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धर्म-अध्यात्म

परमात्मा को कैसे प्राप्त करें या उसकी अनुभूति कैसे करें?

परमात्मा कहाँ पर है? परमात्मा को कैसे प्राप्त करें या उसकी अनुभूति कैसे करें? परमात्मा की अनुभूति प्राप्त करने के लिए एक द्रष्टा कैसे बनें? पश्वा न तायुं गुहा चतन्तं नमो युजानं नमो वहन्तम््। सजोषा धीराः पदैरनुग्मन्नुप त्वा सीदन्वश्वे यजत्राः।। ऋग्वेद मन्त्र 1.65.1 (कुल मन्त्र 748) (पश्वा) दृष्टा (न) जैसे कि (तायुम्) सबका पोषण करने […]

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वेदों में ईश्वर के एक होने के प्रमाण

लेखक-पंडित धर्मदेव विद्यामार्तण्ड [Monotheism अंग्रेजी के इस शब्द से बहुत लोग एक असमंजस की स्थिति में हैं। इसका अर्थ है एकेश्वरवाद अर्थात ईश्वर एक है। पश्चिमी विचारकों ने वेदों को लेकर एक भ्रान्ति है कि वेदों में ईश्वर अनेक है अर्थात वेद बहुदेवतावाद का समर्थन करते है। उनकी दूसरी मान्यता यह है कि सेमेटिक मत […]

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वेदों से ईश्वर के अजन्मा, सर्वव्यापक, अजर, निराकार होने के प्रमाण

ईश्वर के अजन्मा होने के प्रमाण १. न जन्म लेने वाला (अजन्मा) परमेश्वर न टूटने वाले विचारों से पृथ्वी को धारण करता है। ऋग्वेद १/६७/३ २. एकपात अजन्मा परमेश्वर हमारे लिए कल्याणकारी होवे। ऋग्वेद ७/३५/१३ ३. अपने स्वरुप से उत्पन्न न होने वाला अजन्मा परमेश्वर गर्भस्थ जीवात्मा और सब के ह्रदय में विचरता है। यजुर्वेद […]

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ओ३म् “मनुष्य वेदविहित कर्तव्यों का पालन कर ही सच्चा मनुष्य बनता है”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। हम मनुष्य कहलाते हैं। मनुष्य कहलाने का कारण परमात्मा द्वारा हमें बुद्धि व ज्ञान का दिया जाना तथा हमें उस ज्ञान को प्राप्त होकर मननपूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्धारणकर उन्हें करना होता है। सभी मनुष्य ऐसा नहीं करते। देश व विश्व की अधिकांश जनता को यही नहीं पता कि मनुष्य, मनुष्य […]

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देवता किसे कहते हैं और देवता कितने प्रकार के होते हैं ?

प्र०- देवता किसे कहते है? उ०-देवो दानाद्वा, दीपनाद्वा द्योतनाद्वा , द्युस्थानो भवतीति वा । दान देने वाले देव कहाते हैं दीपन अर्थात विद्या रुपी प्रकाश करने वाले देव कहाते हैं । द्योतन अर्थात सत्योपदेश करने वाले देव कहाते हैं ।विद्वान भी विद्या आदि का दान करने से देव कहाते हैं विद्वानसो ही देवा । सब […]

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परमात्मा किस प्रकार एक सर्वव्यापक यज्ञ कर रहें हैं?

परमात्मा किस प्रकार एक सर्वव्यापक यज्ञ कर रहें हैं? इस सर्वव्यापक यज्ञ में भाग लेने वाले व्यक्ति से क्या आशा की जाती है? नोधाः कौन है? वृष्णे शर्धाय सुमखाय वेधसे नोधः सुवृक्तिं प्र भरा मरुद्भयः। अपो न धीरो मनसा सुहस्त्यो गिरः समंजे विदथेष्वा भुवः।। ऋग्वेद मन्त्र 1.64.1 (कुल मन्त्र 733) (वृष्णे) वर्षा करने वाला (प्रसन्नता […]

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धर्म-अध्यात्म

यदि आप अपने विनाश से बचना चाहते हैं, तो आपको अभिमान और भ्रांतियों से बचना होगा।

यदि आप अपने विनाश से बचना चाहते हैं, तो आपको अभिमान और भ्रांतियों से बचना होगा। क्योंकि जब किसी व्यक्ति को अभिमान हो जाता है, तो वह उसे झुकने नहीं देता। *”अभिमान के कारण उसकी विनम्रता खो जाती है, और उसकी बुद्धि नष्ट हो जाती है। और जब किसी की बुद्धि नष्ट हो जाती है, […]

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महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन का प्रमुख संदेश – प्रखर बुद्धि वाद को अपनाएं

• महर्षि दयानंद सरस्वती का संदेश – वैज्ञानिक सोच (साइंटिफिक टेंपर) तथा प्रखर बुद्धिवाद को अपनाएं • डॉ. भवानीलाल भारतीय दयानन्द ने जहां मानव की चिन्तन-शृंखला को नये आयाम दिये हैं, वहां उनके क्रांतिकारी चिन्तन का एक प्रमुख सूत्र बुद्धिवाद तथा मानवी विवेक को अपने कार्य-अकार्य का पथ-निर्देशक बनाना भी था। उनका पदे पदे यह […]

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ओ३म् “ऋषि दयानन्दकृत सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ मनुष्य को सन्मार्ग दिखाता है”

=============== परमात्मा ने जीवात्मा को उसके पूर्वजन्म के कर्मानुसार मनुष्य जीवन एवं प्राणी योनियां प्रदान की हैं। हमारा सौभाग्य हैं कि हम मनुष्य बनाये गये हैं। मनुष्य के रूप में हम एक जीवात्मा हैं जिसे परमात्मा ने मनुष्य व अन्य अनेक प्रकार के शरीर प्रदान किये हैं। विचार करने पर ज्ञान होता है कि मनुष्य […]

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धर्म-अध्यात्म

ओ३म् “वैदिक धर्म ज्ञान-विज्ञान पर आधारित संसार का प्राचीनतम धर्म है”’

============= वैदिक धर्म वेदों पर आधारित संसार का ज्ञान व विज्ञान सम्मत प्राचीनतम धर्म है। वैदिक धर्म का आरम्भ सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा द्वारा अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न आदि चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को वेदों का ज्ञान देने के साथ आरम्भ हुआ था। वेद के मर्मज्ञ ऋषियों सहित ऋषि दयानन्द के […]

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