🌺 पुरुष सूक्त पढ़ और सुन कर लाभ लें व शंकायें दूर करें। (ऋग्वेद १०।९०।०१ से १६) 🔥सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात् । स भूमिं विश्वतो वृत्वात्यतिष्ठद्दशाङुलम् ॥१॥ 🌺 भावार्थ – पुरुष-सूक्त (पुरुष) पुर में व्यापक शक्ति वाले राजा के तुल्य समस्त ब्रह्माण्ड में व्यापक परम पुरुप परमात्मा (सहस्र-शीपः) हजारों शिरों वाला है। (सः) वह (भूमि) […]
Category: धर्म-अध्यात्म
जिस प्रकार संसार में कार्य चलाने के लिये मनुष्यों को सहायकों की आवश्यकता होती है। उसी प्रकार सृष्टि के पालनकर्ता श्रीहरि को भी अपना कार्य करने के लिए सहायकों की आवश्यकता पड़ती है। इसी प्रयोजन से श्रीहरि के भी मुख्य 16 पार्षद यानी सहायक हैं, जिनको समय-समय पर समाज को सार्थक संदेश देने के लिए […]
कहा जाता है कि बचपन में बच्चों के निर्दोष मस्तिष्क पर जो कुसंस्कार अंकित हो जाते है उन कुसंस्कारों को हटाना अत्यन्त दुष्कर कार्य होता है। प्रसिद्ध पाश्चात्य साहित्यकार स्व. मार्क ट्वेईन (Mark Twain) को बच्चों के कोमल मस्तिष्क को बिगाडने वाली बाईबल की अभद्र शिक्षाओं पर तंज कसने का एक अवसर मिला था, जिसका […]
ओ३म् ========== देहरादून में श्री प्रेमप्रकाश शर्मा, मंत्री, वैदिक साधन आश्रम तपावेन, देहरादून के निवास 22 दून विहार, जाखन पर ऋग्वेद यज्ञ एवं वेदकथा का आयोजन दिनांक 7-9-2022 से चल रहा है। आज आयोजन के चौथे दिन प्रातः 8.00 बजे से सन्ध्या से आयोजन आरम्भ किया गया। सन्ध्या के बाद आचार्य श्री शैलेशमुनि सत्यार्थी जी […]
ओ३म् ========== प्रश्न क्या परमात्मा है? क्या वह ज्ञान से युक्त सत्ता है? क्या उसने सृष्टि की आदि में मनुष्यों को ज्ञान दिया है? यदि वह ज्ञान देता है तो वह ज्ञान उसने कब किस प्रकार से मुनष्यों को दिया था? इन प्रश्नों पर विचार करने पर उत्तर मिलता है कि परमात्मा का अस्तित्व सत्य […]
सरल शब्दों में वेद प्रायः यह कहा जाता है कि वेद केवल विद्वानो के लिए है। वेद की भाषा और शैली दोनों नीरस हैं। वेदों के अर्थों के समझना और याद रखना कठिन है। इसी समस्या का हल है यह पुस्तकें। वेदमंत्रों का सरल भाषा मे शब्दार्थ और भावार्थ इनकी विशेषता है। विद्वान लेखक ने […]
“जीवात्मा और मानव शरीर”
ओ३म् ======== मनुष्य को मनुष्य इस लिये कहते हैं क्योंकि यह मननशील प्राणी है। मनन का अर्थ है कि मन की सहायता से हम अपने कर्तव्यों व गुण-दोष को जानकर गुणों का ग्रहण व दोषों का त्याग करें। यदि हम मनन करना छोड़ देते हैं और काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि में फंस कर स्वार्थ […]
दिव्य अग्रवाल सनातन धर्म इस ब्रह्माण्ड का आधार है । जिसका व्याख्यान असंख्य धर्मपुस्तको व पुराणों में किया गया है। परन्तु इसके विपरीत एक सत्य यह भी है कि सनातन धर्म को कमजोर व धर्म के प्रति हीन भावना को प्रोत्साहित कर सनातनियो में विघटन उत्तपन करने हेतु मुगल काल मे इस्लामिक कट्टरपंथियो ने सनातनी […]
आप ज्ञानी हैं या अज्ञानी ?
——————————————– जब स्वामी दयानन्द जी गुजरात (अविभाजित पंजाब का एक जिला) में थे तो कुछ लोगों ने उनसे पूछा, “महाराज आप ज्ञानी हैं या अज्ञानी?” यह सवाल चालाकी का था! पूछने का मकसद यह था कि यदि स्वामी जी कहेंगे कि मैं ज्ञानी हूं तो हम कहेंगे यह तो अहंकार की बात है!आपको अहंकार नहीं […]
कैसे मिलेगा वह सच्चा शिव ?
जो मिथ्याज्ञान में विचरण करते हैं, जो अज्ञान रूपी अंधकार में पड़े होते हैं, अर्थात जो मूढ होते हैं वह गूढ़(वैदिक शिक्षा के रहस्य को) को न समझ कर रूढ़(सामान्यतः प्रचलन) की बात करते हैं, ऐसे मूढ लोगों से क्षमा चाहते हुए विचारवान विद्वान , सत्यान्वेषी, सत्यपारखी ,सत्यग्रही, लोगों के समक्ष एक प्रकरण उद्धत करना […]