ओ३म् वैदिक धर्म एवं संस्कृति में यज्ञ का प्रमुख स्थान है। यज्ञ किसी भी पवित्र व श्रेष्ठ कार्य करने को कहा जाता है। मनुष्य जो शुभ कर्म करता है वह सब भी यज्ञीय कार्य होते हैं। माता पिता व आचार्यों सहित अपने परिवार की सेवा व पालन पोषण करना मनुष्य का कर्तव्य होता है। यह […]
Category: धर्म-अध्यात्म
आजकल कुछ वामपंथी ईर्ष्यालु लोगों ने भाषा विज्ञान का आडंबर रचकर संस्कृत को बहुत नवीन भाषा कहना शुरु किया है। वे लोग बौद्ध साहित्य में भी आये वेदादिशास्त्रों के नाम को ऊटपटांग अर्थ करके जान बचाना चाहते हैं। इनके सिपहसालार राजेंद्र प्रसाद ने तो “त्रैविद्यासुत्त” को प्रक्षेप ही घोषित कर रखा है। इनके एक चेले […]
हम परमात्मा के बनाये हुए इस संसार में रहते हैं। इस संसार के सूर्य, चन्द्र, पृथिवी सहित पृथिवी के सभी पदार्थों, वनस्पतियों एवं प्राणी जगत को भी परमात्मा ने ही बनाया है। हमारा जन्मदाता, पालनकर्ता तथा मुक्ति सुखों सहित सांसारिक सुखों का दाता भी परमात्मा ही है। यह सिद्धान्त सत्य वैदिक सिद्धान्त है जिसका अध्ययन […]
देव दयानन्द योगी तो थे ही साथ ही उच्च कोटि के वेदों के विद्वान भी थे। इसलिए वेदविरुद्ध प्रत्येक बात उन्हें हस्तामलकवत दीखती थी। वह संपूर्ण क्रांति के संदेशवाहक थे। इसीलिए उनके सुधारवादी कार्यक्रमों में स्त्रीशिक्षा, अछूतोद्धार, परतंत्रता निवारण, विधवारक्षण, अनाथपालन, सबके लिए शिक्षा की अनिवार्यता, जन्मगत जाति के स्थान पर गुण कर्मानुसार वर्ण व्यवस्था, […]
ऋषि दयानन्द के आगमन से पूर्व विश्व में लोगों को वेदों तथा ईश्वर सहित आत्मा एवं प्रकृति के सत्यस्वरूप का स्पष्ट ज्ञान विदित नहीं था। वेदों, उपनिषद एवं दर्शन आदि ग्रन्थों से वेदों एवं ईश्वर का कुछ कुछ सत्यस्वरूप विदित होता था परन्तु इन ग्रन्थों के संस्कृत में होने और संस्कृत का अध्ययन-अध्यापन उचित रीति […]
दयानन्द (1825-1883) ने अपना जीवन ईश्वर के सत्यस्वरूप तथा मृत्यु पर विजय प्राप्ति के उपायों की खोज में लगाया था। इसी कार्य के लिए वह अपनी आयु के बाइसवें वर्ष में अपने पितृ गृह का त्याग कर अपने उद्देश्य को सिद्ध करने के लिए निकले थे। अपनी आयु के 38वे वर्ष में वह अपने उद्देश्य […]
हमने मैदानों का परिवेश तो बिगाड़ा ही, अब पहाड़ों पर भी विनाश करने को तत्पर है। पहाड़ों पर न केवल बसने को लालायिक है बल्कि वहां उद्योग लगा रहे हैं, होटल व्यवसाय पनपा रहे हैं। इसका असर पहाड़ों पर साफ तौर पर दिखने लगा है। मनुष्य इस दुनिया का एक हिस्सा है या उसका स्वामी […]
डॉ. प्रभात कुमार सिंघल मदनोत्सव काम कुंठाओं से मुक्त होने का प्राचीन उत्सव है, जिसमें प्रेम को शारीरिक सुख से ज्यादा मन की भावना से जोड़ा गया है। मदनोत्सव पर पत्नी अपने पति को अति सुंदर मदन यानी कामदेव का प्रतिरूप मानकर उसकी पूजा करती है। बसंत ऋतु में प्रकृति नया श्रृंगार करती है। खेतों […]
मनुष्य एक मननशील प्राणी है। इसका आत्मा ज्ञान व कर्म करने की शक्ति से युक्त होता है। मनुष्य को ज्ञान अपने माता, पिता व आचार्यों से मिलता है। माता-पिता सन्तानों को श्रेष्ठ आचरण की शिक्षा देते हैं। आचार्य भी वेद व ऋषियों के ग्रन्थों सहित आधुनिक विषयों का ज्ञान अपने अपने शिष्य व विद्यार्थियों को […]
बढ़ें राममंदिर से रामराज्य की ओर
रवि शंकर पाँच सौ वर्ष से अधिक के संघर्ष के बाद अयोध्या में अंतत: भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। निश्चित ही यह एक शुभ संकेत है। वर्ष 2020 हालाँकि कोरोना के कारण काफी खराब माना जा रहा है, परंतु यदि हम भारत में हुए कुछेक राजनीतिक तथा सांस्कृतिक निर्णयों को […]