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धर्म-अध्यात्म

सर्गारम्भ में सर्वज्ञ और सर्व जीवन -आधार ईश्वर से ही 4 ऋषियों को चार वेद मिले थे

ओ३म् =========== हमारा यह संसार स्वतः नहीं बना अपितु एक पूर्ण ज्ञानवान सर्वज्ञ सत्ता ईश्वर के द्वारा बना है। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, सर्वव्यापक, सर्वातिसूक्ष्म, एकरस, अखण्ड, सृष्टि का उत्पत्तिकर्ता, पालनकर्ता तथा प्रलयकर्ता है। जो काम परमात्मा ने किये हैं व करता है, वह काम किसी मनुष्य के वश की बात नहीं है। संसार में […]

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मैं ईश्वर को जानता हूं वह आदित्य वर्ण और अंधकार से दूर है

ओ३म् =========== ईश्वर है या नहीं? इस प्रश्न का उत्तर ‘ईश्वर है’ शब्दों से मिलता है। ईश्वर होने के अनेक प्रमाण हैं। वेद सहित हमारे सभी ऋषि आप्त पुरुष अर्थात् सत्य ज्ञान से युक्त थे। सबने वेदाध्ययन एवं अपनी ऊहापोह शक्ति से ईश्वर को जाना तथा उसका साक्षात्कार किया था। यजुर्वेद 31.18 मन्त्र ‘वेदाहमेतं पुरुषं […]

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आत्मा एक अनादि द्रव्य है जिसकी सिद्धि उसके गुणों से होती है

ओ३म् ========== संसार में अनश्वर एवं नश्वर अनेक पदार्थ हैं जिनकी सिद्धि उनके निज-गुणों से होती है। वह गुण सदा उन पदार्थों में रहते हैं, उनसे कभी पृथक नहीं होते। अग्नि में जलाने का गुण है। वायु में स्पर्श का गुण है, जल में रस है जिसे हमारी रसना व जिह्वा अनुभव करती है। इसी […]

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जगन्नाथ के कुछ वैदिक नामों की व्याख्या

अंग्रेजी परम्परा में अंग्रेजी माध्यम से संस्कृत पढ़े लोग कहते हैं कि वेद में जगन्नाथ का नाम या वर्णन नहीं है। स्वयं भगवान् ने कहा है कि पूरा वेद उन्हीं का वर्णन है, अतः ब्रह्म के सभी नाम जगन्नाथ के ही वाचक हैं- वेदैश्च सर्वैरहमेव वेद्यो वेदान्तकृत् वेदविदेव चाहम् (गीता १५/१५) यहां भागवत पुराण के […]

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ईश्वर प्राप्ति का एकमात्र उपाय पतंजलि प्रणीत यम नियम

प्रस्तुति : आचार्य ज्ञान प्रकाश वैदिक प्रियांशु सेठ मूर्तिपूजा अर्वाचीन है, वेदादि शास्त्रों के विरुद्ध और अवैदिक है फिर हम अपने ईश्वर को कैसे प्राप्त करें? हमारी उपासना-विधि क्या हो? उपासना का अर्थ है समीपस्थ होना अथवा आत्मा का परमात्मा से मेल होना। महर्षि पतञ्जलि द्वारा वर्णित अष्टाङ्गयोग के आठ अङ्गब्रह्मरूपी सर्वोच्च सानु-शिखर पर चढ़ने […]

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एक सच्चिदानंदस्वरूप , निराकार , सर्वज्ञ और सर्वशक्तिमान ईश्वर ही सबके लिए उपासनीय है

ओ३म् ========== हम इस सृष्टि में रहते हैं। हमारा जन्म यद्यपि माता-पिता से हुआ है परन्तु हमारे शरीर को बनाने वाला तथा इसका पोषण करने वाला परमात्मा है। वह परमात्मा कहां है, कैसा है, उसकी शक्ति कितनी है, उसका ज्ञान कितना है, उसका आकार कैसा है तथा उसकी उत्पत्ति कब व कैसे हुई, यह ऐसे […]

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समस्त दुखों से निवृत्ति का एकमात्र साधन योग

  प्रियांशु सेठ (विश्व योग दिवस पर विशेष रूप से प्रकाशित) आज की विकट सामाजिक परिस्थिति में वैदिक धर्म संस्कृति, सभ्यता, रीति-नीति, परम्पराएं आदि लुप्तप्राय: हो गयी हैं। इसके विपरीत केवल भोगवादी और अर्थवादी परम्पराओं का अत्यधिक प्रचार-प्रसार हो रहा है। ब्रह्म विद्या दुर्लभ होने का यह एक प्रमुख कारण है। स्थायी सुख-शान्ति की प्राप्ति […]

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संसार में अनादि पदार्थ कौन कौन से व कितने हैं

ओ३म् ========= हम संसार में सूर्य, चन्द्र, पृथिवी आदि अनेक लोकान्तर तथा पृथिवी पर अनेक पदार्थों को देखते हैं। हमें यह जो भौतिक दिखाई देता है वह सृष्टिकर्ता ईश्वर की अपौरुषेय रचना है। वर्तमान में भी कुछ पदार्थ मौलिक तत्वों की परस्पर रासायनिक क्रियाओं वा विकारों से भी बनते हैं। हमारे शास्त्र भौतिक जगत में […]

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हमारा सबसे पहला गुरु कौन ?

हम स्कूल गए। पढे। जिस अध्यापक ने हमे पढ़ाया वह भी कभी विद्यार्थी था। उसका अध्यापक भी कभी विद्यार्थी रहा था। प्रश्न उठता है जब दुनिया बनी तब सबसे पहला अध्यापक कौन था? इसका उत्तर योग दर्शन मे महर्षि पतंजलि देते हैं– क्लेश-कर्म-विपाक-आशयैः परामृष्टः पुरुषविशेषो ईश्वरः ।।24।। क्लेश-कर्म-विपाक और आशयों से रहित पुरुष विशेष ईश्वर […]

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शास्त्रार्थ के मनोरंजक क्षण : ईश्वर ने वेदज्ञान बिना बोले कैसे दिया ?

ओ३म् [ सत्यव्रत सिद्धान्तालंकार ] बहुत पुरानी बात लिखने बैठा हूँ। होगी ७५ (वर्तमान में लगभग १००) साल पहले की बात।तब शास्त्रार्थों का युग था। मैं गुरुकुल में पढ़ता था। परिवार के किसी संकट में घर बुलाया गया था। घर लुधियाना के एक गाँव में था। दशहरे के दिन थे। मैं गाँव से लुधियाना शहर […]

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