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धर्म-अध्यात्म

हमें जीवन तथा सुख-दुःख सृष्टिकर्ता ईश्वर की न्याय-व्यवस्था से मिलते है

मनमोहन कुमार आर्य हम मनुष्य कहलाते हैं। हमारा जन्म हमारे माता-पिता की देन होता है। माता-पिता को हमें जन्म देने व पालन करने में अनेक कष्ट उठाने पड़ते हैं। यदि हमारे माता-पिता यह सब न करते तो हमारा न जन्म होता और यदि जन्म होता भी तो हम स्वस्थ, बुद्धिमान व ज्ञानवान् न बनते। हमारे […]

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भ्रांति निवारण

क्या स्त्रियों को भी गायत्री जप का अधिकार है

प्रियांशु सेठ आज के युग में हिन्दू समाज में एक भ्रान्ति फैली हुई है कि गायत्री मन्त्र के जप का अधिकार स्त्रियों को नहीं है। ये हमारे शास्त्रों के विरुद्ध है। प्राचीन काल में सभी स्त्रियां व पुरुष नित्य गायत्री की उपासना करते थे किन्तु आज ये नहीं होता। आजकल पौराणिक गुरु अपने चेले और […]

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आर्य समाज हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

आर्य समाज के विशिष्ट कवि व भजनोपदेशक स्वामी भीष्म जी महाराज

(7 मार्च जन्मोत्सव पर विशेष रूप से प्रकाशित) सहदेव समर्पित स्वामी भीष्म जी का जन्म 7 मार्च 1859 ई0 में कुरुक्षेत्र जिले के तेवड़ा ग्राम में श्री बारूराम जी के गृह मेें हुआ था। बचपन में इनका नाम लाल सिंह था। इनकी बचपन से ही अध्ययन में रूचि थी। आपने 11 वर्ष की आयु में […]

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आर्य समाज

आर्य समाज हिन्दू समाज का प्रहरी है

(इतिहास का एक लुप्त पृष्ठ) डॉ विवेक आर्य अविभाजित भारत में पंजाब का क्षेत्र विशेष रूप से लाहौर आर्यसमाज की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र तो था। आर्यसमाज का प्रचार पंजाब क्षेत्र के साथ साथ सिन्ध क्षेत्र में भी खूब फैला। जिस प्रकार पंजाब की मिटटी विधर्मियों के आक्रमण से पीछे एक हज़ार वर्षों से लहूलुहान […]

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धर्म-अध्यात्म

आत्मा के जन्म – मरण व जीवन का न आरम्भ है और न अन्त है

मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य संसार में जन्म लेता है, कर्म करता है, शैशव, बाल, किशोर, युवा, प्रौढ़ तथा वृद्धावस्थाओं को प्राप्त होता है और इसके बाद किसी रोग व अन्य किसी कारण से मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। हमारी स्मरण शक्ति हमारे इसी जन्म की कुछ प्रमुख घटनाओं को स्मरण करने में समर्थ होती […]

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आर्य समाज

आर्यसमाज वैदिक धर्म प्रचारक एवं समाज सुधारक संस्था है

मनमोहन कुमार आर्य आर्यसमाज ऋषि दयानन्द द्वारा चैत्र शुक्ल पंचमी तदनुसार 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई नगर में स्थापित एक धार्मिक, सामाजिक, राष्ट्रवादी एवं वैदिक राजधर्म की प्रचारक संस्था वा आन्दोलन है। ऋषि दयानन्द को आर्यसमाज की स्थापना इसलिए करनी पड़ी क्योंकि उनके समय में सृष्टि के आदिकाल में ईश्वर से प्रादुर्भूत सत्य सनातन […]

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धर्म-अध्यात्म

स्वाध्याय व साधना से आत्मा की उन्नति व शारीरिक सुख का लाभ होता है

मनमोहन कुमार आर्य परमात्मा ने जीवात्मा के कर्मों के अनुसार अनेकानेक प्राणी योनियां बनाई हैं। इन सब योनियों में जीवात्मायें अपने कर्म भोगों के अनुसार जन्म लेती हैं, कर्म करती हैं, कर्मों का भोग करती हैं और मृत्यु को प्राप्त होती हैं। मनुष्य योनि सभी प्राणि योनियों में सर्वश्रेष्ठ है। यही एक योनि है जिसमें […]

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धर्म-अध्यात्म

मुनष्य को वेदाध्ययन करने सहित उपासक तथा सदाचारी होना चाहिये

मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य को परमात्मा ने बुद्धि दी है जिससे वह ज्ञान को प्राप्त होता है तथा सत्यासत्य का निर्णय करता है। मनुष्य को ज्ञान को प्राप्त करने जैसी बुद्धि प्राप्त है वैसी अन्य प्राणियों को नहीं है। अन्य प्राणियों की तुलना में मनुष्य की विशेषता अपनी बुद्धि के कारण ही होती है। जो […]

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धर्म-अध्यात्म

मनुस्मृति का सन्देश है कि सब मनुष्य विद्या पढे़ व धर्मात्मा होकर अन्य सबको सद्धर्म का उपदेश करें

मनमोहन कुमार आर्य मनुस्मृति एक प्रसिद्ध एवं चर्चित ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ की शिक्षायें मनुष्य जीवन का कल्याण करने वाली हैं। यह सत्य है कि मनुस्मृति अति प्राचीन ग्रन्थ है। मध्यकाल में कुछ वाममार्गी लोगों ने मनुस्मृति में महाराज मनु के आशय के विपरीत स्वार्थपूर्ति एवं अज्ञानता के कारण इस ग्रन्थ में अनेक स्थानों पर […]

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धर्म-अध्यात्म

यमों व नियमों के पालन से ही आत्मा की उन्नति सम्भव है

मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य शरीर में आत्मा का सर्वोपरि महत्व है। शरीर को आत्मा का रथ कहा जाता है और यह है भी सत्य। जिस प्रकार हम रथ व वाहनों से अपने गन्तव्य स्थान पर पहुंचते हैं उसी प्रकार से मनुष्य शरीर मनुष्य की आत्मा को उसका लक्ष्य ईश्वर-प्राप्ति कराता है। ईश्वर सर्वव्यापक होने से […]

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