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धर्म-अध्यात्म

सत्संग स्वर्ग और कुसंग नरक है

किसी भी विषय के प्रायः दो पहलु होते हैं, एक सत्य व दूसरा असत्य। सत्य व असत्य का प्रयोग ईश्वर व जीवात्मा से लेकर सृष्टि के सभी पदार्थों व व्यवहारों में सर्वत्र किया जाता है। ईश्वर निराकार है, यह सत्य है और निराकार नहीं है अथवा साकार है, यह असत्य है। निराकार अर्थात् आकार रहित […]

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आर्य समाज वेद हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ऋषि दयानन्द के बतायें मार्ग पर चलकर जीवन को सफल बनायें

मनमोहन कुमार आर्य हम वेदों के पुनरुद्धार एवं देश से अविद्या व अन्धविश्वासों को दूर करने के लिये ऋषि दयानन्द सहित उनके गुरु स्वामी विरजानन्द, स्वामी दयानन्द के संन्यास गुरु स्वामी पूर्णानन्द जी, स्वामी जी के योग-गुरुओं, स्वामी श्रद्धानन्द, पं. लेखराम, पं. गुरुदत्त विद्यार्थी, स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती, पं. श्यामजी कृष्ण वम्र्मा, लाला लाजपत राय, भाई […]

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आर्य समाज हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ऋषि दयानन्द के तप, त्याग व भावनाओं को ध्यान में रखकर हमें उनके वेद-भाष्य सहित सभी ग्रन्थों का स्वाध्याय व आचरण करना चाहिये

– मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द संसार के महापुरुषों में अन्यतम थे। उन्होंने जो कार्य किया वह अन्य महापुरुषों ने नहीं किया। उन्होंने ही हमें ईश्वर के सत्यस्वरूप से परिचित कराया है। उनसे पूर्व ईश्वर का सत्यस्वरूप वेद, उपनिषद आदि ग्रन्थों में उपलब्ध था परन्तु देश के न केवल सामान्य जन अपितु विद्वानों को भी […]

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धर्म-अध्यात्म

प्रयागराज महाकुंभ में अंतर्निहित है – समावेशी सांस्कृतिक दृष्टि

गौतम चौधरी विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक समागम, महाकुंभ मेला, आध्यात्मिकता, आस्था और सांस्कृतिक विरासत का शानदार उत्सव है। यह आयोजन, जो पवित्र गंगा यमुना और पौराणिक सरस्वती के मिलन स्थल, प्रयागराज के संगम पर प्रत्येक बारह वर्ष में एक बार आयोजित किया जाता है, भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और संगठनात्मक कौशल के प्रति […]

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धर्म-अध्यात्म

तप का वैदिक स्वरुप

लेखक – आर्य सागर एक युवक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जनपद के किसी गांव का है। इसके विषय में प्रचारित हैं कि इसने 41दिन अनवरत खड़े होकर आज के परिपेक्ष्य में जिसे तपस्या कहा जाता है उसे करने का संकल्प लिया है।13 जनवरी से यह खड़ा है 23 फरवरी को 41 दिन की अवधि […]

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आर्य समाज भारतीय संस्कृति व्यक्तित्व शिक्षा/रोजगार

विद्या : धर्म का आठवाँ लक्षण

दयानन्द ने विद्या प्राप्त करने की प्रेरणा अनेक स्थलों पर दी है। – अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए। – विद्या का जो पढ़ना-पढ़ाना है यही सबसे उत्तम है। – स्वाध्याय (पढ़ना) और प्रवचन (पढ़ाना) का त्याग कभी नहीं करना चाहिए। – विद्यादि शुभ गुणों को प्राप्त करने के प्रयत्न में अत्यंत […]

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धर्म-अध्यात्म भ्रांति निवारण

दान एक निष्काम सेवा ? दान देने सम्बंधित भ्रांतिया और निवारण

(दान क्या है , क्यों करें ,किसको करना चाहिए – एक अध्ययन) – डॉ डी के गर्ग महर्षि दयानन्द के अनुसार – संसार में जितने भी दान हैं अर्थात् जल, अन्न, गौ, पृथ्वी, वस्त्र, तिल, सुवर्ण और घृतादि। .इन सभी दानों में से वेदविद्या का दान अतिश्रेष्ठ है।इसलिए जितना बन सके. उतना तन, मन, धन […]

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धर्म-अध्यात्म

सत्य के ग्रहण तथा अन्धविश्वासों के त्याग में ही जीवन की सार्थकता है

– मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य को मनुष्य का जन्म ज्ञान की प्राप्ति तथा उसके अनुसार आचरण करने के लिये मिला है। यदि मनुष्य सत्यज्ञान की प्राप्ति के लिये प्रयत्न नहीं करता तो उसका अज्ञान व अन्धविश्वासों में फंस जाना सम्भव होता है। अज्ञानी मनुष्य अपने जीवन में लौकिक एवं पारलौकिक उन्नति नहीं कर सकते। सत्यज्ञान […]

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धर्म-अध्यात्म

अन्तिम हिन्दू (भाग 1)

लेखक – पुरुषोत्तम प्रेषक – डॉ विवेक आर्य भाग 1 एक समय भयङ्कर बाढ़ आई। लोग जान बचाने के लिये ऊँची जगहों पर, पेड़ों पर और मकान की छतों पर जा बैठे। फिर उन लोगों को बाढ़ – से निकालने का कार्य प्रारम्भ हुआ। कुछ साहसी लोग तैर तैर कर उन बाढ़ ग्रस्त लोगों के […]

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भ्रांति निवारण

प्रयागराज, तीर्थराज और त्रिवेणी संगम की वास्तविकता, भाग – 5

देवेंद्र सिंह आर्य ज्योतिषपीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी के विषय में हम सभी जानते हैं कि उन्हें स्वामी स्वरूपानंद जी की गद्दी उत्तराधिकार में अभी वैधानिक दृष्टिकोण से प्राप्त नहीं हुई है । इसके उपरांत भी वह अपने आप को शंकराचार्य लिखते हैं । उनकी पृष्ठभूमि भी कांग्रेस की रही है। कांग्रेस में रहते वे राजनीति […]

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