्त जीवन ईश्वर की सच्ची उपासना एवं सत्कर्मों को करता हुआ व्यतीत कर सकता है। जीवन में सुखी, निरोग, दीर्घायु रहकर अपने परजन्म को भी सुधार […]

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धर्म-अध्यात्म भारतीय संस्कृति

वैदिक जीवन स्वस्थ व श्रेष्ठ जीवन का संवाहक

संसार में सबसे प्राचीन धर्म व संस्कृति वेद वा वैदिक है। वेद ईश्वर का सृष्टि की आदि में दिया गया ज्ञान है। इस वेदज्ञान के अनुसार जो मत व धर्म प्रचलित हुआ उसी को वैदिक धर्म कहा जाता है। वैदिक धर्म उतना ही पुराना है जितना पुराना हमारा संसार है। न केवल हमारे अपितु संसार […]

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