Dr D K Garg संवाद कथा क्या है : नचिकेता और यमराज के बीच हुए संवाद का उल्लेख हमें कठोपनिषद में मिलता है। इस संवाद कथा के अनुसार नचिकेता के पिता जब विश्वजीत यज्ञ के बाद बूढ़ी एवं बीमार गायों को ब्राह्मणों को दान में देने लगे तो नचिकेता ने अपने पिता से पूछा कि […]
Category: धर्म-अध्यात्म
(श्रावण मास में हमें कैसी वेद कथाओं का आयोजन करना चाहिए ? इस विषय पर हमने पिछले दिनों अपनी ओर से कुछ प्रकाश डाला था। अब इसी विषय पर ‘उगता भारत’ समाचार पत्र के चेयरमैन श्री देवेंद्र सिंह आर्य जी का यह लेख ग्रंथियों और भ्रांतियों का समाधान करने में बहुत अधिक सक्षम है। […]
–मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य को अपना जीवन जीनें के लिए धन की आवश्यकता होती है। भूमिधर किसान तो अपने खेतों में अन्न व गो पालन कर अपना जीवन किसी प्रकार से जी सकते हैं परन्तु अन्य लोग चाहें कितने विद्वान हों, यदि नौकरी या व्यापार न करें तो उनका जीवन व्यतीत करना दुष्कर होता है। आजकल […]
ओ३म् ======== हम परस्पर जब किसी से मिलते हैं तो परिचय रूप में अपना नाम व अपनी शैक्षिक योग्यता सहित अपने कार्य व व्यवसाय आदि के बारे में अपरिचित व्यक्ति को बताते हैं। हमारा यह परिचय होता तो ठीक है परन्तु इसके अलावा भी हम जो हैं वह एक दूसरे को पता नहीं चल पाता। […]
सूरज जैसा आना जाना
जीवन राग संजय पंकज जीवन और जागरण का आलोक- राग गाता सूरज हर दिन आता है। आता है;और अपनी नम किरणों के सतरंगी स्पर्श से गुदगुदाता हुआ सबको जगाता है। जाग जाता है संपूर्ण जीव जगत! धरती और अंतरिक्ष भी तब सोए नहीं रहते। सात रंगों को आत्मसात करने वाली सूरज की उजली किरणें पेड़ों […]
ओ३म् ========== हम वर्तमान में मनुष्य हैं। हम इससे पहले क्या थे और परजन्म में क्या होंगे, हममें से किसी को पता नहीं। यह सुनिश्चित है कि इस जन्म से पूर्व भी हमारा अस्तित्व था और मृत्यु के बाद भी हमारी आत्मा का अस्तित्व रहेगा। हमारी विशेषता है कि हमारे पास अन्य पशु-पक्षियों से भिन्न […]
शुभ गुरु पूर्णिमा
भगवा ध्वज केवल एक वर्ग विशेष, दल विशेष, विचार विशेष का ध्वज नहीं है। #खयाल_आया की यह वही ध्वज है जो वेदों ने पुराणों ने उपनिषदों ने हमें दिया है। यही वह ध्वज है जिसे श्रीराम, श्रीकृष्ण जैसे क्षत्रियों सहित परशुराम जी जैसे सभी ब्राह्मण कुलों ने अपने युद्ध रथों पर भी लहराया और इसे […]
चाणक्य नीति के अमर बोल
चाणक्य नीति यस्मिन् देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवाः। न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत्।। अर्थ- जिस देश में सम्मान न हो, जहां कोई आजीविका न मिले, जहां अपना कोई भाई-बन्धु न रहता हो और जहां विद्या अध्ययन संभव न हो, ऐसे स्थान पर नहीं रहना चाहिए। अर्थात् जिस देश अथवा शहर में निम्नलिखित […]
ओ३म् ========== ऋषि दयानन्द ने अपना जीवन ईश्वर के सत्यस्वरूप की खोज एवं मृत्यु पर विजय पाने के उपायों को जानने के लिये देश के अनेक स्थानों पर जाकर विद्वानों की संगति व दुर्लभ पुस्तकों के अध्ययन में बिताया था। इस प्रयोजन के लिये ही उन्होंने अपने माता-पिता सहित बन्धु-बान्धवों, कुटुम्बियों व जीवन के सभी […]
ओ३म् ========= संसार में जड़ व चेतन अथवा भौतिक एवं अभौतिक दो प्रकार के पदार्थ हैं। भौतिक पदार्थों का ज्ञान विज्ञान के अध्ययन के अन्तर्गत आता़ है। अभौतिक पदार्थों में दो चेतन सत्ताओं ईश्वर एवं जीवात्मा का अध्ययन आता है। दोनों ही सूक्ष्म पदार्थ होने से हमें आंखों से दिखाई नहीं देते। जीवात्मा के अस्तित्व […]