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धर्म-अध्यात्म

विद्या और अविद्या का भेद

ईशोपनिषद का मंत्र है कि :-                ॐ असुर्या नाम ते लोका अन्धेन तमसाऽऽवृताः। ताँस्ते प्रेत्याभिगच्छन्ति ये के चात्महनो जनाः॥३॥ इसका भावार्थ है कि इस संसार में रहते हुए जो अज्ञान अंधकार में भटकते हैं, आत्मा का हनन करते हैं, वे मृत्यु के पश्चात ऐसे लोकों में जन्म लेते हैं जिनमें सूर्य के दर्शन भी […]

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धर्म-अध्यात्म

“ईश्वर स्थूल पदार्थ न होकर सूक्ष्मतम सत्ता होने के कारण आंखों से दिखाई नहीं देती”

ओ३म् ========= हमें किसी बात को सिद्ध करना हो तो हमें लिखित व दृश्य प्रमाण देने होते हैं। ईश्वर है या नहीं, इसका लिखित प्रमाण हमारे पास वेद के रुप में विद्यमान है। वेद ईश्वरीय ज्ञान है अर्थात् वेद ईश्वरप्रोक्त व ईश्वर के कहे हुए हैं। वेदों का ज्ञान ईश्वर से मनुष्यों तक कैसे आया, […]

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धर्म-अध्यात्म

भारत की तरह पूरे विश्व में है गुरु पूजन की परंपरा

प्रह्लाद सबनानी  भारत और कई दूसरे देशों में ऐसे अनेक धार्मिक एवं आध्यात्मिक संगठन है जहां इन संगठनों के संस्थापकों को गुरु मानकर उनका पूजन करने की परम्परा है। इस प्रचिलित परिपाटी से हटकर संघ में डॉक्टर हेडगेवार की जगह भगवा ध्वज को गुरु मानने का विचार विश्व में समकालीन इतिहास की अनूठी पहल है। […]

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धर्म-अध्यात्म

गायत्री की महिमा

प्रियांशु सेठ वेदों, उपनिषदों, पुराणों, स्मृतियों आदि सभी शास्त्रों में गायत्री मन्त्र के जप का आदेश दिया है। यहां गायत्री जप के सम्बन्ध में ‘देवी भागवत’ के ये श्लोक देखिये- गायत्र्युपासना नित्या सर्ववेदै: समीरिता। यया विना त्वध: पातो ब्राह्मणस्यास्ति सर्वथा।।८९।। तावता कृतकृत्यत्वं नान्यापेक्षा द्विजस्य हि। गायत्रीमात्रनिष्णातो द्विजो मोक्षमवाप्नुयात्।।९०।। “गायत्री ही की उपासना सनातन है। सब […]

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धर्म-अध्यात्म स्वास्थ्य

प्रभु नाम से होनी चाहिए दिन की शुरुआत

दिन की शुरुआत प्रभात या भोर होने पर की जाती है । प्रातः काल में ब्रह्म मुहूर्त में उठना और अपनी दिन चर्या आरंभ करना ऋषियों के द्वारा हमें बताया गया है। यद्यपि आजकल स्थिति विपरीत हो गई है। वर्तमान समय में मनुष्य की जीवनचर्या इतनी बदल गई है कि मनुष्य अपने व्यवसाय के लिए […]

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धर्म-अध्यात्म

सुख के लिए लाना होगा अपने अंदर सुधार : स्वामी विवेकानंद परिव्राजक

लोग कहते हैं कि “संसार बहुत बिगड़ गया है.” जी हां। यह सत्य है, कि “संसार बहुत बिगड़ गया है।” और कुछ लोग इसके सुधार की चिंता भी बहुत करते हैं। वे लोग सुधार के लिए प्रयास भी बहुत करते हैं। परंतु फिर भी परिणाम वैसा नहीं दिखाई दे रहा, जैसा कि वे लोग चाहते […]

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धर्म-अध्यात्म

कृषि विज्ञान के जनक ऋषि पाराशर*

_______________ दुनिया के अन्य महाद्वीपों के लोग जब वर्षा, बादलों की गड़गड़ाहट के होने पर भयभीत होकर गुफाओं में छुप जाते थे… जब उन्हें एग्रीकल्चर का ककहरा भी मालूम नहीं था.. उससे भी हजारों वर्ष पूर्व ऋषि पाराशर मौसम व कृषि विज्ञान पर आधारित भारतवर्ष के किसानों के मार्गदर्शन के लिए” कृषि पाराशर” नामक ग्रंथ […]

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धर्म-अध्यात्म

योग दिवस 21 जून का भारतीय योग परंपरा में महत्व एवं औचित्य

भारतवर्ष शनै: शनै ;अपने प्राचीन गौरव को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है ।एक दिन निश्चित रूप से भारत विश्व गुरु के पद को पुनः सुशोभित करेगा ।ऐसा वर्तमान काल में आभासित होने लगा है। आज 21 जून है। आज के दिन उत्तरी गोलार्ध में पृथ्वी की गति के कारण सूर्य का प्रकाश अधिकतम समय […]

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धर्म-अध्यात्म

ऋषि महर्षि मुनि साधु और संत में क्या अंतर है

भारत में प्राचीन समय से ही ऋषि-मुनियों का विशेष महत्व रहा है क्योंकि ये समाज के पथ प्रदर्शक माने जाते थे। ऋषि -मुनि अपने ज्ञान और तप के बल पर समाज कल्याण का कार्य करते थे और लोगों को समस्याओं से मुक्ति दिलाते थे। आज भी तीर्थ स्थल, जंगल और पहाड़ों में कई साधु-संत देखने […]

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धर्म-अध्यात्म

“स्वामी विद्यानन्द विदेह वर्णित वैदिक नारी के छः भूषण”

ओ३म् ========= ऋग्वेद एवं अथर्ववेद में एक मन्त्र आता है जिसमें वैदिक नारी के छः भूषणों का उल्लेख वा वर्णन है। हम इस मन्त्र व इस पर आर्यजगत के कीर्तिशेष संन्यासी स्वामी विद्याननन्द विेदेह जी के पदार्थ व व्याख्या को प्रस्तुत कर रहे हैं। मन्त्र निम्न हैः इमा नारीरविधवाः सुपत्नीरांजनेन सर्पिषा सं विशन्तु। अनश्रवोऽनमीवाः सुरत्ना […]

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