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वेद

वेदों के पांच ऋषि

– डॉ विवेक आर्य ऋग्वेद 10/150/ 1-5 मन्त्रों में अग्नि रूप परमेश्वर को सुख प्राप्ति के लिए आवाहन करने का विधान बताया गया है। ईश्वर से प्रार्थना करने और यज्ञ में पधारकर मार्गदर्शन करने की प्रार्थना की गई है। धन, संसाधन, बुद्धि, सत्कर्म इच्छित पदार्थों, दिव्या गुणों आदि की प्राप्ति के लिए व्रतों का पालन […]

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वेद

संसार में वेदों की अप्रवृत्ति होने से अविद्यायुक्त मत-मतान्तर उत्पन्न हुए हैं

मनमोहन कुमार आर्य संसार में वर्तमान समय में शताधिक अवैदिक मत-मतान्तर प्रचलित हैं जिनकी प्रवृत्ति व प्रचलन पांच हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध के बाद हुआ है। सभी मतों का आधार प्रायः चार प्रमुख मत हैं जो पुराण, जैन मत के ग्रन्थों, बाईबल तथा कुरान आदि ग्रन्थों के आधार पर प्रचलित हुए हैं। महाभारत […]

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वेद

वेद प्रतिपादित ईश्वर के सत्यस्वरूप व अन्य सभी मान्यताओं में विश्वास करने से जीवन की सफलता

मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य का आत्मा सत्य व असत्य का जानने वाला होता है परन्तु अपने प्रयोजन की सिद्धि, हठ, दुराग्रह तथा अविद्या आदि दोषों के कारण वह सत्य को छोड़ असत्य में झुक जाता है। ऐसा होने पर मनुष्य की भारी हानि होती है। मनुष्य को सत्य को पकड़ कर रखना चाहिये और असत्य […]

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वेद

वेदों को अपना लेने से विश्व की समस्त समस्याओं का समाधान

मनमोहन कुमार आर्य हमारा विश्व अनेक देशों में बंटा हुआ है। सभी देशों के अपने अपने मत, विचारधारायें तथा परम्परायें आदि हैं। कुछ पड़ोसी देशों में मित्रता देखी जाती है तो कहीं कहीं पर सम्बन्धों में तनाव भी दृष्टिगोचर होता है। दो देशों का तनाव कब युद्ध में बदल जाये इसका अनुमान नहीं किया जा […]

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भारतीय संस्कृति वेद

जीवन की सफलता वेदों के स्वाध्याय, सद्व्यवहार एवं आचरण में है

मनमोहन कुमार आर्य हम मनुष्य इस कारण से हैं कि हम अपने मन व बुद्धि से चिन्तन व मनन कर सत्यासत्य का निर्णय करने सहित सत्य का ग्रहण एवं असत्य का त्याग करते हैं व करने में समर्थ हैं। यह कार्य पशु व पक्षी योनि के जीवात्मा नहीं कर सकते। इसका कारण यह है कि […]

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आर्य समाज वेद हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ऋषि दयानन्द के बतायें मार्ग पर चलकर जीवन को सफल बनायें

मनमोहन कुमार आर्य हम वेदों के पुनरुद्धार एवं देश से अविद्या व अन्धविश्वासों को दूर करने के लिये ऋषि दयानन्द सहित उनके गुरु स्वामी विरजानन्द, स्वामी दयानन्द के संन्यास गुरु स्वामी पूर्णानन्द जी, स्वामी जी के योग-गुरुओं, स्वामी श्रद्धानन्द, पं. लेखराम, पं. गुरुदत्त विद्यार्थी, स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती, पं. श्यामजी कृष्ण वम्र्मा, लाला लाजपत राय, भाई […]

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आर्य समाज वेद

वैदिक ईश्वर स्तुति प्रार्थना उपासना मन्त्र

विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परासुव । यद् भद्रं तन्न आ सुव ॥१॥ मंत्रार्थ – हे सब सुखों के दाता ज्ञान के प्रकाशक सकलजगत के उत्पत्तिकर्ता एवं समग्र ऐश्वर्ययुक्त परमेश्वर! आप हमारे सम्पूर्ण दुर्गुणों, दुर्व्यसनों और दुखों को दूरकर दीजिए, और जो कल्याणकारक गुण, कर्म, स्वभाव, सुख और पदार्थ हैं,उसको हमें भलीभांति प्राप्त कराइये। हिरण्यगर्भ: समवर्त्तताग्रे भूतस्य […]

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वेद

वेद एवं वैदिक साहित्य के स्वाध्याय से मनुष्य श्रेष्ठ गुणों से युक्त मनुष्य बनता है

वेद सृष्टि की आरम्भ में परमात्मा द्वारा अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न चार ऋषियों को दिया गया ईश्वरीय सत्य, पूर्ण व निर्दोष ज्ञान है। प्राचीन मान्यता है कि वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेदों में सब मनुष्यों को ‘मनुर्भव’ अर्थात् मनुष्य बनने का सन्देश दिया गया है। इसका अर्थ है कि जन्म से मनुष्य […]

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वेद

वेद ईश्वर प्रदत्त ज्ञान व सत्य विद्या के ग्रन्थ हैं

संसार में जितनी भी ज्ञान की पुस्तकें हैं वह सब मनुष्यों ने ही लिखी व प्रकाशित की हैं। ज्ञान के आदि स्रोत पर विचार करें तो ज्ञात होता है कि सृष्टि की उत्पत्ति व मानव उत्पत्ति के साथ आरम्भ में ही मनुष्यों को वेदों का ज्ञान प्राप्त हुआ था। जो लोग नास्तिक व अर्ध नास्तिक […]

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आर्य समाज वेद

महर्षि दयानन्द की प्रमुख देन चार वेद और उनके प्रचार का उपदेश

महर्षि दयानन्द ने वेद प्रचार का मार्ग क्यों चुना? इसका उत्तर है कि उनके समय में देश व संसार के लोग असत्य व अज्ञान के मार्ग पर चल रहे थे। उन्हें यथार्थ सत्य का ज्ञान नहीं था जिससे वह जीवन के सुखों सहित मोक्ष के सुख से भी सर्वथा अपरिचित व वंचित थे। महर्षि दयानन्द […]

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