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धर्म-अध्यात्म

हम सब कुछ नहीं कर सकते

  हर व्यक्ति के अंदर एक मजबूत पक्ष होता है उसे अपने उस पक्ष को ढूंढनें की कोशिश करनी चाहिए। कई क्षेत्रों मे हाथ बटाने से अच्छा है कि अपने पंसद व लगाव के क्षेत्र के बारे में पता करें, अपनी पूरी ऊर्जा उस तरफ झोक दें। कई सारे लक्ष्य बनाना या फिर करने की […]

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धर्म-अध्यात्म

कालसर्प योग एवं मंगली दोष

शास्त्रों ने जो भी नीति नियामक हमारे सामने रखे हैं उनमें से एक है *’देयं परं किं ह्यभयं जनस्य. . . . ‘* जिस पर हमारे ज्योतिषियों ने साफ़ अनदेखी कर रखी है। उल्टे भय विस्तारण के अनेकानेक करतब ढूंढे जाते हैं। मङ्गली दोष, कालसर्प दोष, राहु काल इत्यादि जैसे कई नुस्खे हैं जिनका भय […]

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धर्म-अध्यात्म

वेदों को अपना लेने से विश्व की सब समस्याओं का समाधान

ओ३म् =============== हमारा विश्व अनेक देशों में बंटा हुआ है। सभी देशों के अपने अपने मत, विचारधारायें तथा परम्परायें आदि हैं। कुछ पड़ोसी देशों में मित्रता देखी जाती है तो कहीं कहीं पर सम्बन्धों में तनाव भी दृष्टिगोचर होता है। दो देशों का तनाव कब युद्ध में बदल जाये इसका अनुमान नहीं किया जा सकता। […]

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धर्म-अध्यात्म

ईश्वर हमारे माता-पिता और आचार्य भी है

ओ३म् =========== ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनादि, अनन्त, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय एवं सृष्टिकर्ता है। वह जीवात्माओं के जन्म-जन्मान्तर के कर्मों के अनुसार न्याय करते हुए उन्हें भिन्न-भिन्न योनियों में जन्म देकर उनको सुख व दुःख रूपी भोग व फल प्रदान करता है। संसार में असंख्य प्राणी […]

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धर्म-अध्यात्म

अन्य कार्य करते हुए ईश्वर के उपकारों का चिंतन आवश्यक है

ओ३म् ========== मनुष्य को जीवन में अनेक कार्य करने होते हैं। उसे अपने निजी, पारिवारिक व सामाजिक कर्तव्यों की पूर्ति के लिये समय देना पड़ता है। धनोपार्जन भी एक गृहस्थी मनुष्य का आवश्यक कर्तव्य है। इन सब कार्यों को करते हुए मनुष्य को अवकाश कम ही मिलता है। अतः सभी कामों को समय विभाग के […]

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धर्म-अध्यात्म

मंदिर में पंचतत्वों की उपस्थिति को हम कैसे पहचानें?

डॉ. आनन्द वर्धन (लेखक म्यूजियम एसोशिएशन ऑफ इंडिया के सचिव हैं।) दुनिया की सभी सभ्यताओं और संस्कृतियों में धार्मिक प्रतीकों का व्यापक प्रयोग किया गया है। परंतु हमारे मंदिर केवल प्रतीक होने तक सीमित नहीं हैं। यदि हम वेदों की ऋषि-प्रज्ञा को मंदिर स्थापत्य की परंपरा से जोड़कर देखें तो उसमें उस समस्त वैज्ञानिकता का […]

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धर्म-अध्यात्म पर्यावरण

यज्ञ श्रेष्ठतम कर्म है जिसे करने से वायुमंडल शुद्ध होता है : डॉक्टर अन्नपूर्णा

ओ३म् =========== यज्ञ श्रेष्ठतम कर्म है। इस कारण वेदभक्त आर्यसमाज के अनुयायी वेदाज्ञा के अनुसार नियमित यज्ञ करते हैं व दूसरों को करने की प्रेरणा भी करते हैं। वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून के मंत्री श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी की अग्निहोत्र यज्ञ में गहरी निष्ठा है। वह प्रत्येक वर्ष सितम्बर महीने में अपने निवास […]

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धर्म-अध्यात्म

जीवात्मा का जन्म मरण उसके कर्मों में ईश्वर के अधीन है

ओ३म् =========== हम मनुष्य शरीरधारी होने के कारण मनुष्य कहलाते हैं। हमारे भीतर जो जीवात्मा है वह सब प्राणियों में एक समान है। प्राणियों में भेद जीवात्माओं के पूर्वजन्मों के कर्मों के भेद के कारण होता है। हमें जो जन्म मिलता है वह हमारे पूर्वजन्म के कर्मों के आधार पर परमात्मा से मिलता है। यदि […]

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धर्म-अध्यात्म

वेद ईश्वर प्रदत्त ज्ञान और विद्या के ग्रंथ है

ओ३म् ========== संसार में जितनी भी ज्ञान की पुस्तकें हैं वह सब मनुष्यों ने ही लिखी व प्रकाशित की हैं। ज्ञान के आदि स्रोत पर विचार करें तो ज्ञात होता है कि सृष्टि की उत्पत्ति व मानव उत्पत्ति के साथ आरम्भ में ही मनुष्यों को वेदों का ज्ञान प्राप्त हुआ था। जो लोग नास्तिक व […]

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धर्म-अध्यात्म

मनु महाराज ने यह व्यवस्था दी कि ब्राह्मण शूद्र बन सकता और शूद्र ब्राह्मण हो सकता है

रवि शंकर मनुस्मृति में वर्ण की ही चर्चा है, जाति की नहीं। परंतु मनु में जन्मना जाति का निषेध अवश्य पाया जाता है। उदाहरण के लिए कहा गया है कि अपने गोत्र या कुल की दुहाई देकर भोजन करने वाले को स्वयं का उगलकर खाने वाला माना जाए (मनु 3/109)। इसका सीधा तात्पर्य है कि […]

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