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भ्रांति निवारण महत्वपूर्ण लेख

ईश्वर और अल्लाह एक नहीं हैं

१) ईश्वर सर्वव्यापक (omnipresent) है, जबकि अल्लाह सातवें आसमान पर रहता है. २) ईश्वर सर्वशक्तिमान (omnipotent) है, वह कार्य करने में किसी की सहायता नहीं लेता, जबकि अल्लाह को फरिश्तों और जिन्नों की सहायता लेनी पडती है. ३) ईश्वर न्यायकारी है, वह जीवों के कर्मानुसार नित्य न्याय करता है, जबकि अल्लाह केवल क़यामत के दिन […]

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वेद

वेद प्रतिपादित ईश्वर के सत्यस्वरूप व अन्य सभी मान्यताओं में विश्वास करने से जीवन की सफलता

मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य का आत्मा सत्य व असत्य का जानने वाला होता है परन्तु अपने प्रयोजन की सिद्धि, हठ, दुराग्रह तथा अविद्या आदि दोषों के कारण वह सत्य को छोड़ असत्य में झुक जाता है। ऐसा होने पर मनुष्य की भारी हानि होती है। मनुष्य को सत्य को पकड़ कर रखना चाहिये और असत्य […]

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धर्म-अध्यात्म

क्या इस जन्म से पहले हमारा अस्तित्व था और मृत्यु के बाद भी रहेगा?

मनमोहन कुमार आर्य हम कौन हैं? इस प्रश्न पर जब हम विचार करते हैं तो इसका उत्तर हमें वेद एवं वैदिक साहित्य में ही मिलता है जो ज्ञान से पूर्ण, तर्क एवं युक्तिसंगत तथा सत्य है। उत्तर है कि हम मनुष्य शरीर में एक जीवात्मा के रूप में विद्यमान हैं। हमारा शरीर हमारी आत्मा का […]

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वेद

वेदों को अपना लेने से विश्व की समस्त समस्याओं का समाधान

मनमोहन कुमार आर्य हमारा विश्व अनेक देशों में बंटा हुआ है। सभी देशों के अपने अपने मत, विचारधारायें तथा परम्परायें आदि हैं। कुछ पड़ोसी देशों में मित्रता देखी जाती है तो कहीं कहीं पर सम्बन्धों में तनाव भी दृष्टिगोचर होता है। दो देशों का तनाव कब युद्ध में बदल जाये इसका अनुमान नहीं किया जा […]

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भारतीय संस्कृति वेद

जीवन की सफलता वेदों के स्वाध्याय, सद्व्यवहार एवं आचरण में है

मनमोहन कुमार आर्य हम मनुष्य इस कारण से हैं कि हम अपने मन व बुद्धि से चिन्तन व मनन कर सत्यासत्य का निर्णय करने सहित सत्य का ग्रहण एवं असत्य का त्याग करते हैं व करने में समर्थ हैं। यह कार्य पशु व पक्षी योनि के जीवात्मा नहीं कर सकते। इसका कारण यह है कि […]

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धर्म-अध्यात्म

ईश्वर के दर्शन का साधन ओंकार

प्रियांशु सेठ वेद ने भी और उपनिषदों ने भी ‘ओ३म्’ द्वारा ईश्वर के दर्शन का आदेश दिया है। ‘ओ३म्’ के द्वारा पर-ब्रह्म और अपर-ब्रह्म के दर्शन होते हैं। अरा इव रथनाभौ संहता यत्र नाडय: स एषोअन्तश्चरते बहुधा जायमान:। ओमित्येवं ध्यायथ आत्मानं स्वस्ति व: पाराय तमस: परस्तात्।। मुण्डक २।२।६।। “जिस प्रकार से रथ के पहिये के […]

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धर्म-अध्यात्म

जीवन क्या है ?

लेखक – आर्य सागर तिलपता ग्रेटर नोएडा जब हम इस सवाल के जवाब में जुटते हैं तो पता चलता है दुनिया भर के विविध मनुष्य जो कुछ भी जानकर या मानकर कर रहे हैं ,उनके अनुसार वही जीवन का विविध रूप है। हमारे संस्कार, हमारा परिवार, जिस शहर में हमारा पालन पोषण हुआ है, हमारा […]

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धर्म-अध्यात्म

मानव जाति की सबसे उत्तम सम्पत्ति ईश्वर एवं वेद हैं

मनमोहन कुमार आर्य वर्तमान समय में मनुष्य का उद्देश्य धन सम्पत्ति का अर्जन व उससे प्राप्त होने वाले सुख व सुविधाओं का भोग करना बन गया है। इसी कारण से संसार में सर्वत्र पाप, भ्रष्टाचार, अन्याय, शोषण, अभाव, भूख, अकाल मृत्यु आदि देखने को मिलती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ अविद्यायुक्त संगठन व सम्प्रदाय अपने प्रसार […]

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भ्रांति निवारण शंका-समाधान

क्या हनुमान आदि वानर बन्दर थे ?

(हनुमान जयंती के शुभ अवसर पर विशेष रूप से प्रचारित ) वाल्मीकि रामायण में मर्यादा पुरुषोतम श्री राम चन्द्र जी महाराज के पश्चात परम बलशाली वीर शिरोमणि हनुमान जी का नाम स्मरण किया जाता हैं। हनुमान जी का जब हम चित्र देखते हैं तो उसमें उन्हें एक बन्दर के रूप में चित्रित किया गया हैं […]

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धर्म-अध्यात्म

वेदों की रक्षा व प्रचार से ही विश्व में मानवता की रक्षा सम्भव है

मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य को दुर्गुणों व दुर्व्यसनों, अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड, मिथ्या सामाजिक परम्पराओं के साथ साथ अन्याय व शोषण से रहित अपने जीवन की रक्षा के लिये सदाचारी विद्वानों, देवत्वधारी पुरुषों सहित वेदज्ञान की भी आवश्यकता होती है। यदि समाज में सच्चे ज्ञानी व परोपकारी मनुष्य न हों तो समाज में अज्ञान की वृद्धि […]

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