ओ३म् =========== आजकल सामाजिक जगत तथा राजनीति जगत में धर्म के नाम की खूब चर्चा होती है परन्तु लगता है कि इसकी चर्चा करने वाले लोगों को धर्म का यथार्थस्वरूप व धर्म शब्द का अर्थ ज्ञात नहीं होता। धर्म संस्कृत का शब्द है जो यथावत् हिन्दी भाषा में भी प्रयोग किया जाता है। मनुष्य एक […]
Category: धर्म-अध्यात्म
ओ३म् ========= हम मनुष्य हैं और लगभग 7 दशक पूर्व हमारा जन्म हुआ था। प्रश्न है कि जन्म से पूर्व हमारा अस्तित्व था या नहीं? यदि नहीं था तो फिर यह अभाव से भाव अर्थात् अस्तित्व न होने से हुआ कैसे? विज्ञान का सिद्धान्त है कि किसी भी पदार्थ का रूपान्तर तो किया जा सकता […]
ओ३म् ============ सूर्य, चन्द्र, पृथिवी तथा नक्षत्रों आदि से युक्त हमारी यह भौतिक सृष्टि मनुष्योत्पत्ति से बहुत पहले बन चुकी थी। अतः इसे मनुष्यों ने नहीं बनाया यह बात तो स्पष्ट है। मनुष्य एक, दो व करोड़ों मिलकर भी इस सृष्टि व इसके एक ग्रह को भी नहीं बना सकते। यदि ऐसा है तो फिर […]
ओ३म् =========== आर्यसमाज ऋषि दयानन्द द्वारा चैत्र शुक्ल पंचमी विक्रमी 1931 तदनुसार 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई में स्थापित एक धार्मिक, सामाजिक, राष्ट्रवादी एवं वैदिक राजधर्म की प्रचारक संस्था वा आन्दोलन है। ऋषि दयानन्द को आर्यसमाज की स्थापना इसलिए करनी पड़ी क्योंकि उनके समय में सृष्टि के आदिकाल में ईश्वर से प्रादुर्भूत सत्य सनातन […]
ललित गर्ग भौतिक एवं भोगवादी भागदौड़ की दुनिया में शिवरात्रि का पर्व भी दुःखों को दूर करने एवं सुखों का सृजन करने का प्रेरक है। भोलेनाथ भाव के भूखे हैं, कोई भी उन्हें सच्ची श्रद्धा, आस्था और प्रेम के पुष्प अर्पित कर अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना कर सकता है। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष […]
जीवात्मा के संबंध में विशेष ज्ञान
🚩 || ओ३म् ||🚩 🔥जीवात्मा !!! १) जीवात्मा किसे कहते है ? उत्तर = एक ऐसी वस्तु जो अत्यंत सूक्ष्म है, अत्यंत छोटी है , एक जगह रहने वाली है, जिसमें ज्ञान अर्थात् अनुभूति का गुण है, जिस में रंग रूप गंध भार (वजन) नहीं है, कभी नाश नहीं होता, जो सदा से है और […]
ओ३म् ============ मनुष्य मननशील प्राणी है। इसका शरीर उसने स्वयं उत्पन्न किया नहीं है। माता पिता से इसे जन्म मिलता है। माता पिता भी अल्पज्ञ एवं अल्प शक्ति वाले मनुष्य होते हैं। सभी मनुष्य व महापुरुष अल्पज्ञ ही होते हैं। कोई भी मनुष्य व इतर प्राणियों के शरीर को बनाना नहीं जानता। मनुष्य से भिन्न […]
ओ३म् ========= संसार में जितने मनुष्य हैं व अतीत में हुए हैं वह सब किसी देश विशेष में जन्में थे। उनसे पूर्व उनके माता-पिता व पूर्वज वहां रहते थे। जन्म लेने वाली सन्तान का कर्तव्य होता है कि वह अपने जन्म देने वाले माता-पिता का आदर व सत्कार करे। मातृ देवो भव, पितृ देवो भव […]
ओ३म् =========== धर्म के विषय में तरह तरह की बातें की जाती हैं परन्तु धर्म सत्याचरण वा सत्य कर्तव्यों के धारण व पालन का नाम है। यह विचार व सिद्धान्त हमें वेदाध्ययन करने पर प्राप्त होते हैं। महाराज मनु ने कहा है कि धर्म की जिज्ञासा होने पर उनका वेदों से जो उत्तर व समाधान […]
ओ३म् =========== मनुष्य में भूलने की प्रवृत्ति व स्वभाव होता है। वह अपने जीवन में अनेक बातों को कुछ ही समय में भूल जाता है। हमने कल, परसों व उससे पहले किस दिन क्या क्या व कब कब भोजन किया, किस रंग व कौन से वस्त्र पहने थे, किससे कब कब मिले थे, कहां कहां […]