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धर्म-अध्यात्म

पेट की आग और कामाग्नि

कभी सोचा है कि “पेट की आग”, या फिर “काम-वासना से दग्ध होना” जैसे जुमलों में आग या जलने का भाव क्यों प्रयोग किया जाता है? दुधमुंहे या छोटे बच्चों के लिए इसे समझना मुश्किल होगा लेकिन जो जो प्रेमी-प्रेमिका जैसे संबंधों, विवाहित होने का अनुभव रखते हों उनके लिए इसे समझना मुश्किल नहीं होगा। […]

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धर्म-अध्यात्म

विद्वानों की संगति से मनुष्य का ज्ञान बढ़ता है

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून हम इस संसार में जन्में हैं व इसमें निवास कर रहे हैं। हमारी आंखें सीमित दूरी तक ही देख पाती हैं। इस कारण हम इस ब्रह्माण्ड को न तो पूरा देख सकते हैं और अपनी अल्पज्ञता के कारण इसको पूरा पूरा जान भी नहीं सकते हैं। सभी मनुष्यों में यह इच्छा […]

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आज का चिंतन धर्म-अध्यात्म

मनुष्य को अपने सभी शुभ व अशुभ कर्मों का फल भोगना पड़ता है

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून हमारा मनुष्य जन्म हमें क्यों मिला है? इसका उत्तर है कि हमने पूर्वजन्म में जो कर्म किये थे, उन कर्मों में जिन कर्मों का भोग हम मृत्यु के आ जाने के कारण नहीं कर सके थे, उन कर्मों का फल भोगने के लिये हमारा यह जन्म, जिसे पूर्वजन्म का पुनर्जन्म भी […]

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आज का चिंतन धर्म-अध्यात्म

वैदिक मान्यताएं : कितनी है मोक्ष की अवधि ?

  मोक्ष सिद्धान्त मोक्ष की अवधि यह सिद्धान्त है कि जिसका आदि होता है, उसका अन्त भी अवश्य होता है और जो अनादि होता है, उसका अन्त कभी नहीं होता । जीव अनादि है, इसलिये उसका अन्त नहीं होता । काल जीव को सत्ता से नहीं मिटा सकता परन्तु काल के अन्तराल से जीव तीन […]

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धर्म-अध्यात्म

वेदज्ञान सृष्टि में विद्यमान ज्ञान के सर्वथा अनुकूल एवं पूरक है

ओ३म् -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। हमारी सृष्टि ईश्वर की रचना है। यह ऐसी रचना है जिसकी उपमा हम अन्य किसी रचना से नहीं दे सकते। ऐसी रचना ईश्वर से अतिरिक्त कोई कर भी नहीं सकता। परमात्मा प्रकाशस्वरूप एवं ज्ञानवान् सत्ता है। ज्ञानवान होने सहित परमात्मा सर्वशक्तिमान भी हैं। वह सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वव्यापक, सर्वान्तयामी एवं सर्वज्ञ […]

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धर्म-अध्यात्म

क्या हम वास्तव में मनुष्य हैं?

मनमोहन कुमार आर्य हम स्वयं को मनुष्य कहते व मानते हैं। संसार में जहां भी दो पैर वाले मनुष्य की आकृति वाले प्राणी जो बुद्धि से युक्त होते हैं, उन्हें मनुष्य कहा जाता है। प्रश्न यह है कि क्या हम वास्तव में मनुष्य हैं? यदि हैं तो क्यों व कैसे है? इन प्रश्नों का उत्तर […]

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धर्म-अध्यात्म समाज

वर्तमान में व्यापक परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं हिंदू धर्म में

-अशोक “प्रवृद्ध” वर्तमान में मांसाहारी होना, राम, कृष्ण, साईं जैसे मनुष्यों को भगवान मानकर पूजन करना, जाति, घूंघट व पर्दा प्रथा का प्रचलन आदि को सनातन वैदिक हिन्दू धर्म का वास्तविक स्वरूप माना जाने लगा है, जो कि हिन्दू धर्म का वास्तविक सनातन स्वरूप नहीं है। आदि काल में सनातन धर्म का ऐसा स्वरूप कदापि […]

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धर्म-अध्यात्म

मनुष्य को सुख ईश्वर की भक्ति और शुभ कर्मों से ही मिलता है

ओ३म् ========== हमें जो सुख व दुःख की अनुभूति होती है वह शरीर व इन्द्रियों के द्वारा हमारी आत्मा को होती है। आत्मा चेतन पदार्थ होने से ही सुख व दुःख की अनुभूति करता है। प्रकृति व सृष्टि जड़ सत्तायें हैं। इनको किसी प्रकार की अनुभूतियां वा सुख व दुःख नहीं होते। आत्मा से इतर […]

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धर्म-अध्यात्म शिक्षा/रोजगार

भारतीय शिक्षा व्यवस्था का आधार बने भारत का प्राचीन ज्ञान विज्ञान

  डॉ. सत्यपाल सिंह ( संसाद,बागपत ) इस देश ने चार बड़ी-बड़ी गलतियाँ कीं। सबसे पहली गलती यह कि मजहब के नाम पर देश को बाँट दिया। दूसरी गलती यह थी, भाषाओं के नाम पर राज्यों का बँटवारा किया गया, तीसरी गलती यह थी कि जातियों ने नाम पर समाज का बाँटा गया और चौथी […]

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धर्म-अध्यात्म भारतीय संस्कृति

सोने से पहले मंत्र पाठ व ईश्वर से प्रार्थना

शयन से पूर्व मंत्र पाठ व ईश्वर से प्रार्थना- यां मेधां देवगणाः पितरश्चोपासते। तयामामद्य मेधयाग्ने मेधाविनं कुरु स्वाहा॥ (यजुर्वेद (32.14) ……. तेजोऽसि तेजो मयि धेहि। वीर्यमसि वीर्यं मयि धेहि। बलमसि बलं मयि धेहि। ओजोऽस्योजो मयि धेहि। मन्युरसि मन्युं मयि धेहि। सहोऽसि सहो मयि धेहि॥ (यजुर्वेद 19.9) ……….. यज्जाग्रतो दूरमुदैति दैवं तदु सुप्तस्य तथैवैति। दूरङ्गमं ज्योतिषां […]

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